सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि नया साल आपको मुबारक हो और यह आपके लिए खुशियां लेकर आए। जो गलतियां आपने इस साल में की है वो अगले साल में न करने का प्रण करें। जो आपने सुमिरन किया, सत्संगें सुनी वो आपके साथ रहेगा, वहीं अपने अवगुणों व बुरी आदतों को छोड़ दें। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि एक जनवरी से पावन अवतार माह शुरू हो रहा है। इस पावन अवतार माह में प्रतिदिन सतगुरु को हाजर नाजर जान कर ‘धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ का पवित्र नारा लगाकर अपने अंदर की एक बुरी आदत जरूर छोड़ें और संकल्प लें कि जिंदगी में ये गलती दोबारा नहीं करूंगा। ऐसा करने से आप अंदर-बाहर से खुशियों से मालामाल हो जाएंगे।
आप जी ने फरमाया कि इस साल में जाने-अनजाने में आपसे जो पाप-गुनाह हुए, मालिक के सामने तौबा करके उसे छोड़ दीजिए, गुणों को उठाकर अगले साल में ले चलें, इरादा मजबूत बनाकर चलें, और गुण ग्रहण करने हैं और मालिक की खुशियों को पाना है।
पूज्य हजूर पिता जी ने फरमाया कि जब तक इन्सान मालिक के नाम से जुड़ता नहीं, तब तक अपने गम, दुख-दर्द, परेशानियों से दो चार होता रहेगा। बेचैनी का आलम कभी मिट नहीं पाएगा। अंदर के बुरे विचार कभी चैन से जीने नहीं देंगे और इन्सान बेचैनियों में, भागम-भाग में सारा समय गुजार कर बर्बाद करके इस संसार से रुखसत होगा, यहां भी दुखी और आगे भी नर्क -दोजक में सड़ेगा। अगर इन्सान गुरूमंत्र ले लेता है तो यहां भी सुखी और आगे भी मालिक का रहमो-कर्म बरसता है, वो आवागमन से आजाद होकर मालिक की गोद में जा विराजता है।
इसलिए मालिक का नाम लेना कभी न भूलो, उसके नाम से जुड़ो, उसके नाम का सुमिरन करो तो आपके अंदर ताकत आएगी, शक्ति आएगी, जिसे विल पावर या आत्मबल कहा जाता है। इस विल पावर के आने से आपके गम, दु:ख-दर्द, चिंताएं दूर होंगी और मालिक की दया-मेहर, रहमत के काबिल आप बनते चले जाएंगे। सुमिरन का पल्ला कभी न छोड़ो।
चलते, बैठकर, काम-धंध करते हुए सुमिरन करते रहें तो जरूर मालिक की खुशियां मिलेंगी और उसके रहमो-कर्म के काबिल बनोगे। आप जी ने फरमाया कि विचार शुन्य कभी नहीं होते, कोई न कोई विचार, कोई न कोई ख्याल, दिलो-दिमाग में चलता रहता है। अगर इन्सान उनकी जगह अपने सतगुरु के विचार, अल्लाह, वाहेगुरु, राम, गॉड, खुदा, रब्ब के विचार दिलो-दिमाग में ले आए तो जरूर बुरे विचार खत्म होंगे, मालिक से प्यार बढ़ेगा और जीवन में बहार छा जाएगी।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जीवन को जीना तो हर व्यक्ति को पड़ता है। एक जीवन को जीना पड़ता है, और एक जीते हैं शान से। जीवन को जीना पड़ता है यानि मजबूरी है, दु:ख, गम, दर्द है, चिंताएं हैं और एक शान से जीते हैं, कोई टेंशन नहीं रखते, मालिक तू जाने तेरा काम जाने। अच्छे कर्म करते हैं, भले कर्म करते हैं। समय निकाल कर तन-मन-धन से परमार्थ करते रहते हैं। यकीनन उनकी जिंदगी सफल है और वो इन धरती पर रहते हुए दोनों जहान की खुशियां हासिल करते रहते हैं। सच्चे दिल से सच्ची भावना से मालिक के नाम का जाप करो, आपका अंत:करण साफ होगा। गम, दु:ख, दर्द चिंताओं से आपको मुक्ति मिलेगी और आपको मालिक की दया-मेहर, रहमत मुसलाधार बरसती हुई नजर आने लगेगी।
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