नई दिल्ली। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अपशब्द कहने वाले केन्द्रीय कुटिर, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री नारायण राणे को नासिक पुलिस ने 8 घंटे हिरासत में रखा। इसके बाद कुछ शर्तों के साथ उन्हें रिहा कर दिया।
बता दें कि नारायण राणे बीते 20 सालों में गिरफ्तार होने वाले पहले केंद्रीय मंत्री हैं। किसी राज्य की पुलिस ने किसी केंद्रीय मंत्री को गिरफ्तार किया हो, इस मामले में राणे तीसरे केंद्रीय मंत्री हैं। इससे पहले, जून 2001 में केंद्रीय मंत्रियों-मुरासोली मारण और टीआर बालू को तमिलनाडु पुलिस ने 12 करोड़ रुपये के फ्लाइओवर घोटाले में गिरफ्तार गया था। उनसे पहले तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणानिधी की भी गिरफ्तारी हो चुकी थी। मारन और बालू को अगले दिन जमानत पर छोड़ा गया तो तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज ने चेन्नई जाकर उनसे मुलाकात की थी।
क्या है केन्द्रीय मंत्री और सांसद की गिरफ्तारी का नियम
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य का कहना है कि किसी केंद्रीय मंत्री को आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से छूट नहीं मिली हुई है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को सिविल मामलों में गिरफ्तारी से तो छूट हासिल है, लेकिन आपराधिक मामलों में नहीं। इस नियम के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुए वे कहते हैं कि केंद्रीय मंत्रियों एवं सांसदों पर सिविल मामलों में कोई आरोप लगे तो संसद सत्र से 40 दिन पहले, संसद सत्र के दौरान और सत्र खत्म होने के 40 दिन बाद तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है। वे साफ कहते हैं कि रूल बुक में ऐसा कुछ नहीं है कि आपराधिक मामलों में उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है।
आचार्य बताते हैं कि नियमानुसार संबंधित सदन के प्रजाइडिंग ऑफिसर (लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति) को मंत्री या सांसद की गिरफ्तारी की सूचना देना अनिवार्य है। जब संसद सत्र नहीं चल रहा हो तो पार्लियामेंट बुलेटिन में ये जानकारी प्रकाशित की जाती है और अगर संसद चल रहा हो तो संबंधित सदन को जानकारी दी जाती है। इस नियम में एक अपवाद भी है कि यदि किसी मंत्री या सांसद को संसद भवन परिसर से ही गिरफ्तार किया जाना हो तो वो जिस सदन के सदस्य है, उसके पीठासीन अधिकारी (लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति) से इसकी अनुमति लेनी होगी। उनकी अनुमति के बिना किसी मंत्री या सांसद को संसद भवन परिसर से गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।