Us-China Trade War: एक तरफ अमेरिका-चीन में छिड़ा वॉर! दूसरी तरफ भारत पर मेहरबान ऐसा क्यों, जानिये…

Us-China Trade War
Us-China Trade War: एक तरफ अमेरिका-चीन में छिड़ा वॉर! दूसरी तरफ भारत पर मेहरबान ऐसा क्यों, जानिये...

Us-China Trade War: वाशिंगटन/नई दिल्ली(एजेंसी)। एक तरफ अमेरिका चीन के बीच तनातनी चल रही है। वहीं दूसरी तरफ भारत में अमेरिका का रूख नमर लग रहा है। उधर चीन ने शुक्रवार को अमेरिका पर जवाबी कर 84 प्रतिशत से बढ़ाकर 125 प्रतिशत करने का ऐलान कर दिया। ड्रैगन के इस फैसले के बाद यूरोप के शेयर बाजारों में गिरावट देखी गई। चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि उच्च आयात शुल्क शनिवार से प्रभावी होंगे। उन्होंने कहा कि अमेरिका के चीन पर असामान्य रूप से उच्च टैरिफ को बारी-बारी से बढ़ाना एक संख्या का खेल बन गया है, जिसका कोई व्यावहारिक आर्थिक महत्व नहीं है और यह विश्व अर्थव्यवस्था के इतिहास में एक मजाक बन जाएगा।

अमेरिका ने भारत के प्रयासों का किया समर्थन | Us-China Trade War

अमेरिका ने कहा है कि अमेरिका लंबे समय से 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने के भारत के प्रयासों का समर्थन करता रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने एक बयान में कहा कि अमेरिका और भारत आतंकवाद के वैश्विक संकट से निपटने के लिए मिलकर काम करते रहेंगे। उन्होंने कहा, “अमेरिका ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों की योजना बनाने में उसकी भूमिका के लिए तहव्वुर हुसैन राणा को न्याय का सामना करने के लिए भारत प्रत्यर्पित किया। “

गौरतलब है कि मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों सहित 166 लोग मारे गए थे और इस घटना के कारण पूरी दुनिया सदमे में आ गई थी। अमेरिका लंबे समय से इन हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाने के भारत के प्रयासों का समर्थन करता रहा है। उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका और भारत आतंकवाद के वैश्विक संकट से निपटने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे।”

वहीं अमेरिका के न्याय विभाग ने एक अलग बयान में कहा, ‘अमेरिका ने बुधवार को दोषी आतंकवादी तहव्वुर हुसैन राणा (एक कनाडाई नागरिक और पाकिस्तान के मूल निवासी) को भारत में 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में उनकी कथित भूमिका से जुड़े 10 आपराधिक आरोपों पर मुकदमा चलाने के लिए प्रत्यर्पित किया। राणा का प्रत्यर्पण उन छह अमेरिकियों और कई अन्य पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो जघन्य हमलों में मारे गए थे।ह्व

बयान में कहा गया, ‘64 वर्षीय राणा पर भारत में कई अपराधों के आरोप है, जिनमें षडयंत्र, हत्या, आतंकवादी कृत्य को अंजाम देना और जालसाजी के मामले शामिल हैं, जो लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), एक नामित विदेशी आतंकवादी संगठन द्वारा किए गए 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में उनकी कथित संलिप्तता से संबंधित है। 26 से 29 नवंबर 2008 के बीच लश्कर के 10 आतंकवादियों ने मुंबई में गोलीबारी और बम विस्फोटों की एक श्रृंखला को अंजाम दिया। वे समुद्र के रास्ते शहर में घुसे और फिर अलग-अलग जगहों पर जाकर टीमों में बंट गए।”

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बयान में कहा गया, ‘जब आतंक आखिरकार कम हुआ, तो 166 लोग मारे गए, जिनमें छह अमेरिकी भी शामिल थे। साथ ही लश्कर के एक आतंकवादी को छोड़कर बाकी सभी मारे गए। सैकड़ों लोग घायल हुए और मुंबई में 1.5 अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति का नुकसान हुआ। ये हमले भारत के इतिहास में सबसे भयानक और विनाशकारी हमलों में से एक थे।

