जायज मांग के लिए टेंशन फ्री होकर लगातार सुमिरन करें इंसान
- डेप्थ मुहिम से जुड़कर भारी तादाद में लोगों ने नशे व सामाजिक बुराइयों से की तौबा
- पावन अवतार माह के उपलक्ष्य में साध-संगत ने लिया सुबह शाम-सुमिरन करने का प्रण
बरनावा।(सच कहूँ न्यूज) भक्तों का गहना होता है संयम व संतोष। जिनके अंदर संयम और संतोष होता है वो तमाम खुशियां हासिल करते हैं। जो जल्द बाजी के चक्कर में होते हैं वो कई बार अपने मन व मन के ख्यालों की वजह से प्रभु से दूर हो जाते हैं। इसलिए इंसान को अपनी जायज मांग के लिए सुमिरन करते रहना चाहिए, भक्ति इबादत करते रहना चाहिए और जब समय आएगा तो वो परमात्मा आपकी जरूर सुन लेगा। उक्त पावन वचन वीरवार को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में स्थित शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से जुड़ी देश-विदेश की करोड़ों साध-संगत को फरमाये।
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इस मौके पर पूज्य गुरु जी ने श्री आशापुरा मां मंदिर, कोठारा (गुजरात), विष्णु वाटिका लॉन एंड बैंकेट हॉल शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश), देव पैलेस जाल्हूपुर शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश), विजय आईटीआई बीकापुर गाजीपुर (उत्तर प्रदेश), बारह पत्थर कासगंज (उत्तर प्रदेश), कम्युनिटी सेंटर जल बोर्ड दल्लुपुरा (दिल्ली), केसरी सिंह पुर श्रीगंगानगर (राजस्थान), लक्कड़ मंडी जगाधरी यमुनानगर (हरियाणा) व चौधरी देवीलाल स्कूल नरवाना जींद (हरियाणा) में डेप्थ मुहिम के तहत बड़ी तादाद में लोगों को नशा व सामाजिक बुराइयां छुटवाकर राम नाम का मार्ग दिखाया। इस मौके पर साध-संगत ने सुबह-शाम सुमिरन करेंगे का प्रण भी लिया।
इंसान को हमेशा गलत रास्ते पर ले जाता है बुराई का प्रतिक ‘मन’
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि इंसान को मन के पीछे कभी नहीं चलना चाहिए। मन हमेशा आदमी को गलत रास्ते पर लेकर जाता है और आत्मा सही रास्ते पर लेकर जाती है। हालांकि आत्मा की आवाज को मन दबा देता है। क्योंकि मन बुराई का प्रतिक है और आत्मा अच्छाई की प्रतिक है। सबके अंदर अच्छी और बुरी दो आवाजें जरूर उठती हैं। आज के समय में ज्यादा परसेंटेज बुरी बातें सुनने की है और कम परसेंटेज अच्छी बातों को ग्रहण करने की है। भक्ति में ‘मैं’ और ‘मन’ की कोई जगह नहीं है। भक्ति में भक्ति करते जाओ, प्रभु के चरण कमलों में ध्यान रखकर उसका सुमिरन करते जाओ, वो जब चाहेंगे दया के सागर, रहमत के दाता आपकी झोलिया जरूर भर देंगे। माईंड में नेगेटिव व पॉजिटिव दो प्रकार की बातें आती है। हमारे पाक पवित्र सभी धर्मों और खासकर पवित्र वेदों में लिखा है कि जो नेगेटिव विचार देता है, गलत विचार देता है वह मन की आवाज होती है और जो अच्छे विचार देता है वो आत्मा की आवाज होती है। समय के अनुसार सब चीज मिलती है और जल्दबाजी में कुछ नहीं मिलता।
परहेज के साथ करें राम-नाम का जाप जरूर मिलेंगी खुशियां
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि मालिक का नाम, प्रभु का नाम सुखों की खान है और जब इंसान मालिक का नाम परहेज के साथ लेता है तो वह अपनी जायज मांग की तरफ कदम बढ़ाते चला जाता है। क्योंकि पुरातन समय में वेद और अब जब डॉक्टर कोई दवाई देता है तो उसके परहेज भी जरूर बताता है और जब दवाई को परहेज के साथ लिया जाता है तो वह असर जरूर करती है। इसी तरह ओम, हरि, अल्लाह, गॉड, खुदा, रब्ब का नाम भी अगर परहेज यानी सुफी संत पीर फकीर की ओर जो नियम बताए जाते हैं, समझाए जाते हैं, उनके अनुसार लिया जाए तो उसका असर बेंतहा होता है।
