सरसा। हर वर्ष 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य महिलाओं की मातृव सुरक्षा को बढ़ावा देना है। भारत सरकार ने साल 2003 में 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाने की घोषणा की थी। इस अभियान की शुरूआत ‘व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया’ द्वारा की गई थी। भारत सरकार ने इसे मनाने का फैसला इसलिए लिया ताकि गर्भावस्था और प्रसव को दौरान किसी महिला की मौत न हो।
वहीं पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की बेटी ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां ने ट्वीट के जरिये कहा, ‘एक माँ इस दुनिया में नया जीवन लाती है। अब एक ऐसी दुनिया बनाने में मदद करने का समय आ गया है जहाँ कोई भी माँ पीछे न रहे! सुरक्षित मातृत्व को बढ़ावा देने के लिए सुलभ स्वास्थ्य सेवाओं की आसानी के साथ एक अधिक स्वस्थ दुनिया बनाने के लिए आइए हम एकजुट हों।
A mother brings the whole new life to this world. Now it’s time to help create a world where no mother is left behind!
Let us unite to build a more healthier world with an ease of accessible healthcare services to promote safe motherhood. #NationalSafeMotherhoodDay— Honeypreet Insan (@insan_honey) April 11, 2023
गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी जागरूक करना
राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाने का उद्देश्य गर्भावस्था, प्रसव और पोस्ट-डिलीवरी और गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं के प्रति जागरूक करना है। ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न हो। एक रिपोर्ट के मुताबिक हर साल भारत में करीब 35,000 से अधिक महिलाओं की गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल न होने के चलते मौत हो जाती है। हर साल इस डे को बड़े पैमाने पर सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली कठिनाइयों और इससे कैसे लड़ा जाए इसके बारे में बताया जाता है। यह दिन बाल विवाह को रोकने के लिए भी बढ़ावा देता है। ताकि आज के समय लोग बाल विवाह के प्रति जागरुक हो। इसके अलावा सरकार भारत मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रयास कर रही है।
गर्भवती और नई माताओं के साथ-साथ उनके नवजात बच्चों का स्वास्थ्य समाज के स्वास्थ्य और स्थिति का प्रतिबिंब होता है। यह विभिन्न योजनाओं और सूचकांकों जैसे – विश्व स्वास्थ्य सूचकांक आदि के निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां भारत में गर्भवती और नई माताओं की स्थिति से संबंधित कुछ आवश्यक आंकड़े दिए गए हैं।
- राष्ट्रीय स्तर पर NNFHS 4 और 5 के बीच कुल प्रजनन दर (TFR) 2.2 से घटकर 2.0 हो गई है।
- NFHS-5 के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल 23.3% महिलाओं का विवाह 18 वर्ष की कानूनी आयु प्राप्त करने से पहले हुई थी, जो NFHS-4 में रिपोर्ट की गई 26.8% से कम है।
- किशोर गर्भावस्था 7.9% से घटकर 6.8% हो गई है।
- संस्थागत जन्म – यह भारत में 79% से बढ़कर 89% हो गया।
- मातृ मृत्यु अनुपात 2014-16 में 130 से घटकर 2018-20 में 97 प्रति लाख जीवित जन्म हो गया है।
- मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) को प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर एक निश्चित समय अवधि के दौरान मातृ मृत्यु की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है।
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