विपक्ष को तार्किक सोच से रोक रही है राजवंशों की अभिजात्य मानसिकता : नड्डा
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जे पी नड्डा ने शुक्रवार को नये संसद भवन के उद्घाटन में शामिल नहीं होने के लिए विपक्षी दलों की यह कहते हुए आलोचना की कि वंशवाद की अभिजात्य मानसिकता उन्हें (विपक्ष) तार्किक सोच से रोक रही है। नड्डा ने अपने ट्वीट में कहा, ‘भारत के लोग देख रहे हैं कि किस तरह ये पार्टियां देश के ऊपर राजनीति कर रही हैं। New Parliament Building Video
इन दलों को उनकी पक्षपातपूर्ण राजनीति के लिए जनता फिर से दंडित करेगी। नड्डा ने कांग्रेस, टीएमसी, आप सहित 19 विपक्षी दलों और अन्य ने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला करने के बाद ये टिप्पणी की। विपक्षी दलों का तर्क है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को “दरकिनार” करके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उद्घाटन किया जाना ‘संविधान का गंभीर अपमान और लोकतंत्र पर सीधा हमला’ है। वहीं नए संसद भवन का वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में संसद के अंदर के लुक को भी देखा जा सकता है। वीडियो में अशोक स्तंभ से लेकर सांसदों के बैठने वाला कक्ष दिख रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वीडियो को शेयर किया है। New Parliament Building Video
भाजपा अध्यक्ष ने विपक्ष पर साधा निशाना | New Parliament Building Video
भाजपा अध्यक्ष ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘ ये वंशवादी पार्टियां , विशेष रूप से कांग्रेस और नेहरू-गांधी वंश एक साधारण से तथ्य को पचा नहीं पा रहे हैं कि देश की जनता ने एक सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्ति पर अपना विश्वास जताया है। इन्हीं राजवंशों की अभिजात्य मानसिकता उन्हें तार्किक सोच से रोक रही है। उन्होंने कहा , ‘नये संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने वाली अधिकांश पार्टियों का जोड़ क्या है। इसका उत्तर सरल है कि ये वंश द्वारा संचालित राजनीतिक दल हैं, जिनके राजशाही तरीके हमारे देश में गणतंत्रवाद और संविधान में लोकतंत्र के सिद्धांतों के विपरीत हैं। उन्होंने दावा कि 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नये संसद भवन के उद्घाटन अवसर पर 25 राजनीतिक दल भाग लेंगे।
नये संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने की याचिका खारिज
उच्चतम न्यायालय ने भारत के राष्ट्रपति से यहां नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन कराने के लिए लोकसभा सचिवालय को निर्देश देने की मांग वाली एक जनहित याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की अवकाशकालीन पीठ ने अधिवक्ता सी आर जया सुकिन की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत के सुनवाई करने से इनकार के बाद याचिकाकर्ता ने पीठ की सहमति के बाद अपनी याचिका वापस ले ली।
पीठ ने हालांकि, याचिकाकर्ता से पूछा कि संसद की इमारत के उद्घाटन में उनकी भूमिका कैसी थी। याचिकाकर्ता ने राष्ट्रपति की भूमिका महत्वपूर्ण बताने वाली दलीलें देते हुए कहा कि वह (द्रौपदी द्रौपदी मुर्मू) संसद की प्रमुख हैं। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि लोकसभा सचिवालय ने नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपति भारत के पहले नागरिक और संसद की संस्था के प्रमुख हैं।
संसद में भारत के राष्ट्रपति और सर्वोच्च विधायिका के दो सदन – राज्यसभा और लोकसभा शामिल हैं। याचिका में कहा गया है, “देश के बारे में सभी महत्वपूर्ण निर्णय भारतीय राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते हैं, हालांकि, इनमें से अधिकांश भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार मंत्रिपरिषद (सीओएम) द्वारा दी गई सलाह पर लिए हैं।” याचिकाकर्ता सुकिन ने कहा, “लोकसभा सचिवालय द्वारा 18 मई को जारी किया गया बयान और नए संसद भवन के उद्घाटन के बारे में लोकसभा महासचिव द्वारा जारी किया गया निमंत्रण रिकॉर्डों के उचित अध्ययन के बिना और बिना सोच विचार के मनमाने ढंग से जारी किया गया है।” गौरतलब है कि नवनिर्मित संसद भवन का उद्घाटन रविवार (28 मई ) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाना प्रस्तावित है।