Literature: हमारे गांव में मेरे पड़ोस में एक औरत रहती थी जिसका नाम निक्की था। हम उसे चाची निक्की कहते थे। असल में मेरे मम्मी-पापा उसे चाची कहते थे, और उनकी देखादेखी हम भी उसे चाची ही कहने लगे थे। उसके तीन बेटे थे, जिनमें सबसे छोटा कोई पांच साल का था। चाची लोगों का सूत कातकर, रजाइयां गाँठकर या छोटे-मोटे काम करके गुजारा करती थी। कभी-कभी वह हमारे चूल्हे, तंदूर या आंगन को भी लीप देती थी। मेरी मां उसके पास से खेस भी बनवाती थी। वह अक्सर चरखे पर बैठी रहती थी। कई बार आस-पड़ोस की औरतें उसे अपने साथ दीवारें लीपने के लिए ले जाती थीं। सर्दियों में वह कभी-कभी किसी के कपास या नरमा चुनने चली जाती थी। इससे उसे चार पैसे मिलते थे और वह घर का खर्च चलाती थी। Literature
वह मिर्च, मसाला, हल्दी, नमक और सरसों का तेल हमेशा जरूरत के हिसाब से ताजा ही लाती थी और फिर सब्जी बनाती थी। वह इतना तेल लाती थी, जिससे दो या तीन दिन की सब्जी बन जाती। डलियों वाला नमक, साबुत लाल मिर्च, धनिया और हल्दी, जिसे वह वसार कहती थी, को कूँडे में कूटकर सब्जी तैयार करती थी। मैं देखता था कि वह बिना प्याज के ही सब्जी बनाती थी, क्योंकि प्याज भी पैसे से आता था। लहसुन, अदरक और टमाटर डालने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता था। फिर भी, मुझे उनकी सब्जी देखने में स्वादिष्ट लगती थी। मैं चाहकर भी उस सब्जी का स्वाद नहीं ले पाता था। कभी-कभी वह सिर्फ प्याज की सूखी सब्जी बनाती थी। Literature
उसे देखकर मेरा मन करता था कि खा लूँ, लेकिन वहां मैं मजबूर हो जाता था। घर आकर मैं अपनी माँ से कहता कि वैसी ही सब्जी बनाएँ, लेकिन मेरी माँ सरसों के तेल की जगह देसी घी, अदरक, लहसुन और प्याज डाल देती थी। वह सब्जी वैसी नहीं बनती थी। मैं रोटी नहीं खाता था। मेरी माँ मुझे डाँटती थी और कभी-कभी हल्का हाथ भी चला देती थी। सेठों का परिवार होने के कारण हम उनसे सब्जी भी नहीं माँग सकते थे। बल्कि कई बार वह मेरी माँ से सब्जी की कटोरी ले जाती थी या मेरी माँ खुद ही उन्हें सब्जी दे देती थी।
फिर एक बार मैं मंडी में एक फिल्म देखकर आया। शायद उस फिल्म का नाम ‘राजा और रंक’ था। उस फिल्म की कहानी भी कुछ ऐसी ही थी। मेरे मन में उस देसी सब्जी और बड़ी-बड़ी अनछुई चीजें खाने की लालसा बढ़ती गई। लेकिन अब हम घर में सरसों का तेल ही इस्तेमाल करते हैं। मैं अक्सर वैसी सब्जियां बनवा लेता हूँ। आज बच्चों की माँ से मैंने सिर्फ प्याज की सब्जी खाने की इच्छा जाहिर की। उसने तुरंत काम शुरू कर दिया। डर लगता है कि कहीं कोई प्याज की सब्जी को नजर न लगा दे।
– रमेश सेठी बादल
यह भी पढ़ें:– Snake: सांपों के लिए हैं ये लक्ष्मण रेखा, घर पर छिड़क दें ये बीज, घुसने से डरेगा सांप