भले ही अरब जमात के पांच देशों ने कतर से आपसी रिश्ते तोड़ लिए हो पर इससे यह साफ हो गया है कि इस्लामी आतंकवाद की जड़े काफी गहरे तक जम चुकी है। हांलाकि अमेरिका के कतर और कतर से रिश्ता तोड़ने वाले देशों के साथ समान रुप से हित जुड़े हुए हैं यही कारण है कि ट्रेवल बेन लागू करने की बात करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अभी तक सार्वजनिक रुप से कतर के खिलाफ कोई फैसला नहीं कर पाए हैं।
आतंकवाद आज भारत या दक्षिण एशिया की समस्या नहीं रहा है बल्कि पिछले दिनों की घटनाओं से साफ हो गया है कि आतंकवाद ने समूचे विश्व में अपनी जड़े जमा ली है। खासतौर से यूरोपीय देशों में खासतौर से फ्रांस और इंग्लैण्ड, अफगानीस्तान, सिरिया, ईराक, कैमरुन, फिलीपिंस, आयरलैण्ड, इटली, पाकिस्तान, भारत में सबसे अधिक आतंकवादी हमलें हो रहे हैं।
भारत में हो रही आतंकवादी गतिविधियों पर यूरोपीय मीडिया इसे चरमपंथी गतिविधियां कहकर हलके में लेने का प्रयास कर रहा है आज उसी यूरोप में आतंकवादी गतिविधियां अधिक सक्रियता से और नए रुप में सामने आ रही है। यूरोपीय देशों में अब भीड़ भरे क्षेत्रों को निशाना बनाया जा रहा है और निशाना भी हिट एण्ड रन की तरह।
इंग्लैण्ड में चुनाव से चार दिन पहले 4 जून को ही लंदन में आतंकवादी हमले ने आतंकवाद के नए चेहरे को भी उजागर कर दिया है। भीड़ भरे इलाके लंदन ब्रीज पर लोगों को वेन से रोंदते हुए कुचलना और उसके बाद जो भी सामने आए उसे चाकुओं से गोद देना आतंकवाद का नया रुप है। इससे पहले अभी पिछले दिनों ही एक कंसर्ट के दौरान किया गया आतंकवादी हमला भुला भी नहीं पाए है।
दुनिया में दहशत फैलाने का यह नया तरीका अपनाया है आतंकवादी संगठनों ने। इसका कारण आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ सख्ती व अधिक निगरानी है पर आतंकवाद के इस नए रुप ने सबको सकते में डाल दिया है। बढ़ते आतंकवाद को इसी से समझा जा सकता है कि इस साल के शुरुआती पांच माह और चंद दिनों में ही दुनिया के देशों में 645 आतंकवादी हमलें हो चुके हैं। इन हमलों में साढ़े तीन हजार से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं।
इन पांच महिनों में ही चार बड़े आतंकवादी हमले हो चुके हैं इसमें सीरिया में कार ब्लास्ट, अफगानिस्तान में कैप शाहिन हमला, लीबिया में एयरबेस पर हमला, काबुल में कार ब्लास्ट और अब लंदन ब्रिज पर लोगों को तेज गति से वाहन चलाकर रोंध देना इसमें शामिल है। भरे बाजार या भीड़भाड़ वाले स्थानों पर गोलीबारी, चाकूबाजी या वाहन से रोंधना आतंकवादियों का नया शगल हो गया है।
आतंकवादियों को देखा जाए तो इस तरह की घटनाएं कर लोगों में दहशत फैलाने के साथ ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराना है। आतंकवाद का यह चेहरा इस कारण से भी आ रहा है कि अधिक सक्रियता व चौकसी के चलते आतंकवादियों द्वारा विस्फोटक लेजाकर आंतकवादी गतिविधि को अंजाम देना मुश्किल होने लगा है।
आज आतंकवादी गतिविधियों से यूरोप अधिक प्रभावित हो रहा है। इसका कारण शरणार्थी समस्या है। सीरिया के शरणार्थियों की यूरोप में पहुंच के बाद से आतंकवादी गतिविधियों में तेजी आई है। आतंकवाद को प्रश्रय देने वाला पाकिस्तान आज भी समझ नहीं पा रहा कि आतंकवादी संगठनों द्वारा उसके जमीन और निरीह लोगों को आए दिन अपना निशाना बना रहे हैं।
दूसरे देशों में आतंकवादी गतिविधियों को चरमपंथी गतिविधि कहकर हल्के में लेने वाले यूरोप व अमेरिका को सोचना होगा कि आतंकवादी संगठन किसी के सगे नहीं है। उनका एक मात्र ध्येय दहशत फैलाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराना है, भले ही इसमें बेगुनाह लोगों की जान जा रही हो।
इसे दुर्भाग्यजनक ही कहा जाएगा कि देश दुनिया में कहीं भी आतंकवादी गतिविधि होती है, तो उस पर खेद प्रकट कर दुनिया के राजनेता अपने कर्तव्य को पूरा करना मान लेते हैं। अब समय आ गया है जब संयुक्त राष्ट्र या और किसी मंच पर एक साथ बैठकर आतंकवादी गतिविधियों को प्रश्रय देने वाले देशों पर सख्त पांबदी, उस पर नकेल कसने और आतंकवारी संगठनों के खिलाफ सामूहिक कार्यवाही की जाए। निरीह नागरिकों की मौत पर खेद प्रकट करने से कुछ नहीं होने वाला यह दुनिया के देशों को समझ लेना चाहिए।
-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
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