देश की अखंडता को अपनी पूर्णत: में समाहित करने में जुटी भाजपा की केंद्र सरकार ने अंतत: जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीयता का ध्वजारोहण कर दिया। कुछ अरसे से राज्य के घटनाक्रम में छिपे संदेहों और अफवाहों को शांत करते हुए केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के एक साथ कई ताले खोले और इस तरह अनुच्छेद 370 और 35-ए की जंजीरें भी खुल गई। अब जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ लद्दाख एक अलग केंद्र शासित राज्य होगा, जबकि अब तक का विशेष राज्य दर्जा खत्म हो गया। ऐसे में देश के हर भाग में एक राष्ट्र, एक विधान तथा एक निशान देखने का शपथ पत्र, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पारित होने से मुकम्मल हो गया।
इस आधार पर अनुच्छेद दो से पांच में दिए गए अधिकारों के तहत केंद्र सरकार इस पारित बिल के जरिए संशोधन करेगी। वहां के नागरिकों को सभी मौलिक अधिकार हासिल होंगे। महिलाओं और पुरुषों को समानता का मूल अधिकार मिलेगा। जाति, धर्म, मूल, वंश या लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकेगा। मुख्यधारा में शामिल होने का मौका मिलेगा। छुआछूत प्रभावी नहीं होगा। सभी को राज्य में अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार हासिल होगा। सारांश में यह भारतीय संविधान का सार्थक विस्तार होगा। उसके तहत कश्मीरी लड़की के गैर-कश्मीरी से विवाह करने पर उसे पैतृक संपत्ति, जमीन-जायदाद से वंचित नहीं रखा जा सकेगा। इसकी सार्वजनिक घोषणा भी की जाए।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले जम्मू-कश्मीर में भी मान्य होंगे। 370 वाले कश्मीर में सरकारें और सियासत इन राष्ट्रीय प्रतिष्ठानों को मान्यता ही नहीं देती थीं। अब जम्मू-कश्मीर का अपना झंडा और संविधान नहीं होगा, बल्कि वहां भी तिरंगा फहराया जाएगा। एक हिंदुस्तान, एक प्रधान, एक विधान, एक निशान का डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का स्वप्न प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने साकार किया है। जाहिर तौर पर जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक तथा राजनीतिक परिस्थितियां अब ऐसे मुकाम पर पहुंचेंगी, जहां राष्ट्र के संबोधन बदल चुके हैं। वास्तव में कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक का नारा बुलंद हुआ, तो इसके भीतर बिछी राजनीतिक चांदनी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी के आगे विपक्ष को चारों खाने चित होने का एक और झटका लग रहा है।
विश्व समुदाय के सामने भारतीय राजनीति की चुनौतियां हमेशा से कश्मीर की दुखती रग दबाती रही हैं, तो इस आधार पर यह आपरेशन की तरह किया गया फैसला है। एक निर्णायक राष्ट्र होना भारतीयता के स्वाभाविक लक्षण को इतना मजबूत तो कर ही रहा है कि हतप्रभ संसार के सामने भारत की संप्रभुता मुकम्मल दिखाई दे रही है, जबकि पाकिस्तान को केवल अपनी बगलें झांकने के सिवाय सोचने-समझने का मौका भी नहीं मिल रहा।
अनुच्छेद 370 को हटाने का निर्णय साहसिक और कूटनीतिक सूझबूझ के साथ लिया गया है। इस नासूर का आपरेशन कर कश्मीर को इस आतंकवाद के रोग से मुक्त कर विकास के मार्ग पर चलने का रास्ता खोल देने के लिए मोदी सरकार बधाई की हकदार है। गत 70 वर्षों से इस प्रदेश की खुशहाली को घाटी में बैठे दो परिवार और केंद्र में लंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस सरकारों ने भी इस पक्षपातपूर्ण अनुच्छेद को हटाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए। वे आज भी अपनी राजनीतिक मजबूरी के चलते इसका विरोध कई तर्क-कुतर्क देकर खुद की जमीन तलाशने में लगे हैं, जबकि इस राष्ट्रीय समस्या के लिए वे स्वयं जिम्मेदार रहे हैं। अब इस अनुच्छेद के खत्म होने से पूरे प्रदेश को पंचायतों के पूरे अधिकार मिलेंगे, निवेश होगा, उद्योग लगेंगे, टूरिज्म बढ़ेगा और सबसे बड़ी बात यह कि जो घाटी के युवकों को आतंकवाद के रास्ते पर चलने को आज तक उकसाते रहे हैं और अपना उल्लू सीधा करते रहे हैं, उनकी दुकानों पर अब ताले लग जाएंगे। घाटी एक बार पुन: अपनी पुरानी सूफियाना तहजीब को हासिल करेगी।
हमेशा ये कहा जाता है कि सरकार सत्ता में आकर अपने वादे पूरे नहीं कर रही। इस कथन को बीजेपी सरकार ने झूठा करार दिया। पहले तीन तलाक का वादा पूरा करना, मुस्लिम औरतों को न्याय दिलाना फिर धारा 370 को खत्म करने का वादा। यह एक सकारात्मक फैसला है, जो सरकार ने लिया है। एक तरह से इससे केंद्र प्रशासित जम्मू-कश्मीर का विकास होगा।
परिवर्तन संसार का नियम है, अगर परिवर्तन न हो तो संसार का चक्र थम जाता है। धारा 370 और 35-ए के खत्म होने से कश्मीर में आतंकवाद पर लगाम लगेगा और घाटी में शांति स्थापित होगी इससे पड़ोसी देश पाकिस्तान को भी खेल खेलने में नहीं बनेगा। वहां के अलगाववादी नेताओं के बच्चे विदेशों में तालीम हासिल कर रहे हैं और गरीबों के बच्चे कम पैसे के लिए सेना पर पत्थर बरसा रहे थे। शासक का सख्त होना भी जरूरी है। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाने से संबंधित बिल राज्यसभा व लोकसभा में पास हो गया है। हालांकि, इसके प्रभावी होने में अभी थोड़ा समय लगेगा।
डॉ. श्रीनाथ सहाय