सावधान! अब पराली जलाई तो नहीं बिकेगी एमएसपी पर फसल

Kaithal
Stubble Burning: सावधान! अब पराली जलाई तो नहीं बिकेगी एमएसपी पर फसल

पोर्टल पर की जाएगी रेड एंट्री, आगामी 2 साल किसान अपनी फसल को नहीं बेच सकेंगे एमएसपी पर

कैथल (सच कहूं/कुलदीप नैन)। Stubble Burning: पराली जलाने वाले किसानों को सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि अब जिला प्रशासन सख्त हो गया है। जिस खेत में पराली जलेगी, उस खेत की मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर रेड एंट्री कर दी जाएगी। इसके बाद किसान को उस रेड एंट्री वाले खेत की गेहूं हो या धान की फसल नहीं बिक पाएगी। साथ ही एफआईआर भी दर्ज की जाएगी। जिले में में पराली जलाने वालों के विरुद्ध निगरानी की जा रही है। अब तक 97 लोकेशन पर पराली जलाने के मामले आए है, जिनपर किसानो को एक लाख 72 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया जा चुका है। Kaithal

बता दे कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पराली जलाने के मामले में कड़ा संज्ञान लिया जा रहा है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग तथा प्रशासन द्वारा लगातार किसानों को जागरूक किया जा रहा है कि वह किसी भी स्थिति में पराली में आग न लगाएं, बल्कि सरकार द्वारा रियायती दरों पर उपलब्ध करवाए गए कृषि यंत्रों की मदद से पराली का उचित प्रबंध करें।

कृषि उप निदेशक बाबू लाल ने बताया कि किसान पराली को या तो खेत में ही नष्ट करके खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं या उनके गट्ठे बनवाकर खरीद केंद्रों पर बेचकर आमदनी ले सकते हैं। वहीं पराली जलाने वाले किसानों की मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर रेड एंट्री की जाएगी जिससे भविष्य में वह किसान न तो अपनी धान की फसल बेच पाएंगे और न ही गेहूं की फसल बेच सकेंगे। किसानों को काफी रियायतें देने के बावजूद कुछ किसान पराली में आग लगने से बाज नहीं आ रहे हैं, जिस कारण सुप्रीम कोर्ट तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आरोपी किसानों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। Kaithal

अब तक 97 लोकेशन प्राप्त हुई है जिन पर जाकर संबंधित किसान को जुर्माना लगाया गया है। अभी तक कोई केस दर्ज नहीं किया गया। वहीं निर्देश प्राप्त हुए है कि आगे से पराली जलाने वाले खेत का रिकॉर्ड पोर्टल पर चढ़ाया जाएगा और उसकी फसल आगामी 2 साल तक एमएसपी पर नहीं बिकेगी। कर्मचारी और अधिकारी पूरे जिले में निगरानी भी रख रहे है और जागरूक भी एक रहे है। Kaithal
                                                                                            -बाबू लाल, कृषि उपनिदेशक, कैथल।

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