केंद्र सरकार ने एक देश-एक मंडी का निर्णय लिया, जिससे देश भर के किसानों में भय व उलझन का माहौल है। किसान संगठन सड़कों पर उतर आए हैं और इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। किसानों का दावा है कि इस फैसले से किसानों की फसल को व्यापारियों की निर्भरता पर छोड़ दिया है। किसानों के अनुसार निजी सेक्टर मनमर्जी के रेटों पर फसल की खरीद करेंगे और सरकार एमएसपी तय करने से भाग रही है। दूसरी तरफ केंद्रीय कृषि मंत्री नरिन्दर सिंह तोमर ने फैसले के विरोध को केवल अफवाह करार दिया और कहा है कि ऐसा कुछ भी नहीं और एमएसपी जारी रहेगा। भले ही केंद्रीय मंत्री भरोसा दे रहे हैं लेकिन स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए और फैसले में जिन बातों पर संशय है उसे स्पष्ट किया जाना चाहिए।
इसमें कोई संदेह नहीं कि पिछले दो दशकों से गेहूँ-धान जैसी फसलों की खरीद सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है। मंडियों में अनाज के ढेर लग जाते हैं और लिफ्टिंग भी समय पर नहीं हो पाती। लिफ्टिंग नहीं होने के कारण लाखों टन अनाज मंडियों में खराब हो जाता है। इसके अलावा गोदामों में अनाज स्टोर करना भी चुनौतीपूर्ण है, दूसरी तरफ पूर्वी-उत्तरी पहाड़ी राज्यों में धान की कृषि भी शुरू हो गई है, जिससे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व कई अन्य राज्यों से चावल की ढुलाई महंगी पड़ती है इसीलिए केंद्र सरकार के लिए पूर्वी-उत्तरी राज्यों में धान की खेती अनाज के भंडारण के नजरिये से सस्ती पड़ती है लेकिन समस्या की जड़ पंजाब, हरियाणा के किसान नहीं बल्कि कृषि नीतियां हैं। जब तक वैकल्पिक फसलों का मंडीकरण नहीं हो जाता तब तक किसान गेहूँ-धान के चक्रव्यू से निकलकर चाय, मक्का, तिलहन इत्यादि की खेती को बढ़ावा नहीं देगा। इस बार लॉकडाउन में फूलों, फलों और सब्जी की खेती करने वालों को भारी मार पड़ी है और वे किसान भी धान की खेती करने की राह चल पड़े हैं। गेहूँ, धान की खेती के लिए एमएसपी ही किसानों को एकमात्र उम्मीद है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
कहने को किसान सब्जियां भी देश के विभिन्न हिस्सों में भेज सकता है लेकिन अन्य स्थानों पर बेचने से लागत खर्च भी पूरा नहीं मिल पाता। यदि किसान को उसके क्षेत्र में ही नई फसलों की मंडी मिलेगी तब वह नई फसलों की बिजाई के लिए उत्साहित होंगे। जब तक मंडीकरण की समस्या खत्म नहीं हो जाती और पारम्परिक फसलों की बिजाई किसान की मजबूरी रहेगी तब तक एमएसपी से पीछे हटना जोखिमपूर्ण है। किसानों के लाभ के लिए फसल बीमा योजना को सही ढंग से लागू कर, न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि करना एवं एमएसपी के अंतर्गत आनेवाली फसलों की संख्या को बढ़ाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त कृषि क्षेत्र में तकनीक को बढ़ावा देना, उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग, जरूरतमंद किसानों को ब्याज मुक्त या कम दर पर ऋण मुहैया कराना आदि जैसे दीर्घकालीन उपायों के द्वारा किसानों की स्थिति में व्यापक सुधार किया जा सकता है।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।