न्यूटन के जीवन की शुरूआत से पूर्व ही इनके पिता की मृत्यु हो गई थी। उन्होंने अपनी दादी माँ के साथ शुरूआती जीवन बिताया, वह कई बार अपनी माँ के साथ सौतेले पति के घर भी जाता था। मगर अपनी माँ द्वारा दूसरी शादी करना कतई पसंद नहीं था। एक बार गुस्सा होकर न्यूटन ने उसका घर तक जलाने की धमकी दे डाली। कुछ सालों बाद न्यूटन के सौतेले पिता की मृत्यु हो गई और वह अपनी माँ के साथ पैतृक गाँव लौट आए। न्यूटन ने बेसिक स्कूली शिक्षा अपने गाँव में ही प्राप्त की थी। जब न्यूटन की उम्र 12 साल थी तो इन्हें क्लार्क के घर भेज दिया, जो ग्रंथन गांव में रहते थे तथा पेशे से एक फार्मसिस्ट थे। न्यूटन यहां रहकर ही किंग स्कूल जाया करते थे।
उस फार्मसिस्ट क्लार्क की बेटी न्यूटन की एक अच्छी बचपन की दोस्त थी। न्यूटन उनके खेलने के लिए कई यंत्र बनाया करते थे इन्होंने फ्लोटिंग लालटेन, लाइव माउस और सूर्य डायल्स से चलने वाली पवन चक्की भी इन्होंने वहां रहते हुए बनाई थी, यह उनकी विज्ञान के प्रति लग्न और विद्वता को दर्शाती हैं।
इस तरह न्यूटन वहां रहकर न केवल अध्ययन करते थे बल्कि अपने ज्ञान से वह प्रयोग करने में भी सफल हो चुके थे, क्लार्क के पास रहकर ही इन्होंने इंटरमिडियट पास की। मात्र 19 वर्ष की अवस्था में ही इन्होने स्नातक के लिए ब्रिटेन के ट्रिनिटी कॉलेज में दाखिला लिया और 1665 में स्नातक की पढ़ाई पूरी कर ली। वे आगे की पढ़ाई करके मास्टर की डिग्री पाना चाहते थे मगर उस समय प्लेग महामारी का शिकार बन जाने के कारण उन्हें जर्मनी स्थित अपने गांव लौटना पड़ा। आज ही के दिन 1668 में न्यूटन ने ट्रिनीटी कॉलेज कैंब्रिज से मास्टर डिग्री हासिल की।
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