ग्वालियर (सच कहूँ न्यूज)। शनिवार को सिंगल मैरीज गार्डन, कैलारश, मुरैना, ग्वालियर (मध्यप्रदेश) की साध-संगत से आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां रूबरू हुए। इस दौरान समस्त साध-संगत पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने खूब प्यार व आशीर्वाद लुटाया। उत्तर प्रदेश के जिला बागपत स्थित शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से जुड़ी मध्यप्रदेश के ग्वालियर की समस्त साध-संगत रूहानी दर्शन कर निहाल हुई। साध-संगत ने पूज्य गुरु जी से आपस में प्रेम-प्यार बनाए रखने व समाहित कार्यों में बढ़ चढ़कर भाग लेने व लोगों का नशा व बुराइयां छुड़वाने का आशीर्वाद मांगा। जिस पर पूज्य गुरु जी ने अपना पावन आशीर्वाद देकर साध-संगत को निहाल किया।
बेटा, भगवान आपको क्षमा करें, पाप तो बड़ा कर बैठे, लेकिन सुमिरन करना
आनलाइन गुरुकुल के माध्यम से पूज्य गुरु जी से बात करते हुए एक बेटी ने कहा कि, पिता जी, हमें आप से एक बात की माफी लेनी है, आपने हमें इतना प्यार दिया, आपके दर्शन होते थे, आपसे बातें होती थी, लेकिन मैंने 2012 में बहुत बड़ी गलती कर दी। हम आपकी दात को संभाल नहीं पाए। पिता जी, हमने अबॉर्शन (गर्भपात) करवाया था, उसके लिए मुझे माफ कर दो, मेरे मालिक। मैं तब से परेशान हूँ। पिता जी रहमत करो, मेरे दाता, जीवन भर गलती नहीं करूंगी। पिता जी, मुझ माफ कर दो।
जिस पर आप जी ने वचन फरमाये कि ‘‘बेटा! ये भी बहुत बड़ा अहसास है, आपसे अबॉर्शन हो गया, चाहे मजबूरी में जैसे भी, आपने वो गलती कर ली, लेकिन आपको इतना बड़ा अहसास है, ये अपने आप में इंसानियत है। बरना या तो पता ही नहीं चलता कि दुनिया में क्या-क्या हो रहा है, तो बेटा, भगवान आपको क्षमा करें, पाप तो बड़ा कर बैठे, लेकिन सुमिरन करना, राम जी माफ करेंगे, आप नारा लगाएं, और आगे से जीवों का भला करना और ऐसा करने वालों को रोकना, तो भगवान आपको ओर हिम्मत देंगे खुशियां देंगे। बहुत आशीर्वाद।’’
धर्मों में नहीं बने जात-मजहब
इससे पूर्व पूज्य गुरु जी ने साध-संगत को पावन वचनों से निहाल करते हुए फरमाया कि धर्मों ने कोई भी जात-मजहब नहीं बनाए गए। नाम पड़ते गए, भाषाएं बदलती गई, आदमी सिखने की ललक में नई-नई भाषाएं बनाता गया और उन भाषाओं में ऐसे संत आते गए, ऐसे रिसर्च कर्ता आते गए, जिन्होंने उस भाषा में कुछ लिख दिया तो वो उस धर्म का नाम हो गया। लेकिन जात-पात कहीं नहीं बनी। पूज्य गुरु जी ने कहा कि कुछ लोग कहते है पवित्र वेदों में जात-पात,उंच-चीत बनाई गई है, लेकिन धर्मों में ऐसा कुछ नहीं बनाया गया है। पाक-पवित्र वेदों में वर्ण बनाए गए थे। जन्म से किसी की जात नहीं बनाई बल्कि कर्म से उनका नाम रखा। इस प्रकार धर्मों में चार वर्ण बनाए गए थे। यह सच है कि हम सब एक है और हमारा मालिक भी एक है। उसके नाम अलग-अलग हो सकते हैं।
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