Parliament Session: संसद के शीतकालीन सत्र में सियासी गर्मी को साफ-साफ महसूस किया जा सकता है। संसद में अडानी के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग और संभल हिंसा सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण कार्यवाही बाधित रही। संसद का शीतकालीन सत्र बीती 25 नवंबर से शुरू हुआ, लेकिन कार्यवाही शुरू होते ही यह विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ गई। Parliament Session
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अडानी को लेकर हंगामा खड़ा करने की कोशिश की। विपक्ष के हंगामे के बीच लगातार संसद का कामकाज प्रभावित हो रहा है। संसदीय प्रक्रिया को नजरअंदाज करते हुए विपक्ष विभिन्न मुद्दों पर पर तत्काल चर्चा करने पर अड़ा हुआ है। 20 दिसंबर तक चलने वाले शीतकालीन सत्र को 20 दिसंबर तक चलना है, लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण ऐसा प्रतीत होता है कि बिलों को पास कराने में सरकार को खासी मशक्कत करनी पड़ेगी।
न्यूयॉर्क फेडरल कोर्ट ने भारत के शीर्षस्थ उद्योगपति गौतम अडानी और 7 अन्य आरोपितों के खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट जारी किए हैं। अमेरिकी निवेशकों, एजेंसियों और बैंकों को गुमराह करने, बेईमानी करने, धोखा देने और भारत में करीब 2200 करोड़ रुपए की घूसखोरी को छिपाने जैसे गंभीर आरोप अडाणी समूह पर हैं। हालांकि समूह ने आरोपों को गलत और बेबुनियाद करार दिया है। Parliament Winter Session
संसद की प्रत्येक कार्रवाई पर हर एक मिनट में ढाई लाख रुपये खर्च
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो संसद की प्रत्येक कार्रवाई पर हर एक मिनट में ढाई लाख रुपये खर्च हो जाते हैं। इसका मतलब है कि एक घंटे में यह आंकड़ा डेढ़ करोड़ रुपये खर्च हो जाता है। संसद सत्र के 7 घंटों में से एक घंटे लंच के हटा भी दिए जाएं तो 6 घंटे के हिसाब से 9 करोड़ रुपये का प्रतिदिन खर्च होता है। अगर इन 6 घंटों में सिर्फ शोर-शराबा हो, हंगामा होता रहे तो आप इसे नुकसान नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे। यही इकोनॉमी को डेंट है और टैक्सपेयर्स के पैसे की बबार्दी है।
संसद सत्र लोकतंत्र का वह महत्वपूर्ण अंग है, जहां जनहित के मुद्दे उठाए जाते हैं और आम आदमी की भलाई के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाई और लागू की जाती हैं। यह वह मंच है, जहां देश के विकास, आर्थिक प्रगति और सामाजिक सुधारों से जुड़े कानूनों पर चर्चा होती है। साथ ही, यह सरकार की जिम्मेदारी और जवाबदेही सुनिश्चित करने का एक माध्यम भी है। Parliament Winter Session
संसद का हर सत्र देश के विकास में एक नया अध्याय जोड़ने का अवसर
संसद का हर सत्र देश के विकास में एक नया अध्याय जोड़ने का अवसर होता है। लेकिन वर्तमान समय में संसद सत्रों के कामकाज में रुकावटें और अवरोध एक गंभीर समस्या बन गई हैं। विपक्ष, अक्सर अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए, सत्रों को बाधित करता है। हंगामा, बहिर्गमन और कार्यवाही को स्थगित करने जैसी रणनीतियों का उपयोग अक्सर देखा गया है। इससे न केवल महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा बाधित होती है, बल्कि जनता की अपेक्षाएं भी अधूरी रह जाती हैं।
इस प्रकार का रवैया केवल राजनीतिक स्वार्थ को दर्शाता है और लोकतंत्र की मूल भावना को कमजोर करता है। संसद की कार्यवाही बाधित होने से जनता के महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक कल्याण की अनदेखी होती है। जनप्रतिनिधियों का यह दायित्व है कि वे जनता के हितों को सर्वोपरि रखते हुए अपने मतभेदों को एक सकारात्मक दिशा में ले जाएं।
आम आदमी की आवाज को बुलंद करने का माध्यम | Parliament Winter Session
पक्ष और विपक्ष दोनों को समझना चाहिए कि संसद का मंच उनकी व्यक्तिगत या राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नहीं है। यह देश के आम आदमी की आवाज को बुलंद करने और उनके जीवन को बेहतर बनाने का माध्यम है। यदि सत्र केवल हंगामे और राजनीति का अखाड़ा बनकर रह जाएगा, तो इससे देश के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जरूरी है कि संसद सत्रों में पारदर्शिता और सार्थक संवाद को प्राथमिकता दी जाए।
पक्ष और विपक्ष को अपने विवादों को तर्कसंगत तरीके से सुलझाना चाहिए और जनहित के मुद्दों पर एकजुट होकर काम करना चाहिए। सत्तारूढ़ दल को भी विपक्ष की वैध चिंताओं को ध्यान में रखते हुए उनके साथ संवाद स्थापित करना चाहिए। लोकतंत्र में वाद-विवाद और असहमति स्वाभाविक हैं, लेकिन यह आवश्यक है कि ये असहमति सकारात्मक और रचनात्मक रूप से व्यक्त की जाएं। संसद सत्रों को ठप करने की प्रवृत्ति न केवल संसदीय परंपराओं का अपमान है, बल्कि यह जनता के प्रति एक बड़ी जिम्मेदारी का उल्लंघन भी है।
संसद वास्तव में लोकतंत्र के मंदिर के रूप में अपनी भूमिका निभा सकेगी
यदि पक्ष और विपक्ष दोनों संसद को अपनी राजनीतिक रणनीतियों से दूर रखते हुए केवल जनहित और राष्ट्रीय कल्याण को प्राथमिकता दें, तो संसद वास्तव में लोकतंत्र के मंदिर के रूप में अपनी भूमिका निभा सकेगी। यह तभी संभव है, जब सभी राजनीतिक दल संसद के महत्व को समझें और अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वहन करें। संसद सत्र केवल बहस के लिए नहीं, बल्कि समाधान खोजने और देश को प्रगति के पथ पर ले जाने का एक माध्यम है। देश के हर नागरिक की अपेक्षा है कि उनके प्रतिनिधि संसद में उनकी समस्याओं का समाधान करें, न कि राजनीतिक लाभ के लिए उसे बाधित करें। अब समय आ गया है कि पक्ष और विपक्ष दोनों अपनी जिम्मेदारियों को समझें और संसद को राजनीति का अखाड़ा बनाने की बजाय, इसे लोकतंत्र का आदर्श मंच बनाएं। Parliament Winter Session
रोहित माहेश्वरी (यह लेखक के अपने विचार हैं)
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