प्रशासन से मिली स्वीकृति
सरसा (सच कहूँ/सुनील वर्मा)। किन्नू की भरमार के बाद अब जिले के किसानों को अन्य फलों की ओर आकृष्ट करने की दिशा में उद्यान विभाग ने नई उड़ान भरी है। विभागीय कवायद के बाद किसानों की आंखों में भी अन्य फलों के माध्यम से समृद्धि हासिल करने का तस्सवुर दिखने लगा है और वे भी विभाग की मदद से इस दिशा में आगे आने लगे हैं। किन्नू के बाद अब उद्यान विभाग खजूर की पैदावार से किसानों की जेब भरने में जुटेगा और इसके लिए विभाग ने अपने स्तर पर पूरी कार्ययोजना तैयार कर ली है। इस कड़ी में उपमंडल ऐलनाबाद के प्रगतिशील किसान कपिल मित्तल परिवार में विभाग की ओर से यह क्रांतिकारी प्रायोगिक विधि आरंभ की गई है। Date Palm Farming
बरही किस्म बनेगी खुशहाली का आधार
जिले में खजूर को विकसित करने के लिए विभाग द्वारा किए गए प्रयासों की कड़ी में प्रयोगशाला में खजूर की ही 6 विभिन्न किस्मों पर गहन मंथन किया गया और आवश्यक शोध के बाद बरही किस्म को चुना गया। जिले के वातावरण के अनुकूल समझी गई बरही किस्म को अब प्रगतिशील किसान कपिल मित्तल की करीब साढ़े 17 एकड़ भूमि में विकसित किया जाएगा। इसके लिए विभाग की ओर से शासन की ओर से स्वीकृति भी ली गई है। चूंकि खजूर विकसित करने की विधि महंगी मानी जाती है।
यूं तो आंकड़ों के मुताबिक एक एकड़ में 110 पौधे लगाने की व्यवस्था रहती है मगर विभाग ने ऐलनाबाद में विकसित किए जाने वाले खजूर के लिए 64 पौधों को ही अपना लक्ष्य बनाया है। ये पौधे साधारण किस्मों के नहीं बल्कि भारत सरकार से स्वीकृत प्रयोगशाला में तैयार किए गए हैं। इन 64 पौधों में 61 मादा और 3 नर प्रकृति के हैं। साधारणत: एक एकड़ में लगाए जाने वाले पौधों पर करीब 3 लाख रुपए तक का खर्च आता है मगर किसानों को इस दिशा में आकर्षित करने के लिए 1 लाख 40 हजार रुपए की सब्सिडी का भी प्रावधान किया गया है। अहम बात ये है कि खजूर पानी के खारेपन को भी आसानी से सह जाता है और इस पर गर्मियों व किसी अन्य कीट का भी कोई प्रभाव नहीं होता, इसलिए इसे किसानों के लिए प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तौर पर लाभप्रद समझा जाता है।
किसानों का उचित प्रशिक्षण अनिवार्य | Date Palm Farming
जिला उद्यान अधिकारी डॉ. पुष्पेंद्र सिंह कहते हैं कि निश्चित ही सरसा जिले में खजूर की खेती एक क्रांतिकारी कदम होगा और इसके लिए विभाग ने प्रगतिशील किसानों के साथ तमाम कार्ययोजना तैयार कर आगे बढ़ रहा है। डॉ. सिंह के मुताबिक चूंकि खजूर को विकसित करने की आरंभिक प्रक्रिया बेहद जटिल मानी जाती है, इसलिए वे अपने किसानों को इसका उचित प्रशिक्षण दे रहे हैं ताकि किसी प्रकार की चूक की कोई गुंजाइश न हो।
वे कहते हैं कि चूंकि अन्य स्थानों की तरह सरसा जिले में भी भूमिगत पानी की स्थिति चिंताजनक है, इसलिए आवश्यक है कि अधिकांश पानी पर आधारित फलों की खेती में परिवर्तन किया जाए और इसका सबसे बेहतरीन विकल्प खजूर ही हैं। पूर्ण विश्वास है कि करीब 4 साल में पूर्ण विकसित होने के बाद ये किसानों के आर्थिक उन्नयन का सबसे बड़ा माध्यम बनेगा। Date Palm Farming
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