बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, कर्नाटक, उड़ीसा, गुजरात समेत विभिन्न राज्यों व विदेशों की संगत को दर्शन दिए। अपने सोहने दाता के दर्शन करके साध-संगत में खुशी का ठीकाना नहीं रहा। आपको बता दें कि पूज्य गुरु जी हर रोज लाखों लोगों का नशा छुड़वाकर राम-नाम से जोड़ रहे हैं।
सच्चे, रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा (यूपी) से अपने अमृतमयी वचनों की वर्षा करते हुए फरमाया कि मालिक के नाम में सुख है, आत्मिक शांति है, मालिक के नाम में तंदुरुस्ती है। मालिक के नाम में वो सब नियामतें हैं जो आपने कभी सोची भी नहीं होंगी। वो सब खुशियां हैं जिसकी आपने कभी कल्पना नहीं की होगी। क्योंकि राम, ओउम, हरि, अल्लाह, गॉड, ख़ुदा, रब्ब सब कुछ देने वाला है, सब कुछ बनाने वाला है, वो दया का सागर, रहमत का दाता है, अन्दर बाहर किसी को कोई कमी नहीं छोड़ता। पर आज का दौर बड़ा ही भयानक दौर है। जनसंख्या विस्फोट होता जा रहा है, जनसंख्या बढ़ती जा रही है और ज्यों-ज्यों जनसंख्या बढ़ रही है, कोई कितना भी जोर लगा ले, फिर भी सब कुछ लगाने के बावजूद भी जनसंख्या के कारण बहुत लोग बेरोजगार भी हो रहे हैं और बेरोजगारी की वजह से पूरी दुनिया में झगड़े, नफरतें, आतंकवाद, मार कुटाई, लड़ाई ये चलती रहती हैं। तो इसलिए बहुत जरूरी है संयम से काम लेना। अपने आप को कंट्रोल करना और जनसंख्या पर भी कंट्रोल करना।
जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान दें
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि एक आदमी सोचता है कि मेरे कंट्रोल करने से क्या होगा? ऐसे ही नहीं कहा कि बूंद-बूंद से तालाब भर जाता है। आप शुरूआत कीजिये, भगवान ने चाहा तो आपको खुशियां मिलेंगी। तो दूसरे भी आपको देखकर जरूर आपको फॉलो करेंगे और जनसंख्या कंट्रोल होगी। वरना ये जनसंख्या का विस्फोट कैसे फूटेगा, कितनी जल्दी फूट जाए, कुछ भरोसा नहीं है। अपनी इगो, अपने अहंकार में डूबकर इन्सान राम से मुनकर हो जाता है, प्रभु से दूर हो जाता है तो फिर उसे गम, दु:ख-दर्द, चिन्ता, परेशानी उठानी पड़ती है। तो अपने विचारों का शुद्धिकरण करना बेहद जरूरी है।
नशा बर्बादी का घर
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आज हाथ को हाथ खाए जा रहा है। इस कलियुग में झूठ का बोलबाला है। जिधर मर्जी निगाह घुमा कर देख लो, झूठ, नफरत, ईर्ष्या, इगो, खुदी इतनी ज्यादा हाई होती जा रही है, इतनी ज्यादा बढ़ती जा रही है कि जरा सी बात के लिए लोग अपनों को भी नहीं बख्शते। हमनें सुना कि एक बच्चे को उसके माँ-बाप ने नशे के लिए पैसे देने से मना कर दिया। मना क्या कर दिया, दो बातें थी, एक कह रहे हैं कि मना कर दिया। दूसरे कह रहे थे कि बच्चे ने इतना खर्चा कर वा दिया कि उनके पास पैसा नहीं था। और उस बच्चे ने आव देखा न ताव उस घर में जो भी लाईसेंसी या अन्य हथियार था उससे अपनी माँ को भी मार दिया और बाप को भी मार दिया। जरा सोच कर देखिए 17 या 19 साल का बच्चा। तो ये नशा, ये इगो कहां जाकर रूकेगी, जब सब बर्बाद हो जाएगा तब।
किसी की बातों में आकर गुलाम मत बनें
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जवानी ऐसी ताकत है, ऐसी शक्ति है कि इसमें अगर अच्छे कर्म किए जाएं तो भगवान को भी जल्द पाया जा सकता है। और बुराई करता है जब जवानी में आकर इन्सान तो राक्षस भी शर्मा जाता है। बुल्लेशाह वाली बात है, ‘‘मन दा की समझौणा, इधरों पुटके एदर लौणा’’, कि जवानी वो ही है अगर अच्छे कर्मों में लग जाए तो भगवान को पा ले और बुरे कर्मों में लग जाए तो शैतान शर्मा जाए। तो हे नौजवानों! अच्छे कर्म करो। आप कोई-न-कोई अच्छा कर्म करते रहो। हाथ पर हाथ धरकर मत बैठो। बेरोजगारी का मतलब ये नहीं कि आप किसी के गुलाम बन जाओ। किसी के कहने पर किसी को मारो, किसी को काटो, बुरा करो। ये चार दिन की चांदनी होती है, जो आपको वो खुशियां देते हैं, नए-नए कपड़े, नए-नए शूज देते हैं, अच्छी बाइक दे दी, अच्छे होटलों में खाना खिलवा दिया और बाद में वो आपसे गलत काम करवाते हैं और आपको लगता है कि नहीं, इतना कुछ मेरे को जिसने दिया, गलत काम भी करवाए वो तो मेरे लिए परमात्मा समान है, आप उनके वफादार बन जाते हैं। दूसरे शब्दों में आप उनके गुलाम बन जाते हैं। हे बच्चो! अपनी बुद्धि, विवेक से विचार करो। आप आजाद पैदा हुए हैं, गुलाम नहीं। पहली पीढ़ियां माना कि देश गुलाम था बहुत पहले, लेकिन अब तो देश में आजादी है। तो आप वैसे भी भगवान की तरफ से तो आजाद ही पैदा हुए हैं, किसी के गुलाम थोड़ी ना हैं। तो फिर ये गुलामी क्यों करते हो नशे के लिए? और इस गुलामी में पड़कर क्यों करते हो बुरे कर्म? किसी को मारना या किसी को तड़फाना या किसी को डराना-धमकाना चंद नोटों के लिए।
