लेबर व परिवहन के टेंडर सिरे चढऩा प्रशासन के लिए बने चुनौती
Farmers News: सरसा (सच कहूँ न्यूज)। मंडियों में गेहूं व सरसों की उपज की समर्थन मूल्य पर खरीद के बाद उठान कर गोदामों में पहुंचाने के लिए लेबर व परिवहन के टेंडर सिरे चढऩा प्रशासन के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। सात बार टेंडर प्रक्रिया अमल में लाने के बावजूद ठेकेदारों के रेट अधिक होने के कारण स्थानीय अधिकारी अपने स्तर पर आए आवेदनों की स्वीकृति दे नहीं पा रहे। जबकि स्टेट लेवल कमेटी के पास भेजने के बाद आवेदनों में रेट सरकारी दरों से अधिक होने के कारण रिजेक्ट किया जा रहा है। टेंडर प्रक्रिया पूरी न होने का खामियाजा किसानों व आढ़तियों को उठाना पड़ रहा है। Sirsa News
दरअसल मार्केट कमेटी में उपज लाने के बाद टोकन कटने व खरीद होने के बाद भी किसान के खाते में भुगतान तभी होता है। जबकि खरीदी गई उसकी उपज संबंधित एजेंसी के गोदाम तक पहुंच जाए। हालत यह है कि अकेले सरसा मार्केट कमेटी के अधीन 15 खरीद केंद्रों पर डेढ़ लाख क्विंटल गेहूं की आवक दर्ज हो चुकी है जिसकी सरकारी खरीद भी एजेंसियां कर चुकी है परंतु टेंडर न होने के कारण लदी खड़ी गाडिय़ों के गेट पास ही जारी नहीं हो पा रहे। जिसके कारण किसानों के खाते में भुगतान में भी देरी हो रही है।
सातवीं बार खुले टेंडर में 11 केंद्र ही हुए फाइनल
शनिवार शाम तक सातवीं बार मांगे गए टेंडरों की आनलाइन बिड खोलने के बाद प्रशासनिक स्तर पर 71 खरीद केंद्रों के लिए 12 लेबर व ट्रांसपोर्टर के 28 आवेदन अप्रूवल के लिए एक बार फिर से राज्य स्तरीय कमेटी के पास भेजे हैं। दरअसल, 32 खरीद केंद्रों के लिए टेंडर चौथे चरण में फाइनल हो गए थे परंतु प्रशासन द्वारा पूर्व में एसएलसी के पास भेजे गए आवेदनों को रिजेक्ट करने के बार दोबारा प्रक्रिया अपनाई गई। इस प्रक्रिया के दौरान भी ठेकेदारों की ओर से रेट नहीं तोड़े गए जिसके चलते प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो पाई। सरकार ने प्रशासन को पिछले तीन वर्ष के उच्चतम रेट से 10 प्रतिशत अधिक रेट पर भी टेंडर अप्रूव करने की स्वीकृति दी परंतु कई खरीद केंद्रों पर तकनीकी कमियां बताकर ठेकेदारों ने रेट बढ़ा रखे हैं। ऐसे केंद्रों पर आए आवेदनों को अब एसएलसी के स्तर पर निपटान किया जाना है।
प्रशासन का दावा : इस बार सिरे चढ़ जाएगी टेंडर प्रक्रिया
स्थानीय अधिकारियों की मानें तो शेष रहे 39 खरीद केंद्रों में से 11 केंद्रों पर परिवहन के रीटेंडर में आवेदन जिला स्तर पर फाइनल कर लिए गए है। वहीं शेष रहे सीएलसी को भेजे गए 28 केंद्रों के लिए आवेदनों में रेट अधिक होने का ठेकेदार व विभाग स्तर पर सरकार को औचित्य स्पष्ट किया गया है। ठेकेदारों ने इसमें वजह बताई है कि खरीद केंद्रों की दूरी दर्शाई गई दूरी से अधिक होने के कारण उन्हें 10 प्रतिशत में नुकसान उठाना पड़ सकता है। ऐसे में अब एक बार फिर से गेंद सरकार के पाले में है। यदि इस बार भी टेंडर फाइनल न हुए तो इसका सीधा नुकसान किसानों को उठाना पड़ेगा और मंडियों में हालात बिगडऩे की स्थिति पैदा हो सकती है। Sirsa News
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