पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रेरणा से जगी अलख
- ‘इन्सां’ के रक्त ने दिया लाखों मरीजों को नया जीवन
‘‘पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के वचन हैं कि किसी भी ‘‘इन्सान की जान खून की कमी से नहीं जानी चाहिए’’ पूज्य गुरु जी ने सदैव रक्तदान को बढ़ावा दिया है। खून की एक यूनिट कम से कम तीन जिन्दगियों को बचा सकती है’’
सरसा। वे नहीं जानते अपनी रगों में बहता जो खून वह दान कर रहे हैं, आने वाले कल को वह किसकी रगों में बहेगा। अपना होगा या बेगाना, देशी या परदेशी। उन्हें इससे कोई लेना-देना भी नहीं। बस लेना-देना है तो सिर्फ इस बात से कि जिसके लिए वे रक्तदान कर रहे हैं, वह जिंदगी पहले की ही भांति सही सलामत व सेहतमंद हो जाए। हम बात कर रहे हैं सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा के चलते-फिरते उन करोड़ों ट्रयू बल्ड पंपों की जो पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए भारतवर्ष व दुनिया के कोने-कोने में वर्षों से नियमित रक्तदान कर बीमारों व जरूरतमंदों को जीवनदान देते आ रहे हैं।
जिंदगी का यह अनमोल रत्न भगवान ने हर किसी के अंदर प्रवाहित किया है, लेकिन कभी एक्सीडेंट तो कभी किसी बीमारी की चपेट में आकर अक्सर लोग खून की कमी की वजह से दम तोड़ देते हैं। कई बार जिंदगी के दीपक सिर्फ इसलिए बुझ जाते हैं क्योंकि उन्हें कुछ यूनिट खून नहीं मिल पाता। मानवता भलाई कार्यों में अग्रणीय सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा भी दुनिया को नियमित रक्तदान के प्रति जागरूक करता आ रहा है। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए दुनिया के कोने-कोने में बैठी डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत नियमित रक्तदान कर रही है। इन चलते-फिरते ब्लड पंपों रक्तदाताओं ने दुनियाभर में अब तक अपने ख्ूान से लाखों जरूरतमंदों व बीमारों के जीवन की तकदीर लिखी है।
अगर डेरा वालंटियर्स की तरफ से एक दिन में अधिकतम खून दान की बात करें तो उनके नाम पर मात्र एक दिन में 75717 यूनिट्स खून दान करने का रिकॉर्ड दर्ज है। कुल मिलाकर अब तक अकेले खून दान के क्षेत्र में मार्गदर्शन तथा योगदान के पूज्य गुरु जी तथा डेरा सच्चा सौदा के नाम 4 विश्व रिकार्ड्स शामिल हैं, जिसमें 3 Guinness World Records तथा एक Asia Book of Records तथा एक Limca Books of Records शामिल है। समय-समय पर भारतीय सेना के साथ-साथ पत्रकारों, पुलिस कर्मियों, थैलेसीमिया व एड्स रोगियों के अलावा देश और दुनियाभर में जरूरतमंद लोगों को रक्त की आपूर्ति करने में विश्वविख्यात डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत द्वारा अब तक 6 लाख से ज्यादा यूनिट रक्तदान किया जा चुका है। इसके अलावा साध-संगत अपने ब्लॉकों व गाँवों में जो रक्तदान करती है, वह इस आंकड़े से अलग है।
कोरोना काल में बने मसीहा
कोरोना के भयावह दौर में जब अपने, अपनों से किनारा कर रहे थे और अस्पताल मरीजों से भरे हुए थे और ब्लड बैंकों में रक्त का सूखा पड़ गया था तो पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के आह्वान पर डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने तड़पते मरीजों का उपचार करवाने के लिए ब्लड बैंकों में शिविरों का आयोजन कर रक्तदान किया। जो ब्लड बैंक रक्त की कमी से जूझ रहे थे, वहां रक्तदान करने के इच्छुक डेरा सच्चा सौदा श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी पंक्तियां नजर आई। साथ ही थैलीसीमिया पीड़ित बच्चों के माता-पिता और मरीजों के परिजन कहते नजर आए, धन्य-धन्य हैं डेरा सच्चा सौदा के सेवादार और पूज्य गुरु जी।
रक्तदान से 500 लोगों की जान बचा सकता है एक इंसान
- अगर आप 18 की उम्र से ब्लड डोनेशन शुरू करते हैं और हर 90 दिन में रक्तदान करते हैं तो 60 साल के होने तक आप कम से कम 500 लोगों की जान बचा सकते हैं।
- रक्तदान में डेरा सच्चा सौदा के रिकॉर्ड
- 7 दिसंबर 2003 को 8 घंटों में सर्वाधिक 15,432 यूनिट रक्तदान करने के लिए गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज किया गया।
- 10 अक्टूबर 2004 को 17921 यूनिट रक्तदान करने के लिए गिनीज बुक आॅफ रिकॉर्ड्स में दर्ज
- 8 अगस्त 2010 को मात्र 8 घंटों में 43732 यूनिट रक्तदान करने के लिए गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज किया गया।
इसलिए जरूरी है रक्तदान
- दुर्घटना में चोट लगने पर रक्तस्राव की कमी को दूर करने में
- आॅपरेशन के दौरान हुए रक्तस्राव की कमी को पूरा करने में
- थैलीसिमया के मरीजों के लिए
- खून से संबंधित विकृति जैसे हेमोफीलिया से पीड़ित लोगों की जिंदगी बचाने में
- जले हुए मरीजों की जिंदगी बचाने में।
- किडनी, कैंसर और एनीमिया से पीड़ित मरीजों के शरीर में हेमोग्लोबिन के सही स्तर को बरकरार रखने में।
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