चंडीगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। एक साल की कठोर सजा के मामले में आत्मसमर्पण से पहले स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते नवजोत सिंह सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट से कुछ सप्ताह की मोहलत मांगी। वहीं पूर्व क्रिकेटर व कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के आत्मसमर्पण की मोहलत देने गुहार पर सुप्रीम कोर्ट विचार करने को सहमत हो गया है।
कल ही सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई थी एक वर्ष की सजा
उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू को 34 साल पुराने एक गैर-इरादतन हत्या के मामले में एक साल कैद की सजा सुनाई। न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने शीर्ष अदालत के 2018 के फैसले पर पुनर्विचार के बाद सजा बढ़ाने संबंधी आदेश पारित किया। पीठ ने मृतक के परिजन की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद सिद्धू को यह सजा सुनाई है। पंजाब के पटियाला निवासी गुरनाम सिंह के परिजनों ने अपनी याचिका में सिद्धू को मात्र 1000 रुपए की आर्थिक दंड पर रिहा करने को नाकाफी करार देते हुए दंड बढ़ाने की गुहार अदालत से लगाई थी। शीर्ष अदालत ने सजा में संशोधन की मांग वाली पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद 25 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या है मामला:
यह मामला 1988 में सड़क पर हुए झगड़े में सिद्धू एवं अन्य के मुक्का मारने के बाद 65 वर्षीय गुरनाम सिंह की मृत्यु हो गयी थी। पीड़ित पक्ष की ओर से आरोप लगाए गए थे कि सिद्धू द्वारा मुक्का मारने से गुरनाम की मौत हो गई थी। इस मामले में शीर्ष न्यायालय ने 15 मई 2018 के अपना फैसला दिया था। तब इस अदालत ने सिद्धू को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 323 के तहत दोषी ठहराया था, जिसमें अधिकतम एक साल की सजा, या आर्थिक दंड या दोनों का प्रावधान है। सिद्धू को मात्र 1000 रुपए का जुमार्ना लगाने के बाद बाद रिहा कर दिया गया था।