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एक अधुरी कहानी के पूरा होने पर कैसा महसूस कर रहे हैं आप?
जब कोई नया इतिहास लिखा जाता है तो कई कुर्बानियां देनी पड़ती हैं। लद्दाख के लिए भी कमोबेश कुछ ऐसा ही हुआ। कई पीढ़ियां इस दिन को देखने में महरूम हो गईं। हुकूमतों द्वारा लद्दाखियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता रहा। स्थानीय निवासी सबकुछ चुपचाप देखते और सहते रहे। लेकिन धुंध पर छटी है। मुझे लगता है अब हम नया आयाम लिखेंगे। बंदिशों की बेड़ियों से हम आजाद हुए हैं। राज्य के सभी वासी इस समय केंद्र सरकार आ आभार व्यक्त कर रहे हैं। सत्तर वर्ष के बाद ही सही, पर आजादी तो मिली कम से कम। लद्दाख के युवा भी विकास की मुख्य धारा से जुड़कर अपना भविष्य संभारेंगे।
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370 और 35-ए के हटने से किसको सबसे ज्यादा नुकसान हुआ?
मुझे लगता है यह सवाल आपका बहुत बचकाना सा है। देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को पता है अनुच्छेद 370 और 35ए के हटने से नुकसान सिर्फ कांग्रेस, पाकिस्तान और स्थानीय कुछ चंद सियासी घरानों को हुआ है। केंद्र सरकार के इस फैसले से जहां पाकिस्तान कराह रहा है, वहीं कांग्रेस के नेता अपनी खिसकती जमीन से बिलबिलाए हुए हैं। जम्मू-कश्मीर व लद्दावासियों के घरों में जहां खुशी का माहौल है, वहीं इन लोगों के घरों में मातम पसरा हुआ का है।
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अच्छा इतना बताएं, नवगठित इन उप-राज्यों का विकास होगा, इसकी क्या गारंटी है?
मोदी सरकार खुद में एक गारंटी है। किसी के साथ सौतेला व्यवहार नहीं करती। जम्मू-कश्मीर में पिछले सत्तर सालों में जो विकास नहीं हुआ आपको जल्द दिखाई देने लगेगा, इस बात की मैं आपको गारंटी देता हूं। अगली बार जब आप मेरा साक्षात्कार करोगे तो देखना आप सिर्फ वहां हुए विकास की ही बात करोगे। देखिए, जनता के विकास को ध्यान में रखकर ही गहन-मंथन के बाद अनुच्छेद 370 को हटाने का सरकार ने फैसला लिया गया है।
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अनुच्छेद 370 के हटाने में आपकी बड़ी भूमिका बताई जा रही है?
यह निर्णय सामूहिक तौर पर लिया गया है। यह समूचे घाटीवासियों को एक लंबे अरसे से जिस चीज का ख्वाब था, सपना था, मांग थी, उसे मौजूदा सरकार ने पूरा कर दिया है। लंबे इंतजार के बाद जब कोई चीज मिलती है तो उसकी खुशियां भी काफी बढ़ जाती है, उसकी मान्यता भी बढ़ जाती है। उनकी इस जरूरत को मैं काफी समय से महसूस कर रहा था। लेकिन जब मौका मिला तो तारीख अपने आप मुर्करर हो गई। अनुच्छेद 370 और 35ए के खात्में से दोनों उप-राज्यों के लिए नई सौगात, नई उमंग, के साथ जिंदगी जीने का एहसास दिलाने का आगाज हो गया है।
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विपक्ष का आरोप है कि इतने बड़े निर्णय किसी की राय नहीं ली गई?
देखिए, कांग्रेस जनता में सिर्फ भम्र फैला रही है कि निर्णय में रायशुमारी नहीं हुई। मैं साफ कर देना चाहता हूं कि अनुच्छेद 370 के लिए बकायदा लोगों की राय ली गई। मैं विपक्षी दलों को खुला चैलेंज देता हूं। अगर उन्हें किसी बात का शक है तो अपने स्तर से जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराकर देखें। हकीकत सामने आ जाएगी। 99 प्रतिशत लोग विकास के आड़े आ रही अनुच्छेद 370 और 35ए का खात्मा चाहते थे। इस दिन को देखने के लिए पीढ़ियां इंतजार कर रही थीं। 370 हटने के बाद लोग केंद्र सरकार को दुआएं दे रहे हैं। बदलते सियासी इतिहास में इसे जनहित में लिया गया अतिमहत्वपूर्ण निर्णय बताया जा रहा है। रही बात विकास कराने की जो आपने सवाल किया है। देखिए, मोदी सरकार का पूरा फोकस इस वक्त इन दोनों केंद्र शासित राज्यों पर हैं। विकास की मुख्य धारा से तुरंत जोड़ना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं! लेकिन ईमानदारी से काम किया जा रहा है।
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दोनों में किसी एक राज्य को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सकता था?
केंद्र सरकार फिलहाल उप-राज्य हों या पूर्ण राज्य, किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं कर रही। मुझे पूर्ण विश्वास है दोनों नए केंद्र शासित राज्य एकाध सालों में ही विकासशील राज्यों की कतार में दिखाई देंगे। दोनों जगह उघोगधंधों को लगाने का खाका तैयार हो चुका है। औषधि बनाने और उनके रिर्सच के लिए बड़े प्लांट लगाने का निर्णय अंतिम दौर में है। निवेशकों को वहां उधोगों को स्थापित करने के सरकार की तरह से कई तरह की रियायतें दी जाएंगे। अक्टूबर में जम्मू-कश्मीर में दो दिनी इंवेस्टर्स समिट का आयोजन किया जाएगा, जिसमें करीब दो हजार से ज्यादा उद्योगपित भाग लेंगे। इस लिहाज से मात्र दो वर्षों के अंतराल में घाटी की फिजा बदली हुई दिखाई देने लगेगी।
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कुछ संभावनाएं जताई जा रही हैं कि विरोधी नेता माहौल को बिगाड़ सकते हैं?
पुलिस प्रशासन पूरी मुस्तैदी से अपना काम कर रहा है। फिर भी अगर कोई नापाक हरकतें भविष्य में करने की कोशिश करता है, तो कानून अपना काम करेगा, कार्रवाई होगी। जम्मू-कश्मीर के चंद सियासी घराने अनुच्छेद 370 के हटाने का विरोध कर रहे हैं। उनको पता था अनुच्छेद 370 ही उनकी ताकत हुआ करती थी। अब उनके पास कुछ नहीं बचा। उनकी हैसियत अब जनता के बीच जाने की भी नहीं रही। पार्षदी का भी चुनाव नहीं जीत सकते। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की आवाम विकास चाहती है। इसके बीच जो भी कोई बाधा बनेगा, उसे छोड़ेगी नहीं?
रमेश ठाकुर