कोई काम छोटा नहीं होता, शुरूआत तो कीजिये
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कोई भी बेरोजगार ना रहे अगर यह सोच ले कि मैंने कोई ना कोई अच्छा कर्म करना ही करना है। चाहे वो छोटी स्केल (स्तर) से शुरू करे या बड़े से। छोटा कुछ नहीं होता, आपने देखा होगा कि हमारे देश में जो धनाढ्यों में नंबर रखते हैं, वो भी किसी समय में बड़े गरीब हुआ करते थे और आज कहां से कहां पहुंच गए। तो उन्होंने छोटे से छोटा काम करने में भी संकोच नहीं किया। तो उसी तरह आप भी कर्मयोगी बनिये, जो हमारे पवित्र वेदों में बोला, ज्ञान योगी बनिये। कर्म करते जाइये। ये सभी धर्मों में है कि कर्म करना और ज्ञानयोगी होना बेहद जरूरी है। तो ज्ञान हासिल करो और कर्मयोगी बनकर आगे बढ़ते जाओ। शुरूआत चाहे दिहाड़ी-मजदूरी से क्यों ना करनी पड़े, चाहे आप कितने भी पढ़े लिखे क्यों न हों, बेरोजगारी से वो दिहाड़ी-मजदूरी हजारों गुणा ज्यादा अच्छी है। पर इगो भी तो कोई चीज होती है। मैंने इतनी डिग्रियां, मेरे पास ये-ये, फिर भी मुझे कुछ नहीं हासिल हो रहा, फिर भी नौकरी नहीं, मेरे साथ वाला ये हो गया, मेरे पीछे वाला, मेरे आगे वाला, उस चक्कर में मत पड़ो।
असफल होने पर भी प्रयास करना मत छोड़ो
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हर कोई अपने कर्मों की और मेहनत की करके आगे बढ़ता है। कईयों के संचित कर्म बहुत अच्छे होते हैं, वो जिस चीज को भी हाथ डालते हैं, सोना बन जाता है। और कईयों के संचित कर्म इतने बुरे होते हैं कि सोने को हाथ डालें तो राख बन जाता है। पर इसका मतलब ये थोड़ा है कि आप हाथ डाला और राख बन गया और छोड़ दिया, जी नहीं, मेहनत करनी ना छोड़ो। हक-हलाल, कड़ा परिश्रम, हार्ड वर्क, दसां नहुंआ दी कीरत करते रहो। कोई भी काम मिल जाए, कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता। पता नहीं भगवान ने आपके लिए क्या छुपा कर रखा है? छोटा सा काम शुरू किया, क्या पता वो कब बड़ा हो जाए और आप तरक्की कर जाएं।
बच्चों पर हमेशा ध्यान रखो
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जब आपने शुरूआत ही नहीं की तो कहां से तरक्की करोगे। सारा दिन रजाइयां फाड़ते रहते हो। दिन-रात चद्दरे ओढ़कर सोये रहते हो या फिर बुरे कामों में चल पड़ते हो, लोगों के गुलाम बनकर, मिसयूज किया जाता है आपको। होता है ना यूथ एंड थ्रो, कई चीजों पर ऐसी होती हैं, उसी तरह आपको समझा जाता है। बच्चो आपको लगता है कि हमें तो पता नहीं क्या मिल गया, अच्छे कपड़े, अच्छे शूज, बड़े होटलों में खाना, रहना, चलने के लिए गाड़ी और गंद पिल सब कुछ मुहैया करवा देते हैं, क्यों? ये सब कर करवाकर उनको ये होता है कि हमारे पर फेथ करे बच्चा और बच्चा छोटा होता है, माँ-बाप ख्याल नहीं करते, उन पर फेथ करने लगता है और फिर वो समाज के लिए बहुत बड़ा गलत अंसर बन जाता है या कोई भी शब्द इस्तेमाल किए जा सकते हैं कि वो समाज के लिए कलंक बन जाता है।
तो माँ-बाप को चाहिए कि वो निगाह रखे। माँ-बाप को चाहिए थोड़ा ख्याल करें कि भई मेरा बच्चा कहां जाता है? कहां रहता है? आप स्कूल भेजते हैं, क्या वो स्कूल जाता है? कॉलेज जाता है? माँ-बाप का फ़र्ज है, हमारी संस्कृति कहती है। जब तक वो अपने पैरों पर खड़ा नहीं होता, आप थोड़ा ध्यान रखिये, गलत सोसायटी में ना फंस जाए, कहीं गलत शिक्षाओं में ना उलझ जाए, गलत संग ना कर ले, अगर ऐसा करेगा तो आपका नाम बर्बाद होगा और देश का नाम भी डुबोएगा। तो इसलिए बच्चों गुलामी नहीं आजादी की ज़िंदगी जीओ, राम का नाम जपो, ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, ख़ुदा, रब्ब की भक्ति किया करो।
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