बरनावा/सरसा(सुनील वर्मा)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां बुधवार को विदेशों सहित देश के कोने-कोने में बने डेरा सच्चा सौदा के विभिन्न आश्रमों, नामचर्चाघरों में बैठी साध-संगत से शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा उत्तर प्रदेश से आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से रूबरू हुए और साध-संगत को अपना पावन आशीर्वाद दिया। इस दौरान पूज्य गुरु जी ने गुरुमंत्रा के बारे में बताते हुए कहा कि गुरुमंत्रा पुरातन शब्द है। लगभग करीब 12 हजार साल पुरानी बने पाक-पवित्र वेद को हमने हमने पढ़ा है। लेकिन गुुरूमंत्रा तो उससे भी पुरातन है। इसलिए पुरातन शब्द यानि गुरुमंत्रा की सबसे पहले व्याख्या करना चाहते है।
बाकि कि अपने आप आ जाएगी। गुरुमंत्रा यानि गु का मतलब अंधकार और रू का मतलब प्रकाश होता है। गु और रु शब्द के जोड़ने से बनता है जो अज्ञानता रूपी अंधकार में प्रकाश रूपी दीपक जला दें। मंत्रा का अर्थ है शब्द, युक्ति, मैथ्ड। यानि गुरू जो मालिक के शब्दों का खुद अभ्यास करता है और उससे उसे जो अनुभव होता है, वो उसे दुनिया को दें, उसे कहा जाता है गुरुमंत्रा, कलमा, मैथ्ड आॅफ मेडिटेशन और नाम शब्द। पर गुरुमंत्रा गुरु का मंत्र नहीं होता, वो मंत्र होता है उसी ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, परमात्मा का।
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