Network Problem in Rural Area : नेटवर्क समस्या आज की सबसे बड़ी समस्या, जूझ रहे ग्रामीण भी!

Network Problem
Network Problem : नेटवर्क समस्या आज की सबसे बड़ी समस्या, जूझ रहे ग्रामीण भी!

Network Problem : भारत भले ही आज 5जी नेटवर्क की तरफ तेजी से कदम बढ़ा रहा हो, लेकिन देश के कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां लोगों को मामूली मू नेटवर्क तक उपलब्ध नहीं हो पाता है। उन्हें इंटरनेट स्पीड मिलना तो दूर दू की बात है, अपनों से फोन पर भी बात करने के लिए गांव से कई किमी दूर नेटवर्क के क्षेत्र में जाना पड़ता है। कई ग्रामीण क्षेत्रों की आज यही स्थिति है, जहां नेटवर्क की पहुंच नाममात्र की है। Network Problem

देखा जाए तो आज हर किसी के मोबाइल पर इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध है। स्थिति ऐसी हो गई है कि आज लोग अपना एक वक्त का भोजन छोड़ सकते हैं लेकिन वे कुछ घंटों के लिए बिना इंटरनेट के अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। दरअसल, यह हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। ऐसी परिस्थिति में गांव के लोग कैसे अपना काम करते होंगे? यह हमारी कल्पना से भी परे है। प्रश्न यह उठता है कि क्या 5जी के इस दौर में कभी इस गांव में भी इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध हो पाएगी?

मोबाइल सेवा अब लोगों की जरूरत बन गई

मोबाइल सेवा अब लोगों की जरूरत बन गई है। हर हाथ में मोबाइल नजर आता है। बगैर मोबाइल के कार्यों में परेशानी उठानी पड़ती है। वहीं देश के पीएम नरेंद्र मोदी डिजिटल इंडिया, कैशलेस व मोबाइल बैंकिग को बढ़ावा दे रहे हैं। मगर मोबाइल कंपनियों की मनमानी से डिजिटल इंडिया के अरमानों पर पानी फिरता दिख रहा है। मोबाइल कंपनियों की मनमानी से उपभोक्ताओं को काफी परेशानियां का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर फोर-जी सेवा भी अब ठीक से काम नहीं कर रही है। उपभोक्ताओं ने कहा कि फोर-जी इंटरनेट सेवा टूजी सेवा के जैसे काम कर रही है। इंटरनेट की सेवा के धीमे होने की वजह से कोई साइट नहीं खुल पा रही है, इसलिए सभी उपभोक्ताओं ने एक निजी कंपनी प्रबंधन से मांग की है कि जल्द से ठीक कर हम सभी को होनेवाली परेशानियों से निजात दिलाए। Network Problem

नवीनतम दूरसंचार सदस्यता डेटा के अनुसार, देश में शहरी टेलीघनत्व 127% है जबकि ग्रामीण टेलीघनत्व 58% है। सेल टावर लगाने के लिए भूमि अधिग्रहण, परमिट और विश्वसनीय बिजली आपूर्ति की आवश्यकता होती है, जो दूरदराज के क्षेत्रों में चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके अतिरिक्त, ऊबड़-खाबड़ इलाके नेटवर्क को बनाए रखना और उसका विस्तार करना मुश्किल बना सकते हैं।

ग्रामीण आबादी के बीच सीमित ज्ञान

संभावित ग्राहक आधार और राजस्व सृजन कम होने के कारण दूरसंचार कंपनियाँ कम आबादी वाले क्षेत्रों में टावर लगाने की उच्च लागत को उचित ठहराने के लिए संघर्ष करती हैं। शहरी उपयोगकर्ताओं की तुलना में सीमित प्रयोज्य आय और कम डेटा उपयोग के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति उपयोगकर्ता औसत राजस्व कम है। ग्रामीण आबादी के बीच सीमित ज्ञान और डिजिटल साक्षरता मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को अपनाने में बाधा बन सकती है। जटिल और विलंबित लाइसेंसिंग प्रक्रियाएँ और स्पेक्ट्रम आवंटन ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की समय पर तैनाती में बाधा डाल सकते हैं।

भारत में शहरी-ग्रामीण डिजिटल डिवाइड को पाटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो बुनियादी ढांचे, आर्थिक, नियामक, तकनीकी और सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौतियों का समाधान करता हो। नवीन मानकों को अपनाकर, बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ाकर, नियामक ढांचे को सुव्यवस्थित करके, आर्थिक व्यवहार्यता को बढ़ावा देकर, डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देकर और स्थानीयकृत सामग्री विकसित करके, भारत ग्रामीण क्षेत्रों में सेलुलर नेटवर्क की तैनाती और उपयोग में उल्लेखनीय सुधार कर सकता है, जिससे समावेशी विकास और प्रगति को बढ़ावा मिलेगा। Network Problem

डॉ. सत्यवान सौरभ, (यह लेखक के अपने विचार हैं)

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