जनता के सेवक बनें अधिकारी

Chhattisgarh Collector, Collector Misuse of Power

अब छत्तीसगढ़ सरकार ने सूरजपुर जिले के कलेक्टर को एक व्यक्ति के थप्पड़ मारने, मोबाइल तोड़ने व साथ तैनात पुलिस कर्मियों से पिटवाने के मामले में ड्यूटी से हटा दिया है। घटना की वीडियो आग की तरह वायरल हो गई, उसी तीव्रता से राज्य के सीएम ने कलेक्टर के खिलाफ कार्रवाई की, जिससे स्पष्ट है कि अधिकारी का व्यवहार बेहद घटिया व लापरवाही वाला था। दरअसल उक्त युवक लॉकडाउन में दवा लेने जा रहा था, रोजाना की चैकिंग दौरान कलेक्टर ने अपने पुलिस कर्मचारियों को कहकर पहले लड़के को रोका, फिर उसे दवा की पर्ची दिखाने के लिए कहा। भले ही लड़के की कोई गलती भी हो लेकिन एक जिम्मेवार लोकसेवक का इस प्रकार मारपीट पर तत्पर हो जाना कानून व इंसानियत के खिलाफ है।

आजकल कई मामलों में सोशल मीडिया बेहद मददगार साबित हो रहा है, वीडियो वायरल होने के चंद मिनटों में प्रशासनिक खामियां करोड़ों लोगों तक पहुंच जाती हैं, लेकिन मामला एक अधिकारी को हटाने से हल होने वाला नहीं बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों में एक भावना पैदा करने व उन्हें उनके कर्तव्य सिखाने की आवश्यकता है, वे अपनी ड्यूटी धौंस जमाना ना समझें, जनता के सेवक बनकर ड्यूटी करें। कानून को लागू करने के लिए सख्ती जरूरी है लेकिन निरीक्षण के दौरान किसी अधिकारी का आम नागरिकों से दुर्व्यवहार, मारना-पीटना उचित नहीं। यह बात मंत्रियों व प्रशासिनक अधिकारियों को समझनी होगी कि कानून लागू करने के वक्त जनता के अधिकारों व सम्मान के प्रति भी जागरूक रहें।

दरअसल शुरूआत राजनेताओं से हो, नेता चुनाव जीतने के बाद आम जनता से इतनी दूरी बना लेते हैं कि पद अहंकार में बदल जाता है। आम आदमी की नेताओं तक पहुंच नहीं पाती, राजनीति का यही प्रभाव देखा-देखी प्रशासनिक अधिकारियों तक जाता है, वे भी खुद को आम लोगों से ऊपर समझने लगते हैं। अधिकारियों द्वारा आम आदमी की अनदेखी करना चलन हो गया है। हालांकि कुछ ऐसे भी अधिकारी हैं जो ड्यूटी अनुसार जनता को समर्पित हैं। ताजा मिसाल पंजाब हरियाणा के अधिकारियों की है जिन्होंने लॉकडाउन दौरान अपनी, जेबों से पैसा खर्च करके जरूरतमन्दों को राशन और अन्य आवश्यक वस्तुएं मुहैया करवाई हैं। लाचारों को अस्पताल में खुद उठाकर पहुंचाया है। लेकिन अधिकतर हाल यही है कि अंग्रेजों के चले जाने के बावजूद उनकी सनक भरा रवैया आज भी अधिकारियों में मौजूद है। बुरा व्यवहार करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई में छत्तीसगढ़ मिसाल बन गया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि आम लोगों से बुरे व्यवहार की कोई अन्य घटना न दोहराई जाए।

 

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