स्वास्थ्य सेवाओं पर बजट बढ़ाना जरूरी

Medical Equipment

अपने देश में चिकित्सा सेवा का विस्तार सुखद और स्वागतयोग्य है। इसमें भी जब उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में नौ मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन हुआ है, तो खुशी दोगुनी हो जाती है। गत दिवस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में 2,329 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इन मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया। कॉलेजों का उद्घाटन करने के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, नौ मेडिकल कॉलेज स्वस्थ भारत के सपनों को साकार करेंगे। ये राज्य के लोगों के लिए एक उपहार हैं। वाकई इन मेडिकल कॉलेज के खुलने से उत्तर प्रदेश में अस्पताल सुविधा में लगभग 2,500 बिस्तर जुड़ जाएंगे। गौर करने की बात है कि ये ज्यादातर मेडिकल कॉलेज पूर्वांचल में स्थित हैं, जहां चिकित्सा का ढांचा अपेक्षाकृत रूप से कमजोर है। कोरोना के समय भी हमने इन इलाकों में चिकित्सकीय जरूरतों को महसूस किया है। निजी क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार हो रहा है, लेकिन उससे आम समाज की जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं।

उत्तर प्रदेश में न केवल चिकित्सा की पढ़ाई, बल्कि चिकित्सा सेवाओं और चिकित्सकों की संख्या का बढ़ना अनिवार्य है। जुलाई महीने तक देश में 558 मेडिकल कॉलेज सेवाएं दे रहे थे, जिनमें से 289 सरकारी और 269 गैर-सरकारी थे। अलग-अलग चरण में केंद्र सरकार के समय करीब 157 मेडिकल कॉलेज खुले हैं या उन्हें मंजूरी मिली है। आंकड़ों से साफ है कि निजी मेडिकल कॉलेज की संख्या ज्यादा है, सरकारी मेडिकल कॉलेज की संख्या निजी कॉलेजों से बहुत ज्यादा होनी चाहिए। सरकारी मेडिकल कॉलेज न सिर्फ किफायती दर पर चिकित्सक तैयार करते हैं, बहुत किफायती दर पर चिकित्सा सेवा भी देते हैं। इसके अलावा निजी मेडिकल कॉलेज से पैसे खर्च करके डिग्री हासिल करने वाले चिकित्सकों पर कमाने का दबाव भी ज्यादा रहता है।

सरकारी मेडिकल कॉलेज की ज्यादा संख्या किसी भी राज्य के सामाजिक विकास के लिए बेहतर संकेतक हो सकती है। बजट में स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च को बढ़ाना जरूरी है। केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार भी स्वास्थ्य बजट में बढ़ोतरी कर अपने नागरिकों को सस्ता एवं स्वच्छ उपचार उपलब्ध करा सके तो कुपोषण, भुखमरी एवं बीमारियों से निजात मिल सकेगा। निजी क्षेत्रों की चिकित्सा व्यवस्था ने गरीब और मध्यम वर्ग के मरीजों को लाचार और विवश बनाकर छोड़ दिया है। सरकारी स्तर पर उन्नत स्वास्थ्य सेवाएं विकसित करनी होगी जिससे गरीब मरीजों को भी समुचित इलाज सुलभ हो सकें। चिकित्सा क्षेत्र में अभी भारत को बहुत लंबा सफर तय करना है। डॉक्टर और मरीज अनुपात के अलावा चिकित्सा की आधारभूत सेवाओं का बड़ा अभाव है। आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं की कमियों पर भी गौर करना चाहिए।

 

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।