इंसान नहीं जानता, उसके लिए जायज क्या
कई बार इंसान समझता है कि उसकी मांग जायज है और वो पूरी नहीं हो रही, इसके बारे में समझाते हुए पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि इंसान नहीं जानता कि उसके लिए जायज क्या है और नाजायज क्या है। यह तो समय के गर्भ में छुपा राज है, जिसे भगवान जानता है। इंसान इसे नहीं समझ सकता। इसलिए इस टैंशन में इंसान को नहीं पडऩा चाहिए। इंसान को सिर्फ भक्ति, इबादत और सुमिरन करना चाहिए और फल परम पिता परमात्मा पर छोड़ देना चाहिए। इसके अलावा इंसान की जो इच्छा है या जो वह हासिल करना चाहता है, उसकी प्रार्थना उसे जरूर करनी चाहिए। अगर फिर भी इंसान की वो मांग पूरी नहीं हो पा रही तो हो सकता है उस मांग के पूरा होने से इंसान को कुछ नुकसान होना हो। इसलिए उसमें देरी हो रही है। यानी इंसान अपनी जिस मांग के लिए उतावला पन कर रहा है वो उसके लिए अनुकूल ना हो। इसलिए भगवान अपने हिसाब से वो चीज को जरूर करता है।
इंसान के लिए जायज क्या, यह समय के गर्भ में छुपा राज
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि इंसान की मांग का समय पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ेगा या अनुकूल पड़ेगा, यह तो सिर्फ राम जी को पता है। इसलिए जो समय इंसान के अनुकूल होगा और जिस समय में उसके मुताबिक वो मांग पूरी करने का सही समय होगा, उसी समय वो इंसान की जायज मांग पूरी करेगा। अगर किसी ओर समय पर भगवान इंसान की मांग पूरी करता हैै तो हो सकता है कि उसका नुकसान ज्यादा हो। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि समय के गर्भ क्या छीपा है, उसके बारे में इंसान को कुछ नहीं पता होता। एक भगत को हमेश खुले दिमाग से सोचना चाहिए। इंसान को हमेशा भगवान की रजा में राजी रहना चाहिए। क्योंकि प्रभु की इच्छा का जो सत्कार करते है, वो ही परमात्मा की रहमत से झोलियां भरते है। प्रभु की इच्छा के मुताबिक इंसान को रहना पड़ता है और खुद की इच्छा को दबाना पड़ता है। क्योकि इंसान का मन हावी होकर उसे गलत दिशा की ओर ले जा सकता है।
मालिक के नाम का निरंतर जाप से कंट्रोल हो सकता है ‘मन’
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि इंसान को हमेशा खुश रहना चाहिए। लेकिन जो इंसान काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, मन और माया के गुलाम होते हैं उन्हें खुश रहना मुश्किल लगता है। अगर कोई भगत प्रभु के नाम का सुमिरन नहीं करता तो वह भी इनका गुलाम हो सकता है। क्योंकि यह कोई छोटी- मोटी चीज नहीं है। इसलिए इंसान को इनकी गुलामी से बचने के लिए लगातार सुबह-शाम प्रभु परमात्मा के नाम का सुमिरन करना चाहिए। जो इंसान लगातार दो महीने तक सुबह-शाम एक-एक घंटा प्रभु परमात्मा के नाम का सुमिरन करता है तो वह मन को कंट्रोल कर सकता है। लेकिन इंसान प्रभु की भक्ति करता नही। कई इंसान तो गुरुमंत्र लेकर उसका सुमिरन करना ही भूल जाते है।
सेवा करने वाला भी जरूर करें राम नाम की भक्ति
