अब हरियाणा के कानूनों से हटेगा पंजाब का नाम!

Now Punjabs name will be removed from Haryanas laws!

विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्य सचिव और विधि विभाग के अधिकारियों संग की मंत्रणा

  • कानून सचिव की अध्यक्षता में गठित होगी उच्च स्तरीय कमेटी
चंडीगढ़ (सच कहूँ ब्यूरो)। अपनी स्थापना के 54 साल बाद हरियाणा अपने अधिनियमों से पंजाब का नाम हटाने जा रहा है। इसके लिए हरियाणा की विधान पालिका और कार्यपालिका मिल कर योजना पर काम कर रही है। इस संबंध में वीरवार को विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने प्रदेश की मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा, कानून एवं विधि निर्माण विभाग में कानून सचिव बिमलेश तंवर और विधानसभा के अवर सचिव विष्णु देव के साथ बैठक की और आवश्यक दिशा निर्देश दिए। बैठक में विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्य सचिव को कहा कि प्रदेश के सभी अधिनियम पंजाब की बजाय हरियाणा के नाम करने की योजना तैयार करें। इसके लिए जल्द ही कानून एवं विधि निर्माण विभाग की कानून सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित होगी। फिलहाल हरियाणा में करीब 237 ऐसे अधिनियम हैं, जो पंजाब के नाम से ही चल रहे हैं।Now Punjab's name will be removed from Haryana's laws!
विधानसभा अध्यक्ष इन सभी अधिनियमों से ‘पंजाब’ शब्द हटाना चाहते हैं। बता दें कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत वर्ष 1966 में हरियाणा राज्य का गठन किया गया था। तब पंजाब में जिन अधिनियमों का अस्तित्व था, वे ही हरियाणा में लागू रहे थे। व्यवस्था यह बनी थी कि अगले 2 वर्ष में हरियाणा अपनी जरूरतों के मुताबिक इनमें आवश्यक संशोधन कर सकेगा। अनावश्यक अधिनियमों को हटाने का अधिकार भी प्रदेश की विधानसभा को मिला है। हरियाणा को विरासत में जो अधिनियम मिले थे, वे सभी पंजाब के नाम पर थे और गत 54 वर्षों से हरियाणा की शासन व्यवस्था इन्हीं कानूनों के आधार पर चल रही है। इसके चलते प्रदेश की जनता और जनप्रतिनिधि इन कानूनों को हरियाणा के नाम पर करने की मांग करते रहे हैं।

प्रदेशवासियों के स्वाभिमान के लिए होगा बदलाव : ज्ञानचंद गुप्ता

विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि प्रदेश का गौरवशाली इतिहास रहा है। 1966 में स्थापना के बाद इस प्रदेश ने शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी विशिष्ट पहचान बनाई है। आर्थिक विकास की तीव्र रफ्तार से प्रदेश ने बुलंदियों को छुआ है। इसके बावजूद इसके सभी पुराने अधिनियम पंजाब के नाम पर ही है। उन्होंने कहा कि प्रमुख अधिनियमों में हरियाणा शब्द जुड़ने से यहां नागरिकों और जनप्रतिनिधियों में स्वाभिमान की भावना जागृत होगी, जो किसी भी आगे बढ़ते प्रदेश के लिए जरूरी है।

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