One Nation One Election News:देश में एक ही चुनाव कराने को लेकर केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। यानी केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन’ , ‘वन इलेक्शन’ को लेकर बड़ा कदम उठाते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है। दरअसल रामनाथ कोविंद को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।
यह समिति इस मुद्दे पर विचार करने के बाद अपने रिपोर्ट सौंपेगी और इसके बाद ही यह तय होगा कि आने वाले समय में क्या सरकार लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्य में विधानसभा के चुनाव कराने की तैयारी करेगी या नहीं। वहीं पिछले कई सालों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विधानसभा और आम चुनाव को एक साथ करने के विचार पर जोर दे रहे हैं। लेकिन ऐसा करना आसान नहीं होगा लेकिन ऐसा क्यों चलिए और अगर ऐसा हो गया तो इसके क्या फायदे होंगे।
वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करने में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है इसे लागूं करने में सबसे पहले संविधान में संशोधन करना होगा। लोकसभा का कार्यकाल या तो बढ़ाना होगा या फिर समय से पहले इसे खत्म करना होगा, इतना ही नहीं कुछ विधानसभा का कार्यकाल बढ़ाना भी पड़ सकता है, जबकि कुछ विधानसभा का कार्यकाल समय से पहले खत्म करना होगा। इसे लागू करने से पहले सभी दलों में आम राय बनाना जरूरी है, हालांकि एक देश एक चुनाव को लेकर चुनाव आयोग पहले ही कह चुका है कि वह इसके लिए तैयार है। वहीं खास बात यह है कि अगर देश में एक चुनाव को लागू भी किया जाता है तो पंचायत और नगर पालिकाओं के चुनाव इसके तहत नहीं कराएं जा सकते। ऐसा इसलिए भी क्योंकि यह राज्य के विषय है।
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क्या देश में पहली बार है ‘वन नेशन’ , ‘वन इलेक्शन’? One Nation One Election
अगर केंद्र सरकार देश में एक देश एक चुनाव को लागू करती है तो यह कोई पहली बार नहीं होगा जब इस तरह देश में चुनाव कराए जाएंगे। इससे पहले भी वर्ष 1952, 1957, 1962 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा चुके हैं। 1968 और 1969 में कई विधानसभा समय से पहले भांग भी की गई है वही 1970 में लोकसभा को समय से पहले भंग किया गया था 1970 के बाद ही ‘एक देश, एक चुनाव की परंपरा खत्म हो गई थी।
एक देश एक चुनाव से क्या फायदा होगा? One Nation One Election
अगर देश में एक देश एक चुनाव की परंपरा लागू हो जाए तो इससे चुनाव में पैसों की बर्बादी बचेगी, साथ ही राज्यों के मुताबिक बार-बार चुनाव कराने की चुनौती से भी मुक्ति मिलेगी। जानकारी के मुताबिक ऐसा करने से चुनाव में इस्तेमाल होने वाले काले धन पर भी लगाम लगाया जा सकता है, साथ ही साथ सरकारी संसाधनों का उपयोग सीमित होगा और इससे देश में विकास कार्यों की रफ्तार पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा।
‘एक देश एक चुनाव’ को लागू करने में आएगी ये चुनौती | One Nation One Election
जानकारी के अनुसार ‘एक देश एक चुनाव’ को लागू करने से केंद्र में बैठी सरकार के दल को फायदा संभव है। ऐसा हुआ तो जिस दल की केंद्र में सरकार है वो ही अन्य राज्यों में भी सरकार बन सकती है।वहीं इस परंपरा के शुरू होने से छोटे दलों को नुकसान भी हो सकता है, साथ ही इसके लागूं होने के बाद चुनावी नतीजों में भी देरी हो सकती है।