भिंड (मध्यप्रदेश)। परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के पावन अवतार माह के उपलक्ष्य में ग्वालियर के ब्लॉक भिंड में नामचर्चा का आयोजन किया गया। नामचर्चा की शुरूआत पवित्र नारा ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ लगाकर की। इसके बाद कविराजों ने शब्दवाणी से मंत्रमुग्ध किया। नामचर्चा में मानवता भलाई के कार्य करने का संकल्प लिया।
लोगों का नशा छुड़ाना सच्चे सौदे का ऐम: पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां
पूज्य गुरुजी ने सच्चा सौदा क्या और इसका मकसद क्या है? के बारे में बताते हुए फरमाया कि सच्चा ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, राम है। वो सच था, सच है और सच रहेगा, वो ना बदला था, ना बदला है और ना कभी बदलेगा। जिसे ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड कहा जाता है। इसलिए सच्चा का अर्थ हो गया परमात्मा और सौदा यानी बिजनेस, व्यापार। पूज्य गुरु जी ने कहा कि कौन सा सौदा? सौदे से लगता है सौदेबाजी चलती है।
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जी हां यहां कौन-सी सौदेबाजी चलती है? के बारे में स्पष्ट करते हुए फरमाया कि सच्चा सौदा में आप अपने बुरे कर्म ले आओ, आप नशा रूपी जितनी बुराइयां करते हो, बुरी आदतें ले आओ, अरे अपने पाप गुनाह ले आओ और ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु की कृपा से शाह सतनाम, शाह मस्ताना की कृपा से यहां दे जाओ और बदले में अनमोल राम का नाम, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड का नाम ले जाओ। घर में बैठकर उसका जितना आप जाप करते रहोंगे, उसे जितना लगाते रहोगे दिलो-दिमाग रूह पे, उतना ही चेहरे पर नूर आएगा। घर में बरकते आएगी। साथ में बिजनेस, व्यापार जो भी काम धंधा आप करते हो उनमें आपको और तरक्की हासिल होंगी। यानी ये सच्चा सौदा का सौदा है।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि किसी भी धर्म में नहीं लिखा कि शराब पीयो, तंबाकू खाओ, ड्रग, चिट्टा-काला नीला, पीला जो भी आ गया है। सब नशे बबार्दी का घर हैं। ये सच्ची बात सच्चे सौदा में सिखाई जाती है। सच्ची बाते हैं, राम की बाते है, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड की बाते है और इसलिए ये कड़बी उन्हीं को लगती है जो नशे के व्यापारी है, जो ढोंग ढकोसला करता है,जो बुरे कर्म करता है, उसको लगता है कि मेरी सारी दुकानें बंद हो जाएगाी। सारे इसपे अमल करने लग गए, अगर सारे लोग अपने-अपने धर्मो को मानने लग गए तो फिर नशे की तो कोई जगह ही नही हैं। पूज्य गुरु जी ने कहा कि नशे को छुड़ाना ऐम है सच्चे सौदे का। सच्चे सौदे का ये ऐम क्यों है के बारे में बताते हुए कहा कि जो मालिक की औलाद है, वो सच्चे सौदे के संत-पीर फकीर की भी औलाद होती है।
वैसे हर संत की औलाद होती है। क्योंकि भगवान को सबकुछ मानता है, उसकी जितनी भी औलाद है, सृष्टि में जितने भी आदमी, इन्सान, पशु, पक्षी यानी जितने भी लोग है, जितने भी जीव-जंतु है सारे भगवान की औलाद है। इसलिए नैचुरली संत की औलाद हो गए। हमे बहुत दर्द होता है कि हमारी औलाद राम-नाम का नशा छोड़कर गंदगी खा रही है। जब हमारे बच्चे नशा छोड़कर जाते है तब हमें खुशी मिलती है। इसलिए सच्चा सौदा में सच्चा नशा राम-नाम का दिया जाता है और गंदे नशे को छुड़ाया जाता है।
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