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि सेवा करने वाले इंसान को भी राम-नाम की भक्ति जरूर करनी चाहिए। जो सत्संग सुनते है और अमल करते है तो वो इंसान बना बनाया सुमिरन ले जाते है। सत्संग सुनकर उसपे अमल करो, उसपे चलना सीखों, अहंकार त्याग दो, खुदी त्याग दो, दिनता नम्रता, संयम, संतोष, भक्ति, बेगर्ज प्रेम, निस्वार्थ भावना से सेवा, ये भक्तों के वो गहने होते है, जिसके सजने से रामजी जल्दी दर्शन देते है। इसलिए जब इंसान इन एक-एक करके सभी गहनों को पहनता जाएगा तो यकीन मानो, हर चीज अच्छी लगेगी, हर चीज में खुशी आएगी। इस तरीके से इंसान प्रसन्नचित रह सकता है, खुश रह सकता है। जोकि दुनिया में ढ़ूढऩे से भी नहीं मिलती। आप जी ने फरमाया कि जब तक अंदर की सफाई नहीं होती, अंदर का कचरा नही निकलता यानी गम, दुख, दर्द, चिंता, परेशानी, इगो, ईष्र्या, नफरत, दुई, द्वेष ये चीजे नहीं जाती तब तक सच्ची खुशी, सच्ची हंसी चेहरे पर नहीं आ सकती।
इंसान को हमेशा रहना चाहिए ‘फ्रेश माइंड
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि राम-नाम के मार्ग पर असल बात अमल करने की है। रोने से जब एक मां अपने बच्चे को दूध देती है तो भगवान जी क्या मां से कम है। भगवान जी रोने ही नहीं देते और पहले ही नियामते बख्श देते हैं। लेकिन इसके लिए भगवान को बुलाना पड़ेगा यानी उसको याद करना पड़ेगा। रोना मां को बुलाना होता है और राम-नाम के मार्ग में रोना नहीं बल्कि सुमिरन करना होता है। ये भगवान को बुलाना है। इंसान को सेवा-सुमिरन, भक्ति इबादत करते रहना चाहिए। खाली बैठे रहने से कुछ हासिल नही होता। इंसान जितनी टेंशन करता है उसके अंदर उतनी ही ज्यादा नेगेटिविटी आती है। इसलिए इंसान को फ्रेश माइंड रहना चाहिए। इंसान का काम मेहनत करना है और मेहनत के लिए उसे दिन-रात एक कर देनी चाहिए।
साथ में सुमिरन और सेवा जब इंसान करता है तो वह खुश रह सकता है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि उन्होंने एक शब्द लिखा है जिसके बोल है ”राम नाम लो सुबह एंजॉय, जिंदा हूं मैं आज करो एंजॉय। करो दिनभर अच्छे काम एंजॉय, खाओ पीओ मस्त रहो एंजॉय, सोते टाइम राम-नाम एंजॉय गम चिंता को कर दो देन बाय-बाय एंजॉय एंजॉय”। यानी इंसान को सुबह उठकर देखना चाहिए कि मैं जिंदा हूं। यह भी एंजॉय करने के लायक है। यह बहुत बड़ी बात है। इसलिए सुबह उठकर इंसान को राम-नाम जपना चाहिए और जिदंगी को एंजॉय करना चाहिए।
ऑनलाइन ने पूज्य गुरु जी ने सवालों के जवाब
ऑनलाइन गुरुकुल के माध्यम से पूज्य गुरु जी ने कई सवालों के जवाब देते हुए डेरा श्रद्धालुओं की जिज्ञासाओं को शांत किया। इस मौके पर एक सवाल पूछा गया कि ” गुरु जी! पवित्र ग्रंथों में जो ‘राम’ शब्द आता है वह कौन सा राम हैं? इसका जवाब देते हुए पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि वैसे तो राम चार हैं, सूफियत के अनुसार, ”एक राम दशरथ घर डोले, एक राम घट-घट बोले, एक राम का सकल पसारा, एक राम त्रिगुण से न्यारा”। एक राम विष्णु जी के अवतार श्री राम जी हुए हैं। राजा दशरथ जी के पुत्र, एक राम मन है, जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं। आपने सुना ही होगा कि मेरा मनीराम ही नहीं मानता, तो वो हकीकत है।
मन को भी धर्मों में कहीं राम का दर्जा दिया गया है। ये बड़ा पावर फुल है। आसानी से नहीं मानता, जिस आदत के स्वामी आप बन गए। उसे आप छोड़ोगे नहीं। और तीसरा राम सकल पसारा, काल। महाकाल, त्रिलोकीनाथ, जिसने सारी त्रिलोकियों को बहारी रूप से बनाया है और चौथा राम त्रिगुण न्यारा राम, रझौ, तमौ, सतौ, तीन गुणों से इंसान की पहचान, और तीनों गुणों से जो महान है, वो ओम, सुप्रीम पावर उसे ‘राम’ कहा गया है।
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