काबुल (एजेंसी)। तालिबान ने कहा कि अफगानिस्तान में किसी तरह का चुनाव कराने का समय नहीं है और नयी सरकार बनाना उनकी पहली प्राथमिकता है। तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने एक बयान में कहा कि तालिबान अपने वादों को निभायेगा, क्योंकि उनके बयान ‘पब्लिसिटी स्टंट’ नहीं हैं। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि तालिबान ने अपने वादों को पूरा करने की समय सीमा निर्धारित नहीं की है।
जी-7 का तालिबान से काबुल हवाई अड्डे तक सुरक्षित मार्ग
सुनिश्चित करने का आग्रह
जी-7 के विदेश मंत्रियों ने तालिबान से विदेशियों को काबुल हवाई अड्डे तक सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करने का आग्रह किया। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक रैब ने एक बयान में कहा कि जी-7 देश अफगानिस्तान से लोगों को निकालने के प्रयास जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, ‘ जी-7 के विदेश मंत्रियों ने तालिबान से विदेशी नागरिकों और वहां से जाने की इच्छा रखने वाले अफगानों को सुरक्षित मार्ग की गारंटी देने का आग्रह किया है। उन्होंने यह भी कहा कि अफगान संकट के लिए दानदाताओं और क्षेत्रीय पड़ोसियों सहित वैश्विक पहल की आवश्यकता है। विस्थापित अफगानों के लिए ‘सुरक्षित और कानूनी’ पुनर्वास मार्ग प्रदान करना अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर निर्भर है। २२२२राजनयिकों ने परस्पर सहमति जतायी कि तालिबान को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान उन आतंकवादियों को शरण न दे जो अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा कर सकते हैं।
आतंकवाद को किसी भी रूप में न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता : जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद को किसी भी रूप में न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता तथा इसके सभी स्वरूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की जानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ‘अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा’ विषय पर आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए डॉ जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद को किसी धर्म, देश , सभ्यता अथवा जातीय समूह से नहीं जोड़ा चाहिए।उन्होंने कहा, ‘हमें आतंकवाद अथवा इसके वित्तपोषकों से कभी समझौता नहीं करना चाहिए। दुनिया को कभी भी दोहरी बात कहने वालों का विरोध करने के लिए साहस की कमी नहीं होनी चाहिए। वह भी ऐसे समय , जब सरकारी आतिथ्य उन लोगों के लिए किया जा रहा है जिनके हाथों में मासूमों का खून है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में होने वाली घटनाओं ने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों के लिए उनके प्रभावों के बारे में वैश्विक चिंता को स्वाभाविक रूप से बढ़ा दिया है। चाहे अफगानिस्तान हो या भारत के खिलाफ , लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूह भय के बिना और प्रोत्साहन के साथ काम करना जारी रखते हैं।
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