अब लिखित में किसान भेजेंगे सरकार को जवाब

Farmer-Protest

प्रदर्शन से हर दिन 3500 करोड़ रु. का नुक्सान: एसोचैम

  •  भारतीय किसान यूनियन के सदस्यों से कृषि मंत्री ने की वार्तालाप

नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसान संगठनों का आन्दोलन राष्ट्रीय राजधानी में 20 वें दिन भी जारी रहा। किसान संगठनों की ओर से दिल्ली की सीमाओं के निकट धरना प्रदर्शन जारी रहा। इस दौरान किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि सरकार की ओर से आए लिखित प्रस्ताव की तरह ही सरकार को जवाब लिखित में ही देंगे। किसानों ने फिर कहा कि सरकार को तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस ले लेना चाहिए।

किसान नेताओं ने कहा-सरकार कानूनों को वापिस लें

कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा है कि किसानों को आन्दोलन का रास्ता छोड़कर बातचीत से समस्या का समाधान करना चाहिए। दिल्ली की सीमाओं पर करीब चालीस किसान संगठनों की ओर से लगातार धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है और वे लम्बे समय तक संघर्ष की बात कह रहे हैं। उधर उद्योग मंडल एसोचैम ने मंगलवार को कहा कि किसानों के आंदोलन की वजह से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को ‘बड़ी चोट’ पहुंच रही है। एसोचैम ने केंद्र और किसान संगठनों से नए कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध को जल्द दूर करने का आग्रह किया है।

उद्योग मंडल के मोटे-मोटे अनुमान के अनुसार किसानों के आंदोलन की वजह से क्षेत्र की मूल्य श्रृंखला और परिवहन प्रभावित हुआ है, जिससे रोजाना 3,000-3,500 करोड़ रुपए का नुक्सान हो रहा है। इस बीच भारतीय किसान यूनियन (किसान) के सदस्यों ने कृषि भवन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की।

किसानों को भ्रमित कर रहा है विपक्ष : प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”किसानों को डराया जा रहा है। नए कृषि सुधारों के बाद उनकी जमीन पर दूसरे कब्जा कर लेंगे। क्या डेयरी वाला दूध लेने का कॉन्ट्रैक्ट करता है तो क्या गाय-भैंस या जमीन ले जाता है? दूध उत्पादन का कुल मूल्य अनाज और दाल के कुल मूल्य से भी ज्यादा होता है। आज देश पूछ रहा है कि ऐसी ही आजादी अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए। कृषि सुधारों की मांग कई सालों से की जा रही थी। अनेक किसान संगठन मांग करते थे। विपक्ष में बैठकर जो लोग किसानों को भ्रमित कर रहे हैं, वे अपनी सरकार के समय इन कृषि सुधारों के समर्थन में थे। लेकिन वे अपनी सरकार के समय फैसला नहीं ले पाए। मैं किसानों को बार-बार कहता हूं कि उनकी चिंताओं को समझाने के लिए सरकार 24 घंटे तैयार है।”

दो किसानों की मौत

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के कारण अभी तक कई किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे एक किसान की मंगलवार को मौत हो गई। इससे पहले सोमवार की देर रात को पटियाला जिले के सफेद गांव में एक सड़क हादसा हो गया, जिसमें दिल्ली से धरना देकर लौट रहे दो किसानों की मौत हो गई। इस हादसे में कई किसान घायल भी हो गए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जान गंवाने वाले दोनों किसानों का नाम लाभ सिंह और गुरप्रीत सिंह है।

किसानों की समस्या हल नहीं हुई तो अनशन करूंगा: हजारे

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए आंदोलन कर रहे किसानों की मांग पूरी नहीं की गयी तो वह भूख हड़ताल करेंगे।

विवश होने पर किसान अपने पशुओं को थाने में बांध देंगे। उत्तर प्रदेश से दिल्ली आ रहे किसानों को जगह जगह परेशान किया जा रहा है। राकेश टिकैत, किसान नेता

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