हिसार सच कहूँ/संदीप सिंहमार। NCERT Books: ईस्ट इंडिया कंपनी ने जिस भारत देश के नाम को इंडिया नाम से प्रचलित किया था, अब इंडिया से भारत नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के पैनल ने इंडिया से भारत नाम बदलने की मंजूरी प्रदान कर दी है। अब एनसीईआरटी भविष्य में जितनी भी किताबें प्रकाशित करेगा,उनमें सिर्फ भारत नाम लिखा जाएगा। लेकिन एनसीईआरटी ने इस बात को अभी स्पष्ट नहीं किया है कि पहले जितनी भी किताबें देश भर के सरकारी स्कूलों के प्रचलन में है वे सभी किताबें जारी रहेगी या सभी किताबें वापसी की जाएगी। NCERT Books India Name Change
पैनल के सदस्य आई जैक ने कहा कि असल में इंडिया शब्द का आमतौर पर ईस्ट इंडिया कंपनी और 1757 के प्लासी युद्ध के बाद होना शुरू हुआ था। वहीं भारत शब्द का जिक्र विष्णु पुराण जैसे प्राचीन लेखों में भी मिलता है,जो 7000 साल पुराने हैं। ऐसी स्थिति में समिति ने आमसहमति से सिफारिश की है कि सभी कक्षाओं की किताबों में भारत का नाम ही इस्तेमाल किया जाएगा। ध्यान रहे कि राष्ट्रीय शैक्षणिक एवं अनुसंधान परिषद यह समिति उन 25 समितियां में से एक है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार पाठ्यक्रम को बदलने के लिए केंद्रीय स्तर पर एनसीईआरटी के साथ काम कर रही है।
रुका हुआ था पुस्तकों का प्रकाशन | NCERT Books India Name Change
फिलहाल नए शैक्षणिक सत्र के लिए किताबों का प्रकाशन रूका हुआ था। पैनल की मंजूरी के साथ ही किताबों का प्रकाशन शुरू होने की उम्मीद जग गई है। क्योंकि भारतीय स्कूलों में वर्तमान समय में एनसीईआरटी की किताबों की बहुत कमी है। जिस कमी को निजी प्रकाशनों के सहयोग से पूरा किया जा रहा था। दूसरी ओर स्कूलों पर एनसीईआरटी की किताबें पढ़ने का दबाव रहता है। जबकि एनसीईआरटी की एजेंसी के पास यह किताबें उपलब्ध नहीं है।
भारतीय ज्ञान प्रणाली की होगी शुरुआत
भारत में विद्यालयी स्तर पर पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली यानी इंडियन नॉलेज सिस्टम की शुरुआत भी इसी नए बदलाव का हिस्सा है। यह बदलाव होने के बाद भारतीय ज्ञान प्रणाली की भी शुरुआत होने जा रही है। भारतीय ज्ञान प्रणाली में क्या शामिल रहेगा,इस बारे में अभी नहीं बताया गया है?
हिन्दू विकट्रीज़ की भी सिफारिश
पैनल के सदस्यों के बीच बनी आम सहमति से प्रस्ताव मंजूर होने के बाद एनसीईआरटी किताबों अगले सेट में इंडिया का नाम बदलकर भारत कर दिया जाएगा समिति ने पाठ्य पुस्तकों में हिंदू विकट्रीज़ को उजागर करने की भी सिफारिश की है। समिति ने पाठ्य पुस्तकों में एशियन हिस्ट्री के स्थान पर क्लासिकल हिस्ट्री को शामिल करने की सिफारिश भी की। इतिहास को अब प्राचीन,मध्यकालीन और आधुनिक में विभाजित नहीं किया जाएगा,क्योंकि इसे पता चलता है कि भारत एक पुराना और ब्रिटिश साम्राज्यवाद से अनजान राष्ट्र है। अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक में बांटा हुआ है। एशिएंट का मतलब प्राचीन होता है। वह दिखता है कि देश अंधेरे में था, जैसे कि उसमें कोई वैज्ञानिक जागरूकता ही नहीं थी। सौरमंडल पर आर्यभट्ट के काम समेत ऐसे कई उदाहरण शामिल हैं।
G-20 के दौरान उछला था यह मुद्दा
ग्रुप ऑफ-20 देश का सम्मेलन इस बार भारत में हुआ था। इस दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुर्सी के समक्ष भारत नाम ही लिखा गया था। लेकिन इसी दौरान अन्य बैनरों पर भारत व इंडिया दोनों नाम लिखे गए थे। दूसरी तरफ कांग्रेस समर्थित राजनीतिक पार्टियों ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए जो एक संयुक्त गठबंधन बनाया है, उन्होंने उसका नाम I.N.D.I.A. रख लिया। तब से इंडिया से भारत बदलने का एक राजनीतिक मुद्दा भी बना हुआ है। पर यह भी सबको ध्यान रहे भारत से इंडिया नाम को हटाना खुद भारत सरकार के लिए इतना आसान नहीं है, क्योंकि यूनाइटेड नेशन में भारत का रजिस्ट्रेशन इंडिया नाम से ही है।
दूसरी तरफ भारत की मुद्रा भी रिजर्व बैंक आफ इंडिया जारी करता है। यदि भारत का नाम बदला जाता है तो रिजर्व बैंक आफ इंडिया का नाम भी रिजर्व बैंक आफ भारत करना पड़ सकता है। पर इससे पहले संविधान की मूल प्रस्तावना में संशोधन लाना होगा, जिसमें लिखा गया है,India,that is Bharat।जिसे संसद के लोकसभा में राज्यसभा में बिल पेश करते हुए राष्ट्रपति से इसकी मंजूरी लेनी होगी। ऐसा किया जाता है तो भारत सरकार को एक बहुत बड़ा बजट इस पर खर्च करना पड़ सकता है, जिसका सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था वआम जनता पर पड़ेगा।