मांगों के लिए आवाज उठाई तो किसानों को मिली गोली और डंडे
सच कहूँ/ विकास कुमार कैथल। किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी घोषणाएं होना फिर उसे लागू करवाने के लिए किसानों को (Ointment Not Only Injuring The Government) आंदोलन कर जेल में जाना, गोलियां व डंडे खाने का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। किसान निरंतर अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं, लेकिन कोई भी सरकार किसानों के जख्मों पर मरहम नहीं लगा रही है। जमीनी स्तर पर धरतीपुत्रों का खेती से मोह भंग होने का प्रमुख कारण लगातार फसलों की मंडियों में होने वाली बेकद्री, फसलों का कम भाव, खेती में रोजमर्रा की वस्तुओं के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी होना प्रमुख कारण है।
पानीपत में रेल रोको आंदोलन, निसिंग गोली कांड, टोहाना कांड, नारनौल कांड, कादमा कांड, सतनाली कांड, कंडेला कांड, कलायत (Ointment Not Only Injuring The Government) के शिमला कांड हुए हैं, जिनमें प्रदेश के 46 किसानों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा इसी वर्ष दिल्ली घेराव के दौरान 350 किसानों को जेल में डाला गया था, हालांकि 15-16 दिन बाद किसानों को छोड़ा दिया गया था।
किसान बोले, राष्ट्रीय औसत से भी कम है आय
किसानों का कहना है कि देश में ज्यादातर किसानों की आय राष्ट्रीय औसत से कम है, उनको अगर उपज (Ointment Not Only Injuring The Government) का भी सही मूल्य नहीं मिलेगा तो वे कैसे बचेंगे। आज किसान कम उत्पादन करने पर भी मरते हैं और अधिक उत्पादन करने पर भी। केंद्र सरकार या राज्य सरकारें दावा कुछ भी करें लेकिन हकीकत यही है कि देश का किसान आज सड़क पर संघर्ष करने को मजबूर है। भाजपा सरकार पिछले साढ़े चार साल से किसानों की आय दोगुनी करने का ढिंढोरा पीट रही है। लेकिन हकीकत ये ही है कि किसानों के दर्द पर मरहम लगाने वाला कोई नहीं है।
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