पत्थर की डस्ट को मेहंदी कीप के माध्यम से फ्रेम पर उकेरकर बनाती हैं सुंदर पेंटिंग
- 400 रूपए से लेकर 5 लाख रूपए तक की पेंटिंग उपलब्ध
- पानी, धूप तथा मिट्टी से खराब नहीं होती स्टोन की डस्ट से बनी पेंटिंग
कुरुक्षेत्र। (सच कहूँ/देवीलाल बारना) अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के हस्तशिल्प मेले में फरीदाबाद से निशा व उसके पति सूरज पहुंचे हैं, जोकि पत्थर की डस्ट से पेंटिंग बनाने के कार्य में महारत हासिल हैं। डस्ट पेंटिंग में निशा को वर्ष 2010 में राष्ट्रीय अवार्ड पर भी मिल चुका है। इतना ही डस्ट पेंटिंग की शुरूआत करने वाली निशा पहली महिला है और युवाओं को रोजगार देने का कार्य कर रही हैं। मेले में लकड़ी के फ्रेम पर बनी निशा की स्टोन डस्ट पेंटिंग पर्यटकों को खूब लुभा रही है।
निशा का कहना है कि मार्बल की कटिंग के दौरान निकलने वाली धूल को एकत्रित करके बनाई गई यह पेंटिंग कभी खराब नहीं होती। साइज के हिसाब से इस पेंटिंग की कीमत अलग-अलग होती है। गीता महोत्सव में 400 रुपए से लेकर 5 लाख रूपए तक की पेंटिंग रखी गई है। अगर कोई ग्राहक ओर भी बड़े प्रेम पर पेंटिंग बनवाना चाहता है तो उसी हिसाब से इसकी कीमत बढ़ती जाती है।
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आउटडोर तथा इंडोर दोनों जगह रखी जा सकती हैं डस्ट पेंटिंग : निशा
निशा ने बताया कि यह पेंटिंग आउटडोर तथा इंडोर दोनों ही जगह पर रखी जा सकती है। यह कभी भी खराब नहीं होती। अपनी इस विधा के बारे में वह लगातार श्रम बस्ती में महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही हैं। उन्हें प्रशिक्षण देकर कौशल विकास के बाद रोजगार के साथ जोड़ा जा रहा है। उन्होंने बताया कि उनकी बनाई गई यह स्टोन पेंटिंग बहुत ही मजबूत हैं। ये पानी, धूप तथा मिट्टी से खराब नहीं होती। पत्थर का पाउडर वर्षों तक ऐसे ही रहता है। इस पर किया गया आयल पेंटिंग इसे ओर अधिक मजबूत तथा आकर्षक बनाता है। उन्होंने बताया कि शुरू में स्टोन पेंटिंग पर लोगों का विश्वास नहीं था लेकिन अब धीरे-धीरे मार्केट में आने के बाद यह बड़ी-बड़ी कोठियों के ड्राइंग रूम की शोभा बढ़ा रही हैं।
पहले स्टोन पेंटिंग आर्टिस्ट होने का किया दावा
निशा का दावा है कि वह और उसके पति भारत में सबसे पहले ऐसे आर्टिस्ट है, जिनमें देश में पहली बार डस्ट स्टोन पेंटिंग बनाई। जो लोगों को खूब लुभा रही है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव में पहली बार पहुंचे हैं लेकिन लोगों का काफी रुझान मिल रहा है। उन्होंने कहा कि जो लोग आर्टिस्ट की कला को समझते वह इस पेंटिंग को खरीदते हैं। हालांकि इसका थोड़ा मूल्य दूसरी पेंटिंग से ज्यादा होता है लेकिन यह पेंटिंग दूसरी पेंटिंग से काफी आकर्षित करने वाली होती है।
ग्लास पेंटिंग का कार्य करते थे सूरज
निशा के पति सूरज पहले ग्लास पेंटिंग का कार्य करते थे और आज से लगभग 22 वर्ष पूर्व उन्होंने ठानी स्टोन डस्ट से पेंटिंग बनाने का काम शुरू किया जाए। इस नई विधा में निशा को 2010 में राष्ट्रीय अवार्ड मिला। उन्होंने 2010 में विष्णु भगवान के 10 अवतार वाली स्टोन डस्ट पेंटिंग बनाई थी, जिसकी प्रदर्शनी उन्होंने चंडीगढ़ में की थी। इस पेंटिंग को राष्ट्रीय अवार्ड मिला।
महीनों लग गए थे पेंटिंग बनाने में निशा बताती हैं कि शुरू में छोटी-सी पेंटिंग बनाने में ही उसे महीनों लग गए थे। इसे बनाने के लिए मार्बल की कटिंग में निकलने वाले पाउडर को पहले छाना जाता है। इसके बाद बबूल के गोंद में मिलाकर मेहंदी लगाने वाली कीप में भरकर लकड़ी के फ्रेम पर टेक्स्ट पर लगाकर ड्राइंग की जाती है। इसके बाद आउटलाइन व फिलिंग का काम किया जाता है। इस प्रकार कई बार फिलिंग करने के बाद फाइनल आउटलाइन लगाई जाती है। अंत में इस पर नक्काशी करके फिनिशिंग के लिए आॅयल कलर प्रयोग किया जाता है।
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