आलू उत्पादक किसानों को पहुंचा था नुक्सान, दो रूपए किलो बेचा था आलू
सनौर (वरिन्दर बल्लू)। इस साल का सब्जी सीजन किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हुआ। पहले आलू उत्पादक किसानों को भाव न मिलने के कारण निराशा का सामना करना पड़ा। आलू खुदाई के दौरान बारिश ने फसल को नुक्सान पहुंचाया। इसके बाद फसल का उचित मूल्य नहीं मिला। बेशक आलू 4 से 5 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकता रहा लेकिन बाद में 2 रुपए किलो के हिसाब से ही आलू की बिक्री हुई। इतनी कम कीमत से तो आलू की फसल पर हुए खर्च को भी पूरा नहीं किया जा सकता था।
पुण्य करना बेहतर समझा
किसान करनैल सिंह अनुसार भिंडी व मिर्च को तोड़ने के लिए सात रुपए प्रति किलो के हिसाब से मजदूरी और मेहनत भी ज्यादा करनी पड़ती है। कई किसानों ने अपनी घीया व कददू की सब्जी को गौशाला में ही भेज दिया है। किसानों का कहना था इतने कम रेट से कुछ पल्ले नहीं पड़ता। कम से कम गौशाला में सब्जी भेजने से पुण्य का काम ही करना सही है।
घाटा पड़ना कोई नई बात नहीं
सब्जियों के रेट में आई भारी गिरावट संबंधी जब किसान रुपिन्दर सिंह जोशन और जसबीर सिंह से बातचीत की तो उन्होंने कहा उनका परिवार पिछली कई पीढ़ियों से सब्जी की काश्त कर रहा है। सब्जियों के रेट में इतनी गिरावट आना कोई नई बात नहीं, लेकिन आज के महंगाई के दौर में फसल पर होने वाले खर्च इतने बढ़ हो गए हैं कि फसल से होने वाले घाटे को बर्दास्त नहीं किया जा सकता।
ये भाव बिक रही सब्जियां
- घीया 5 से 7 रुपए
- खीरा 3 से 5 रुपए
- कददू 3 से 4 रुपए
- भिंडी 12 से 15 रुपए
- मिर्च 10 से 12 रुपए
अनदेखा करने का आरोप
किसानों ने इस फसलों पर मंडराए संकट के लिए केंद्र व राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि समय की सरकारों ने किसानी मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने पंजाब सरकार व केंद्र सरकार से सब्जियों के रेट निर्धारित करने व पाकिस्तान से निर्यात की जाने वाली सब्जी पर पाबंदी लगाने की मांग की।
पहले तोरी के अच्छे रेट मिले थे
किसान रूपिन्द्र सिंह जोशन ने बताया अब मौजूदा समय में उन्होंने लगभग तीन एकड़ में तोरी की काश्त की गई है। तोरई 2 से 3 रुपए प्रति किलो बिक रही है, जोकि बहुत ही कम है। इस रेट से तो उनकी फसल पर लागत भी पूरी नहीं होती। उन्होंने बताया कि पिछले दो सालों में तोरई की फसल का रेट ठीक रहा था जिसे देखकर इस बार किसानों ने इस फसल की अधिक पैदावार की।
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