जुलाना (सच कहूँ/ कर्मबीर)। कोरोना के दौरान (Corona Period) जहां लोग घर से बाहर निकलने में भी कतराते थे। ऐसे में कोरोना के दौरान स्वास्थ्य विभाग में ड्यूटी पर तैनात नर्सों ने अहम योगदान दिया और कोराना पर जीत हासिल की। नर्सों की हिम्मत और ज़ज्बे को देखते हुए कई बार सामाजिक संगठनों ने नर्सों को सम्मानित किया और कोरोना योद्धा का अवार्ड भी दिया गया। कोरोना के दौरान नर्सों ने गाँवों में जाकर लोगों को कोरोना की जांच और वैक्सीन लगवाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अभियान में अहम् योगदान निभाया। नर्सों ने कोरोना के दौरान जो जिम्मेवारी निभाई उन्हीं की नजर से जानते हैं।
जुलाना के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में नर्स के पद पर कार्यरत नर्स अमिषा ने बताया कि कोरोना के दौरान वो कई बार संक्रमित भी हुई, फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और नेगेटिव रिपोर्ट आते ही फिर से मरीजों की सेवा की। उन्होंने मानवता का फर्ज निभाते हुए अपनी ड्यूटी निभाई।अमिषा, नर्स।
सीएचसी ललित खेड़ा में नर्स के पद पर कार्यरत सतवंती ने बताया कि कोरोना के दौरान वो संक्रमित होने पर काफी दिन तक घर भी नहीं गई और अपने परिवार से पहले मरीजों की सेवा की और कोरोना (Corona Period) की लड़ाई में स्वास्थ्य विभाग की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंनें लोगों को जागरूक करने में अहम् योगदान दिया। जिस पर कई सामाजिक संगठनों ने उन्हें सम्मानित किया। वो अपनी ड्यूटी से बेहद खुश हैं।
सतवंती नर्स।
किलाजफरगढ़ निवासी नर्स बबीता ने बताया कि कोरोना के दौरान उन्होंने लोगों को काफी वैक्सीन की और मरीजों के सैंपल भी लिए। कई बार तो डर भी लगा, लेकिन अपनी ड्यूटी के आगे उन्होंने डर को पीछे रखा और पूरी कर्तव्य निष्ठा से अपनी ड्यूटी निभाई।
बबीता नर्स किलाजफरगढ़।
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