मनुष्य बनकर तो आ गया, समय कलियुग का चल रहा है: पूज्य गुरुजी
- नामचर्चा में पहुंची सिरसा लोकसभा सीट से सांसद सुनीता दुग्गल, मानवता भलाई कार्यों की जमकर की तारीफ
फतेहाबाद।(सच कहूँ/विनोद शर्मा) स्थानीय हिसार रोड स्थिात नई सब्जी मंडी में फतेहाबाद जोन की विशाल रुहानी नामचर्चा का आयोजन किया गया। नामचर्चा के दौरान हजारों की संख्या में साध-संगत ने पहुंचकर राम नाम का गुणमान किया। नामचर्चा पंडाल को बहुत ही सुंदर ढंग से सजाया गया था। नामचर्चा को लेकर साध-संगत में काफी उत्साह देखा गया। नामचर्चा के दौरान फतेहाबाद ब्लॉक सहित आसपास की साध-संगत ने भी भाग लिया। नामचर्चा की शुरूआत ब्लॉक भंगीदास ओमप्रकाश सोनी ने पवित्र नारा धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा बोलकर की।
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इस मौके पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए ब्लॉक फतेहाबाद की साध-संगत ने 100 जरुरतमंद परिवारों को सर्दी से बचने के लिए गर्म कंबल भी वितरित किए गए। नामचर्चा के दौरान कविराज भाईयों ने भजनों के माध्यम से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। साध-संगत को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन रिकार्डिँग अनमोल वचनों को भी सुनाया गया नामचर्चा के दौरान डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों ने पूज्य गुरुजी के वचनों पर अमल करते हुए उनके जीवन में आए परिवर्तन व अपने साथ हुए साक्षात चत्मकार साध-संगत को सुनाए।
साध-संगत की सुविधा के लिए नामचर्चा पंडाल में बड़ी-बड़ी स्कीनें भी लगाई गई थी, ताकि साध-संगत को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो। नामचर्चा में सिरसा लोकसभा सांसद सुनीता दुग्गल ने भी पहुुंचकर डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए जा रहे मानवता भलाई कार्यों की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि आज डेरा सच्चा सौदा के नाम अनेक विश्व रिकार्ड दर्ज है। सांसद दुग्गल ने कहा कि जब भी कोई देश में आपदा आई है डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत हमेशा तैयार रही है। उन्होंने कहा कि आज भी डेरा सच्चा सौदा द्वारा अनेक मानवता भलाई कार्य किए जा रहे है। डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों की जितनी भी तारीफ की जााए, उतनी कम है।
साध-संगत ने 100 जरुरतमंद परिवारों को बांटे कंबल
नामचर्चा के दौरान पहुंची साध-संगत को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन रिकार्डिँग अनमोल वचनों को सुनाया गया। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि मनुष्य बनकर तो आ गया, समय कलियुग का चल रहा है कर्म उसके अनुसार करता जा रहा है। भूल गया अपने उद्देश्य को, भूल गया अपने मकसद को, भूल गया इस शरीर में बेइंतहा खुशियां हासिल कर सकता है, भूल गया चंद खुशियों के लालच में, भूल गया जीभा के स्वाद में, भूल गया इन्द्रियों के भोग विलास में। ये क्षणिक आनंद, ये पल का आनंद पाकर मस्त हुआ बैठा है और उस परमानंद से बहुत दूर हुआ बैठा है। परमानंद, उस ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू, गॉड, खुदा, रब्ब की इबादत से मिलता है।
ऐसा क्या है उसमें, जिसके लिए हम कह रहे हैं कि आप भूल गए हैं, क्षणिक आनंद में, पल के भोग विलास में, जीभा के स्वाद में खो गए हैं, तो उसमें ऐसा क्या है? आमतौर पर दुनिया में इन्सान का अलग-अलग टेस्ट होता है, स्वाद होता है। किसी को नमकीन बढ़िया लगता है, किसी को मीठा बढ़िया लगता है, कई कड़वे में मरे पड़े हैं।
