Small Savings Schemes: भारत सरकार समय-समय पर देश के नागरिकों की बचत और निवेश योजनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न लघु बचत योजनाओं की ब्याज दरों में बदलाव करती है। परंतु, हाल ही में किए गए निर्णय में सरकार ने घोषणा की है कि लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। यह कदम न केवल मौजूदा आर्थिक स्थिरता का प्रतीक है बल्कि निवेशकों के विश्वास को बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस लेख में हम जानेंगे कि लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में बदलाव न करने के क्या कारण हो सकते हैं, इसका क्या असर होगा, और कौन-कौन सी योजनाएं इसके अंतर्गत आती हैं।
लघु बचत योजनाएं: क्या हैं और क्यों हैं महत्वपूर्ण? Small Savings Schemes
लघु बचत योजनाएं भारत में एक महत्वपूर्ण निवेश विकल्प हैं जो आम नागरिकों को अपने भविष्य के लिए धन संचय करने का अवसर देती हैं। ये योजनाएं विशेष रूप से उन लोगों के लिए होती हैं जो सुरक्षित और सरकारी गारंटी वाले निवेश साधनों की तलाश में होते हैं। इन योजनाओं में पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ), सुकन्या समृद्धि योजना, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना, राष्ट्रीय बचत प्रमाण-पत्र (एनएससी) और डाकघर बचत योजनाएं शामिल हैं। ब्याज दरों में बदलाव क्यों नहीं किया: हालांकि यह परंपरा रही है कि सरकार हर तिमाही में लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों की समीक्षा करती है, हालिया तिमाही के लिए दरों को स्थिर रखा गया है। इस निर्णय के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
1. महंगाई और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण: ब्याज दरें अक्सर मुद्रास्फीति के अनुरूप बदलती हैं। यदि महंगाई अधिक होती है तो ब्याज दरें बढ़ाई जा सकती हैं, और अगर कम होती है तो घटाई जा सकती हैं। वर्तमान में, महंगाई दर सरकार के नियंत्रण में है, इसलिए ब्याज दरों में बदलाव की आवश्यकता महसूस नहीं की गई।
2. बाजार में स्थिरता: हाल के दिनों में आर्थिक गतिविधियों में स्थिरता आई है। कोविड-19 महामारी के बाद अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे सुधार की ओर बढ़ रही है। सरकार चाहती है कि निवेशक आर्थिक सुधार के इस दौर में निरंतरता बनाए रखें।
3. रिस्क और रिटर्न का संतुलन: लघु बचत योजनाएं सुरक्षित निवेश के रूप में मानी जाती हैं। अगर ब्याज दरों में अचानक से वृद्धि की जाती है तो अन्य निवेश विकल्पों के प्रति आकर्षण कम हो सकता है, और यदि घटाई जाती है तो बचत योजनाओं की लोकप्रियता घट सकती है।
4. सरकारी वित्तीय दायित्व: यदि ब्याज दरें बढ़ा दी जातीं, तो इससे सरकार पर वित्तीय दायित्वों का बोझ भी बढ़ जाता। इसका सीधा असर सरकार की उधारी पर भी पड़ सकता था।
कोई बदलाव नहीं हुआ
पब्लिक प्रोविडेंट फंड : पीपीएफ एक दीर्घकालिक निवेश योजना है जिसमें मौजूदा ब्याज दर 7.1% वार्षिक है। यह योजना कर छूट के साथ सुरक्षित रिटर्न प्रदान करती है। सरकार ने पीपीएफ की ब्याज दर को अपरिवर्तित रखा है, जिससे निवेशकों को स्थिरता और सुरक्षा मिलेगी।
सुकन्या समृद्धि योजना: बालिकाओं के लिए यह योजना बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें 8% की ब्याज दर है और सरकार ने इसमें भी कोई बदलाव नहीं किया है। इस योजना का उद्देश्य बालिकाओं की उच्च शिक्षा और विवाह के लिए धन संग्रह करना है।
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना: यह योजना वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक सुरक्षित विकल्प है, जो 8.2% की दर से ब्याज देती है। इस पर भी ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
राष्ट्रीय बचत प्रमाण-पत्र: एनएससी 7.7% की वार्षिक ब्याज दर प्रदान करता है। यह कर-छूट और सुरक्षित निवेश के लिए जाना जाता है। सरकार ने इस योजना की ब्याज दर को भी यथावत रखा है।
डाकघर बचत योजनाएं: डाकघर बचत खातों और अन्य संबंधित योजनाओं की ब्याज दरें भी स्थिर रखी गई हैं। इन योजनाओं का ब्याज दर अन्य बचत योजनाओं की तुलना में अपेक्षाकृत कम होती है, लेकिन यह पूरी तरह से सुरक्षित होती हैं। इस निर्णय का प्रभाव
वित्तीय संतुलन पर प्रभाव नहीं
ब्याज दरों को स्थिर रखने से सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं आएगा, और इसका लाभ सरकार की वित्तीय स्थिति को स्थिर रखने में मिलेगा।
निवेशकों को स्थिरता: ब्याज दरों में स्थिरता निवेशकों के लिए राहत की बात है। उन्हें अपने निवेश से संबंधित किसी अप्रत्याशित बदलाव का सामना नहीं करना पड़ेगा, और वे अपने भविष्य की वित्तीय योजनाओं को उसी आधार पर जारी रख सकते हैं।
सुरक्षित निवेश का प्रोत्साहन: लघु बचत योजनाएं, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो जोखिम भरे निवेश से बचते हैं, एक सुरक्षित और निश्चित आय का स्रोत हैं। ब्याज दरों में स्थिरता से इन योजनाओं में निवेश करने वालों का विश्वास और मजबूत हुआ है।