मुंबई। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने बैंकों का फंसा कर्ज 9.6 प्रतिशत तक पहुंच जाने को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि एक तय समय सीमा में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की समस्या सुलझाने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नई पूंजी डालने की जरूरत है। पटेल ने उद्योग एवं वाणिज्य संगठन सीआईआई द्वारा यहां आयोजित सम्मेलन में वित्त मंत्री अरुण जेटली की उपस्थिति में बैंकरों एवं उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा कि फंसे ऋण का 9.6 फीसदी के स्तर पर पहुंच जाना अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रणाली में मार्च 2017 में सकल एनपीए अनुपात 9.6 फीसदी पर तथा संकटग्रस्त संपत्तियों की वृद्धि का अनुपात 12 प्रतिशत पर पहुंच गया।
सार्वजनिक बैंकों की बैलेंस शीट उनके फंसे ऋण का समाधान कर पाने के लिए पर्याप्त नहीं
पिछले कुछ सालों में इस अनुपात का लगातार उंचे स्तर पर बने रहने के मद्देनजर यह चिंता की बात है। पटेल ने स्वीकार किया कि अधिकांश सार्वजनिक बैंकों की बैलेंस शीट उनके फंसे ऋण का समाधान कर पाने के लिए पर्याप्त नहीं है। ऐसे में उनमें नई पूंजी डालने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि सार्वजनिक बैंकों को एक तय समयसीमा में अपेक्षित पूंजी जुटाने में सक्षम बनाने योग्य कदमों की तैयारी के लिए सरकार और रिजर्व बैंक बातचीत कर रहे हैं।
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