पिछले सप्ताह ही 48 बसे आई जिनमें से अधिकतर बसों की हालत खराब
कैथल (सच कहूँ/कुलदीप नैन)। Haryana Roadways: कैथल डिपो में पिछले सप्ताह बीएस-6 तकनीक के बदले बीएस-तीन और चार तकनीक की आई 48 बसों में से 38 बसें अशोका लीलैंड कंपनी की हैं। इन बसों की हालत काफी खस्ताहाल है। अधितकर बसों में अनेक खामियां है। कोई चलती चलती रुक जाती है तो किसी की खिड़कियां नहीं बंद हो रही। अब डिपो में आई इन अशोका लीलैंड कंपनी की बसों को ठीक करने के लिए इस समय वर्कशॉप में कर्मी नहीं है। रोडवेज अधिकारियों के मुताबिक अगले हफ्ते मैकेनिक बुलाए जाएंगे जो इनको ठीक करेंगे। ऐसे में अभी तक यह बसें एक सप्ताह के अंदर भी ठीक नहीं हो पाई हैं। Kaithal News
बता दें कि कैथल डिपो में 48 बसे एनसीआर क्षेत्र से आई है जिसमें से 20 बसें खराब हैं और अभी तक ठीक नहीं हुई है। गौरतलब है कि कैथल डिपो की वर्कशॉप में टाटा कंपनी की बसें ठीक करने के ही मैकेनिक है। ऐसे में रोडवेज बेड़े में बसों की पर्याप्त संख्या होने के बावजूद रूट पर बसों के कम होने से यात्रियों की परेशानियां लगातार बढ़ रही है। इसी बीच शुक्रवार शाम के समय प्रदेश के परिवहन मंत्री अनिल विज ने भी औचक निरीक्षण किया था। इस निरीक्षण में मंत्री को भी कई खामियां मिली थी। ऐसे में दो कर्मचारियों को निलंबित किया गया गया था। इसमें एक बस अड्डा के संस्थान प्रबंधक व दूसरा चालक शामिल था।
बीच रास्ते में ही रही बंद | Kaithal News
रोडवेज कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारी परिचालक बलवान कुंडू ने बताया कि कैथल डिपो में आई बीएस-3 व 4 तकनीक की बसें रोडवेज अधिकारियों ने स्थानीय रूटों पर भेजना शुरू किया है। यह बसें अधिक खराब होने की स्थिति में यात्रा के दौरान बीच रास्ते ही बंद हो रही है। ऐसे में चालक और परिचालक के साथ बस में सवार यात्री भी परेशान रहते हैं।
लापरवाही में हो सकता है बड़ा हादसा
वर्कशॉप में बस ठीक कर रहे रोडवेज के एक चालक और परिचालक नने बताया कि इन बसों में कभी ब्रेकडाउन तो कभी गियर में समस्या आ रही है। इन तीन दिन में अब तक कई बसें बीच रास्ते में रुक गई हैं। वहीं न तो इनकी खिड़की बंद हो रही है और न ही सीटें दुरुस्त है। चालक के पास वाली खिड़की की नीचे से बॉडी बिल्कुल गल चुकी है। आगे सर्दी शुरू हो रही है अगर चालक के पांव ही सर्दी मान गए तो फिर बस कैसे आगे बढ़ेगी और इससे कोई भी बड़ा हादसा होने की संभावना है। Kaithal News
बसों में खामियां ही खामियां
कैथल डिपो में आई सभी पुरानी बसों की खिड़की, टूटी पड़ी है। कई खिड़कियों पर जंग लगा हुआ है। कोई फर्स्ट एड बॉक्स की सुविधा नहीं है। आग बुझाने वाले यंत्र एक्सपायर हो चुके है। बॉक्स भी सही से काम नहीं कर रहे है। फॉग लाइटें नहीं है।
कवर खराब हो चुके हैं। कई बसों की बॉडी भी जर्जर हो चुकी है।
अशोक लीलेंड की कुछ बसे खराब है। जिनको ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है। अगले हफ्ते मैकेनिक भी बुलाए गए है। जनता को कोई परेशानी नहीं आने दी जाएगी।
-कमलजीत चहल, रोडवेज महाप्रबंधक कैथल
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