सो अलग-अलग स्वाद, किसी को इन्द्रियों का भोग विलास, उनके लिए कोई रिश्ते ही नहीं रहते, उनकी निगाहें बुरा ही ताकती रहती हैं। सो अलग-अलग स्वादों में दुनिया पड़ी हुई है। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि ऐसा नहीं है कि सबको एक जैसी चीज ही भाती हो। कई सगे भाई भी होते हैं, उनको भी अलग-अलग चीजें पसंद होती हैं, लेकिन ये हम आपको गारंटी देते हैं, जो ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू, गॉड, खुदा, रब्ब की धुर की बाणी, अनहद नाद, बांग-ए- इलाही, मैथड आॅफ मेडिटेशन से प्राप्त की हुई गॉड्स वाइस एंड लाइट, वो जो आवाज है, वो जो रोशनी है, वो जो परमानंद जिसे हम कह रहे हैं, दुनिया में किसी को चाहे कोई भी स्वाद क्यों ना पसंद हो, अगर आप उससे (परमानंद) जुड़ते हैं, जो आपको स्वाद पसंद है, उस परमानंद में इससे अरबों-खरबों गुणा आपको स्वाद आएगा और हर किसी को आएगा और वो स्वाद परमानेंटली है। ये आप वाला टैम्परेरी है।
आपजी ने फरमाया कि रसगुल्ला स्वाद है, मुंह में डाला, खाया, जब तक चीनी है साथ स्वाद आता रहता है, थोड़ी देर बाद मुँह बकबका हो जाता है। ऐसे ही हर स्वाद का हाल है। क्षणिक, कुछ पलों के लिए, कुछ मिनटों के लिए, उसके बाद वो ही आदमी स्वादहीन हो जाता है, मतलब स्वादहीन हो जाती है जीभा। जिस परमानंद की हम बात कर रहे हैं, अगर उसे चख लिया जाए, उसे पा लिया जाए, महसूस कर लिया जाए, एक बार वो राम-नाम का स्वाद जीभा पर आ गया, ताउम्र रहेगा और ऐसी खुशी देता रहेगा, जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि आप दुनिया में कोई भी काम-धंधा करते हैं, बिजनैस-व्यापार करते हैं, किस लिए करते हैं? अपने शरीर के लिए, बाल बच्चों के लिए, और किसी चीज के लिए तो नहीं करते आप।
आत्मबल, विश्वास से ही बात बनती है
हाँ, सत्संगी जो हैं, वो परहित परमार्थ करते हैं, ये तो बेमिसाल है, ये तो बात ही अलग है। लेकिन इनके अलावा दुनिया में तो ये ही मकसद होता है या तो शरीर के लिए, या फिर औलाद के लिए, माँ-बाप के लिए अब कम होता जा रहा है सौदा। तो ये सारे कर्म आप करते रहते हैं और इन कर्मों से आपको लगता है कि जीवन जीने का उद्देश्य पूरा हो रहा है, मकसद हमारा यही है। नहीं, आप भूल गए हैं, ये जो आप दुनिया में मस्त हुए बैठे हैं, ये तो धीरे-धीरे छूटता जाएगा, कोई आज साथ छोड़ गया, कोई कल साथ छोड़ गया, जब तक खिलाओ, पिलाओगे अपने हैं, मुट्ठी बंद हुई नहीं, निकल बाहर। आप जानते हैं स्वार्थ, गर्ज हावी हो गया है, तो आपने इसको मकसद बना रखा है, जबकि ये नहीं मनुष्य शरीर का सबसे बड़ा मकसद है उस शक्ति को पाना, उस ताकत को पाना जो सबको बनाने वाली है, सब कुछ देने वाली है।
उसकी तरफ तो ध्यान ही नहीं है, आप इसी में खो गए हैं, इसी के हो गए हैं। आपजी ने फरमाया कि हम नहीं कहते कि बच्चों के लिए ना करो, हम नहीं कहते कि शरीर के लिए ना करो, पर अगर लाभ ही लेना है तो क्यों ना ऐसा सच्चा सौदा किया जाए जिस पर कुछ इन्वेस्ट नहीं करना, आपने लगाना कुछ नहीं है, बस थोड़ा सा समय चाहिए आपका और यकीन मानिए, जो भी बिजनेस-व्यापार लाभ के लिए कर रहे हैं, फायदे के लिए कर रहे हैं, उससे लाखों-करोड़ों गुना बढ़कर लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। क्योंकि हर बिजनेस, खेती-बाड़ी कॉन्फिडेंस से आती है, आत्मबल, विश्वास से ही बात बनती है।
साध-संगत के लिए किए गए बेहतर प्रबंध
नामचर्चा के दौरान पहुंची साध-संगत के लिए फतेहाबान की साध-संगत द्वारा बेहतर प्रबंध किए गए थे। नामचर्चा में पहुंचे वाहनों के लिए अलग से पार्किंग की सुविधा की गई थी, ताकि शहर में जाम न लग सके। बसों, कारों व अन्य साधनों के लिए अलग-अलग पार्किंग की सुविधा की गई थी। नामचर्चा को लेकर सब्जी मंडी स्थल एवं आसपास के क्षेत्र को बहुत ही सुंदर ढंग से सजाया गया था। नामचर्चा समाप्ति के बाद कुछ ही मिनटों में हजारों की संख्या में पहुंची साध-संगत को लंगर-प्रसाद का वितरित कर दिया गया। नामचर्चा समाप्ति से पहले समूह साध-संगत ने सिमरन भी किया।
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