अगल-बगल बैठे सिद्धू-कैप्टन में नजर आईं दूरियां
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सिद्धू ने कैप्टन को किया अनदेखा, पौने दो घंटे में देखा तक नहीं
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सिद्धू ने मंच पर की नेताओं से मुलाकात, कैप्टन के पास पहुंचकर कुर्सी पर बैठ गए
अश्वनी चावला, चंडीगढ़। नवजोत सिद्धू और अमरेन्द्र सिंह के बीच दूरियों को खत्म करने की हाईकमान ने भरपूर कोशिश की लेकिन शुक्रवार को हुए शपथ ग्रहण समारोह में उनकी मेहनत पर पानी फिर गया। दोनों दिग्गज कैप्टन और सिद्धू एक स्टेज पर तो दिखे लेकिन पौने 2 घंटें के कार्यक्रम में दोनों ने एक दूसरे के साथ बातचीत तक नहीं की। जब उनके भाषण की बारी आई तो उन्होंने लगभग 20 मिनट के भाषण में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह (अपनी ही सरकार) को निशाने पर लिया और उनके कार्यकाल में काम नहीं होने की बात कही। यह सब सुनकर हर कोई हैरान था कि नवजोत सिद्धू समारोह में अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाने आए हैं या फिर विरोधी पार्टियों पर निशाने साधने के साथ ही शपथ उठाने के लिए आए हैं।
गौरतलब है कि नवजोत सिद्धू को कुछ दिन पूर्व ही कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेशाध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी। शुक्रवार को कांग्रेस भवन में शपथ ग्रहण समारोह रखा गया था। समारोह में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की उपस्थिति को लेकर असमंजस बना हुआ था, क्योंकि वे नाराज चल रहे थे। इसके विपरीत हाईकमान के कहने पर अमरेन्द्र सिंह ने समारोह में आने के लिए राजी हुए लेकिन शपथ ग्रहण सामारोह से पूर्व सुबह की चाय से लेकर दोपहर तक दोनों के बीच न ही कोई बातचीत हुई और न ही दोनों के बीच कोई ज्यादा नजदीकी देखी गई। जबकि इसके उलट नवजोत सिद्धू ने स्टेज पर अमरेन्द्र सिंह को पूरी तरह अनदेखा किया।
अमरेन्द्र सिंह का नाम तक नहीं लिया
नवजोत सिद्धू ने अपने संबोधन में लाल सिंह और राजिन्दर कौर भट्ठल के साथ ही मंत्री सुखजिन्दर रंधावा का नाम लिया लेकिन अमरेन्द्र सिंह का एक बार भी नाम तक नहीं लिया। दूसरी तरफ अमरेन्द्र सिंह ने अपने संबोधन में नवजोत सिद्धू का कई बार नाम लेते हुए यहां तक कहा कि वे राजनीति में ही नवजोत सिद्धू के बुजुर्गों के कारण ही आए थे। नवजोत सिद्धू के पिता ने ही उन्हें राजनीति में एक नेता बनाया है।
मिलकर काम करने की अपील
मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने नवजोत सिद्धू से अपील की कि दोनों मिलकर काम करें। अपने संबोधन में कैप्टन ने कहा कि पंजाब की सत्ता में कांग्रेस पार्टी को वापिस लेकर आने के लिए दोनों को मिलकर काम करना होगा। संगठन की बड़ी जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है, जिसे निभाते हुए वे संगठन को आगे लेकर जाएं।
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