रांची (एजेंसी)। 32 साल की नाजिया इन दिनों सुर्खियों में है। दरअसल हाल ही में उन्होंने रांची में अंजुमन इस्लामिया के चुनाव में महिला सदस्य के तौर पर वोट दिया है। अंजुमन के सौ सालों के इतिहास में यह पहली दफा हुआ है। दरअसल अब तक किसी भी महिला को अंजुमन का सदस्य नहीं बनाया गया था। इस अधिकार को पाने के लिए नाजिÞया ने पूरे दस सालों की लड़ाई लड़ी। मुसलमानों के बीच सामाजिक, शैक्षणिक तरक्की, रोजगार, स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के साथ गरीबों-मजलूमों की मदद के लिए अंजुमन काम करता रहा है। झारखंड में सुन्नी वक़्फ बोर्ड अंजुमन इस्लामिया के कामकाज पर नजर रखता है। वैसे ये कोई पहली बार नहीं है जब नाजिया ने जुझारूपन दिखाया है।
कॉलेज के दिनों में छात्र नेता के तौर पर रांची विश्वविद्यालय में किसी मुस्लिम छात्रा के पहली बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भी उनके नाम है। नाजिया कहती हैं कि मुस्लिम महिलाओं में भी हुनर और प्रतिभाएं हैं। घर-परिवार और समाज का थोड़ा साथ मिल जाए, तो वे भी तेजी के साथ अगली कतार में शामिल होती दिखेंगी। “साल 2008 में मैंने अंजुमन की सदस्यता के लिए आवेदन दिया था, जिसे खारिज कर दिया गया। मुझे बताया गया कि अंजुमन में कोई महिला सदस्य नहीं बन सकती।” इसके बाद महिला आयोग में उन्होंने दरख्वास्त डाला। आयोग ने उनके पक्ष में फैसला दिया। इसके बाद भी बात नहीं बनी। तब वो राज्य अल्पसंख्यक आयोग पहुंचीं।