नेशनल मेडिकल काउंसिल बिल 2019 के विरोध
नई दिल्ली (एजेंसी)। नेशनल मेडिकल काउंसिल बिल 2019 के विरोध में आज इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने देशव्यापी हड़ताल की घोषणा की है । इस हड़ताल (Doctor’s strike) के तहत देशभर के 3 लाख से अधिक डॉक्टर आज अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं नहीं देंगे । डॉक्टरों का कहना है कि ये बिल मेडिकल क्षेत्र के लिए किसी भी तरह से उचित नहीं है और इससे डाक्टरों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा ।
डॉक्टरों का कहना है कि यह हड़ताल मरीजों को परेशान करने के लिए नहीं है, बल्कि सरकार को बिल की खामियों के बारे में बताने के लिए है। आईएमए के नेशनल अध्यक्ष शांतनु सेन ने कहा है कि इस बिल के आने से न केवल झोलाछाप डॉक्टरों को वैधता मिलेगी बल्कि लोगों की जान भी खतरे में रहेगी। उन्होंने कहा कि बिल के विरोध में आज देशभर के तीन लाख डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे बता दें कि यह बिल मेडिकल काउंसिल की जगह लेगा और इसमें कई बदलाव किए गए हैं।
बढ़ने वाली हैं मरीजों की मुश्किलें
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से घोषित हड़ताल का असर पूरे देश में पड़ने वाला है। इस हड़ताल में महाराष्ट्र के 44 हजार डॉक्टर शामिल हैं. डॉक्टरों की हड़ताल को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। अभी से कुछ जगहों पर मरीजों को मुसीबत का सामना करते देखा जा रहा है. आईएमए ने कहा कि हड़ताल के दौरान केवल गैरजरूरी मेडिकल सेवाओं को अटेंड नहीं किया जाएगा, जबकि हर तरह की इमर्जेंसी सेवाएं जारी रहेंगी. आईएमए से मिली जानकारी के मुताबिक हड़ताल के चलते डॉक्टर बुधवार सुबह 6 बजे से गुरुवार सुबह 6 बजे तक ओपीडी में सेवाएं नहीं देंगे।
क्या है नेशनल मेडिकल काउंसिल बिल 2019
भारत में अभी तक मेडिकल संस्थानों और डॉक्टरों रजिस्ट्रेशन से संबंधित काम मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की देखरेख में होता है। बिल पास हो जाने के बाद एमबीबीएस पास करने वाले मेडिकल छात्रों को प्रैक्टिस के लिए एग्जिट टेस्ट देना जरूरी होगा । अभी एग्जिट टेस्ट सिर्फ विदेश से मेडिकल पढ़कर आने वाले छात्रों को ही देना होता है । यही नहीं एनएमसी बिल के सेक्शन 32 में 3.5 लाख नॉन मेडिकल शख्स को लाइसेंस देकर सभी प्रकार की दवाइयां लिखने और इलाज करने का कानूनी अधिकार दिया जा रहा है, जिसका डॉक्टर विरोध कर रहे हैं।