कृषि संकट का समाधान जरूरी

Agricultural Ordinances

केंद्र सरकार ने विवादित कृषि कानून वापिस लेने के बाद दिल्ली बार्डर पर बैठे किसानों में जश्न का माहौल है। साथ ही किसानों ने ऐलान किया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने तक संघर्ष जारी रहेगा। वास्तव में यदि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बन भी जाए फिर भी कृषि संकट का स्थायी समाधान नहीं समझा जा सकता। धान के कारण भू-जल का स्तर गिरना, कीटनाशकों और खादों का बढ़ रहा प्रयोग जैसी कई जटिल समस्याएं हैं जिनके समाधान के बिना कृषि संकट का समाधान नहीं हो सकता। वास्तव में न तो कृषि कानूनों की वापिसी से किसानों की समस्या हल हुई और न ही सरकार ने अपनी जिम्मेदारी पूरी की है। मुद्दों की जड़ तक भी पहुंचना होगा। वास्तव में केंद्र सरकार, राज्य सरकारें और किसान तीनों ही पक्षों को कृषि संकट का समाधान निकालने के लिए मिल-बैठकर रणनीति बनानी होगी।

सरकारों को कृषि समस्याओं संबंधी किसानों, कृषि विशेषज्ञों और कृषि वैज्ञानिकों की मदद लेनी चाहिए। भले ही कृषि संबंधी फैसलों में सरकारी तंत्र की अहम भूमिका होती है लेकिन इसके पीछे कृषि का ज्ञान भी महत्वपूर्ण होता है। वास्तव में चंद ऐसे भी किसान हैं जिन्होंने पारंपरिक खेती को छोड़कर कर आधुनिक तकनीक से खेती कर सफल किसान बने। किसानों को नई फसलों, अंतरराष्ट्रीय स्तर के कृषि के हालातों और मंडीकरण पर नजर रखनी होगी। समय कभी भी एक जैसा नहीं रहा। बदलाव प्रकृति का नियम है। वैकल्पिक फसलों की कृषि से जहां सरकारें को निवेश करने की आवश्यकता है वहीं केवल निजी क्षेत्र में निवेश को छोड़कर देश की जनसंख्या बहुत कृषि क्षेत्र के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास करने होंगे।

जब किसान वैकल्पिक फसलों की तरफ ध्यान देगा तब गेहूँ धान की पैदावार भी संतुलित होगी जिससे अनाज भंडार का खर्च घटेगा और वही पैसा कृषि तकनीकों को विकसित करने पर खर्च हो। फिलहाल देश में न तो सिंचाई की समस्या हल हुई है और न ही पानी की बचत के लिए कोई नीति लाई गई है। वास्तविक्ता यह है कि भू-जल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है जिसे बचाने के लिए औपचारिक बैठकें व कार्रवाईयों के सिवाय कुछ भी नहीं हो रहा। कीटनाशक और खाद का बढ़ रहा प्रयोग और इसका खाद्य पदार्थों पर बुरा प्रभाव कैंसर और अन्य बीमारियों के रूप में किसान परिवार को आर्थिक और शारीरिक रूप से बर्बाद कर रहा है। जश्न के दौर में कृषि संकट के खतरों को याद रखना होगा, यह सबकी जिम्मेदारी है।

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