बयान में कहा गया, ‘भारत का आरोप है कि राणा ने एक फर्जी कवर की सुविधा दी, ताकि उसका बचपन का दोस्त डेविड कोलमैन हेडली (हेडली), जो एक अमेरिकी नागरिक है और जिसका नाम दाऊद गिलानी है, लश्कर के लिए संभावित हमले के स्थलों की निगरानी करने के उद्देश्य से मुंबई की स्वतंत्र रूप से यात्रा कर सके। जैसा कि भारत का आरोप है, हेडली ने पाकिस्तान में लश्कर के सदस्यों से प्रशिक्षण प्राप्त किया था और मुंबई पर हमला करने की योजनाओं के बारे में लश्कर के साथ सीधे संपर्क में था। अन्य बातों के अलावा, राणा ने कथित तौर पर अपने आव्रजन व्यवसाय की मुंबई शाखा खोलने और हेडली को कार्यालय का प्रबंधक नियुक्त करने पर सहमति व्यक्त की, जबकि हेडली के पास कोई आव्रजन अनुभव नहीं था।

बयान में कहा गया, ‘दो अलग-अलग मौकों पर राणा ने कथित तौर पर हेडली को भारतीय अधिकारियों से वीजा आवेदन तैयार कराने और जमा करने में मदद की, जिसमें ऐसी जानकारी थी, जिसके बारे में राणा को पता था कि वह झूठी है। राणा ने कथित तौर पर अपने बेखबर व्यापारिक साझेदार के माध्यम से व्यवसाय का एक शाखा कार्यालय खोलने के लिए भारतीय अधिकारियों से औपचारिक मंजूरी हासिल करने के हेडली के प्रयास के समर्थन में दस्तावेज भी उपलब्ध कराए। बयान में कहा गया, ’दो साल से अधिक समय के दौरान हेडली ने कथित तौर पर शिकागो में राणा से बार-बार मुलाकात की और उसे लश्कर की ओर से अपनी निगरानी गतिविधियों, हेडली की गतिविधियों पर लश्कर की प्रतिक्रियाओं और मुंबई पर हमला करने की लश्कर की संभावित योजनाओं के बारे में बताया।

बयान में कहा गया, ‘हमले पूरे होने के बाद राणा ने कथित तौर पर हेडली से कहा कि भारतीय इसी लायक थे।ह्व हेडली के साथ बातचीत में राणा ने कथित तौर पर उन नौ लश्कर आतंकवादियों की सराहना की, जो हमले करते हुए मारे गए थे, और कहा कि उन्हें निशान-ए-हैदर दिया जाना चाहिए। गौरतलब है कि यह पाकिस्तान का युद्ध में वीरता के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है, जो शहीद सैनिकों के लिए आरक्षित है।

बयान में कहा गया, ‘राणा के खिलाफ भारत की लंबित कार्यवाही पहली कार्यवाही नहीं है जिसमें राणा पर आतंकवाद के हिंसक कृत्यों को अंजाम देने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। 2013 में, राणा को इलिनोइस के उत्तरी जिले में लश्कर को भौतिक सहायता प्रदान करने और डेनमार्क के कोपेनहेगन में एक नाकाम लश्कर-ए-तैयबा प्रायोजित आतंकवादी साजिश को अंजाम देने की साजिश रचने के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। उन्हीं आपराधिक कार्रवाई के हिस्से के रूप में हेडली ने 12 संघीय आतंकवाद के आरोपों में दोषी होने की दलील दी, जिसमें मुंबई में छह अमेरिकियों की हत्या में सहायता करना और बाद में एक डेनिश अखबार पर हमला करने की योजना बनाना शामिल था और उसे 35 साल की जेल की सजा सुनाई गई।

बयान में कहा गया, ‘जून 2020 में अमेरिका ने भारत द्वारा प्रस्तुत राणा के प्रत्यर्पण के अनुरोध पर कार्रवाई की, जिसका राणा ने लगभग पाँच वर्षों तक विरोध किया। 16 मई, 2023 को, कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में एक अमेरिकी मजिस्ट्रेट जज ने राणा के भारत प्रत्यर्पण को प्रमाणित किया। इसके बाद राणा ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की, जिसे कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में अमेरिकी जिला न्यायालय ने 10 अगस्त, 2023 को अस्वीकार कर दिया।

बयान में कहा गया, ‘15 अगस्त, 2024 को, नौवें सर्किट के लिए अमेरिकी अपील न्यायालय ने उस निर्णय की पुष्टि की। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी, 2025 को राणा की सर्टिओरी के लिए याचिका को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री ने राणा को भारतीय अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने का आदेश देते हुए एक वारंट जारी किया। जिला न्यायालय और नौवें सर्किट दोनों ने प्रत्यर्पण पर रोक लगाने के लिए राणा के आवेदन को अस्वीकार कर दिया और 07 अप्रैल को, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण पर रोक लगाने के लिए राणा के आवेदन को अस्वीकार कर दिया। बयान में कहा गया, “09 अप्रैल को, यूएस मार्शल सर्विस ने राणा को भारत ले जाने के लिए भारतीय अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करके आत्मसमर्पण वारंट को निष्पादित किया। राणा का प्रत्यर्पण अब पूरा हो गया है।”