Care Takers : अब आसान होगी दिव्यांग विद्यार्थियों की राह! सरकारी स्कूलों को मिलेंगे केयर टेकर

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भूपेश शर्मा

समावेशी शिक्षा के तहत सरकारी स्कूलों में जल्द ही केयरटेकर की व्यवस्था की जाएगी। बता दें कि इस साल जारी बजट में 10 दिव्यांग विद्यार्थियों(disabled students) के नामांकन वाले विद्यालय को केयरटेकर की सुविधा उपलब्ध करवाने की घोषणा की गई है जिसके चलते राज्य भर के सरकारी स्कूलों में दिव्यांग विद्यार्थियों के पढ़ने के लिए राह आसान हो सकेगी। उल्लेखनीय है कि केयरटेकर एक गैर शैक्षणिक पद होता है जिसका कार्य दिव्यांग विद्यार्थियों की मदद और देखभाल करना है। जबकि इन बच्चों के शिक्षण की व्यवस्था सामान्य और विशेष शिक्षकों द्वारा मिलकर को जाती है। Rajasthan News

फिलहाल 7 स्कूलों में हो रही पढ़ाई

प्रदेश में राजधानी स्थित दक्षिण एशिया के नामचीन मूकबधिर विद्यालय सहित 7 राजकीय विशेष विद्यालय अजमेर, उदयपुर, बांसवाड़ा, बीकानेर और जोधपुर में संचालित है जिनमे हजारों दिव्यांग विद्यार्थी अध्ययनरत है जिन्हें विशेष शिक्षकों द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा रही है।

इन 6 जिलों में प्रस्तावित है विशेष विद्यालय

हालांकि दिव्यांग विद्यार्थियों के शिक्षण हेतु सामान्य स्कूलों में व्यवस्था की जाती है परंतु परंपरागत शिक्षण में विशेष विद्यालयों का भी अलग महत्व है जिसके चलते जोधपुर, अजमेर, चुरू, भरतपुर, कोटा और पाली संभाग पर 6 आवासीय दिव्यांगजन विद्यालय खोले जाना प्रस्तावित है।

प्रदेश में विशेष शिक्षा के पदों का गणित | Rajasthan News

पद का नाम स्वीकृत रिक्त
छ1 विशेष शिक्षा- 3584 शून्य
छ2 विशेष शिक्षा- 1493 12
वरिष्ठ अध्यापक- 1058 856
व्याख्याता विशेष शिक्षा- प्रक्रियाधीन

“राज्य सरकार सामान्य तथा दिव्यांग दोनों श्रेणी के विद्यार्थियों की शिक्षा को लेकर बेहद गंभीर है। राज्य में प्राध्यापक (विशेष शिक्षा) का नया पद सृजन और केयर टेकर की व्यवस्था होने से सरकारी स्कूलों में दिव्यांग विद्यार्थियों के नामांकन में बढ़ोतरी होगी।”
पवन कुमार शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान विशेष शिक्षक संघ

एक्सपर्ट व्यू | Rajasthan News

“समावेशी शिक्षा में भी 11वीं-12वीं के विद्यार्थियों के लिए विषय तथा विशेष आवश्यकताओं जैसे ब्रेल, साइन लैंग्वेज, ऑडियो किताबें, टीचिंग ऐड व प्रत्यय निर्माण आदि की पूर्ति हेतु प्राध्यापक की महत्ती आवश्यकता है। केयर टेकर की व्यवस्था से इन बच्चों की सामान्य स्कूलों में पढ़ाई और आसान होगी।”
-भूपेश शर्मा, समन्वयक, जिला दिव्यांगता प्रकोष्ठ, श्रीगंगानगर

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