कासगंज (यूपी )। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज के पावन अवतार माह की खुशी में बारापत्थर, कासगंज, (उत्तर प्रदेश) की साध-संगत ने आॅनलाइन गुरूकुल के माध्यम से पूज्य गुरू जी के रूहानी वचनों को एकाग्रचित होकर ध्यान से सुना। पंडाल खचाखच भरा हुआ था, हजारों लोगों पूज्य गुरु जी ने नशा छूड़वा कर राम-नाम से जोड़ा। इसके बाद देव पैलेस में उपस्थित साध-संगत से रूबरू हुए। पूज्य गुरु जी ने फरमाया, ‘सारी साध-संगत को बहुत-बहुत आशीर्वाद।
संत, पीर, फकीरो की धरती से आप लोग बोल रहे है, मालिक खुशी दे बेटा, आशीर्वाद और हाथों में तिरंगे है बच्चो के, गुब्बारे है, बहुत अच्छे लग रहे हो बच्चो, सारे के सारे। पूज्य गुरु जी ने फरमाया, ‘कासगंज में चार सत्संग हुए और आज फिर से आपकी सेवा में हाजिर है। वहीं एक सत्संगी ने पूज्य गुरु जी से बोला की आप जी इंस्टाग्राम व यूटयूब पर नई -नई चीजे हमें दिखा रहे हो, बता रहे हो उसके लिए आप जी का तहेदिल से धन्यवाद, ऐसी ही एक्टिविटी दिखाते ही रहना, इस पर पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि सारी उम्र ही दिखाएंगे, फिक्र ना करो।
ऑनलाइन गुरुकुल में डॉ एमएसजी ने दिये, रूहानी जवाब
सवाल: क्या ईष्या, नफरत धर्मों की देन है?
जवाब: जी नहीं, ये इंसान की देन है। मन शैतान की देन है।
सवाल: आत्मा क्या है, ये कैसे पैदा होती है, और कैसे खत्म होती है?
जवाब: आत्मा, ओम, हरि, अल्लाह, गॉड का एक अंश है। एक नूर का कण है और ये कभी खत्म नहीं होती। ये मालिक में समा सकती है, जब कोई भक्ति, इबादत करता है। लेकिन उसकी पहचान भी वहां भी बनी रहती है। मालिक के अंदर समा कर भी वो एक पहचान रखती है।
सवाल: जब भी कोई पीर, फकीर, इस धरा पर आए, मौकिकी हुकूमत ने उन पर जुल्म ढाए, बेशक बाद में उनको भगवान की तरह पूजा जाता है। क्या कभी ऐसा भी समय आएगा, जब मौकिकी हुकूमत मौके के पीर फकीरों का सम्मान करेगी?
जवाब: समय का जो राजा है वो ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम है। तो आज अगर हम कुछ बोलें, तो वो गलत है। हम आपको सौ प्रतिशत सच कहते हैं कि वो जो करता था, सही है, जो कर रहा है सही है, और जो करेगा वो भी सही है। वो कभी अपने भक्तों का या संतों का, पीर फकीरों का गलत नहीं करता।
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