जीन्द (सच कहूं / कुलदीप नैन)। हुड्डा ग्राउंड, नजदीक एकलव्य स्टेडियम जींद जोन की विशाल रुहानी नामचर्चा का आयोजन किया गया। नामचर्चा के दौरान हजारों की संख्या में साध-संगत ने पहुंचकर राम नाम का गुणमान किया। नामचर्चा पंडाल को बहुत ही सुंदर ढंग से सजाया गया था। नामचर्चा को लेकर साध-संगत में काफी उत्साह देखा गया। नामचर्चा के दौरान जींद ब्लॉक सहित आसपास की साध-संगत ने भी भाग लिया। नामचर्चा की शुरूआत ब्लॉक भंगीदास ने पवित्र नारा धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा बोलकर की। इस मौके पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए ब्लॉक जींद की साध-संगत ने 100 जरुरतमंद परिवारों को सर्दी से बचने के लिए गर्म कपड़े भी वितरित किए गए।
- जींद में उमड़ा श्रद्धा का जनसैलाब
- जीन्द विधायक डॉ कृष्ण मिड्डा ने की नामचर्चा में शिरकत
- 100 गरीब जरूरतमन्दों को बांटे गए गर्म वस्त्र
नामचर्चा के दौरान कविराज भाईयों ने भजनों के माध्यम से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। नामचर्चा के दौरान डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों ने पूज्य गुरुजी के वचनों पर अमल करते हुए उनके जीवन में आए परिवर्तन व अपने साथ हुए साक्षात चत्मकार साध-संगत को सुनाए। साध-संगत की सुविधा के लिए नामचर्चा पंडाल में बड़ी-बड़ी स्कीनें भी लगाई गई थी, ताकि साध-संगत को किसी प्रकार की कोई असुविधा न हो। नामचर्चा में जींद विधानसभा के विधायक डॉ. कृष्णा मिड्डा ने भी पहुुंचकर डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाए जा रहे मानवता भलाई कार्यों की जमकर तारीफ की।
संत तो हर किसी का भला मांगते है
पूज्य गुरुजी ने फरमाया की भगवान कण कण जर्रे जर्रे में है, कोई जगह उससे खाली नही है। सभी धर्मों में सब कुछ समान है बस बोली अलग है अंदाज अलग है। वो एक ही शक्ति है। न उस जैसा कोई आज तक हुआ है और ना होगा। वो आपके शरीर में समाया हुआ है। अगर सच्चे दिल से उसको याद करोगे पुकारोगे तो उस तक पहुंच जाओगे। लेकिन आज इन्सान के कानों पर काम वासना क्रोध लोभ मोह अहंकार मन माया चुगली निंदा की मोहरे लगी हूई है इसलिए जो आवाज अंदर चल रही है वो सुनाई देती ही नही। अगर उस तक आवाज पहुंचानी हैं तो ध्यान एकाग्र करना होगा, गुरुमंत्र का जाप करना होगा। गुरुमंत्र का अर्थ गु का मतलब अंधकार और रु का मतलब प्रकाश होता है यानी जो अज्ञानता रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी दीपक जला दे। मंत्र का अर्थ है शब्द युक्ति। यानी गुरु जिन शब्दों का अभ्यास करता है और उससे जो अनुभव होता है वो उसे दुनिया को बताता है उसे कहा जाता है गुरूमन्त्रा। लेकीन ये गुरु का मंत्र नहीं होता। ये मंत्र उस भगवान ओम हरि अल्लाह का होता है जो आपको उससे जोड़ता है।
आपजी ने आगे फरमाया की संत फकीर का मतलब ये नही होता कि आपको राम नाम सुनाए ओर झोली फैला ले कि अब बदले में हमे भी डालो। जब भगवान दाता था दाता है और दाता ही रहेगा तो उसके फकीर कैसे मांग सकते है। जब आप कर्म कर सकते है तो हम भी तो इंसान है हम भी अपना काम आप करते है हर अच्छा कर्म करते है और जो खुद करके खायेगा वो किसी को मांगने की शिक्षा नही दे सकता।
आपजी ने आगे फरमाया कि संत फकीर हमेशा से धरती पर आते रहे है, आ रहे है और आते ही रहेगे। सन्तो को किसी मान बढ़ाई की चाह नही होती और हम तो आपको हमेशा कहते है कि हम तो आपके नोकरो के भी नोकर है। हमारा काम हर किसी के भले के लिए दुआ करना है। सन्तो को चाहे कोई गाली दे बुरा बोले वो फिर भी हर किसी के लिए भला ही मांगते है।
आपजी ने आगे फरमाया कि मालिक से मालिक को मांगा करो और अगर उसको अपना बना लिया तो जो दुनिया को बनाने वाला है वो क्या आपके घर मे कमी छोड़ देगा। इसलिए तो हम आपको कहते है कि जो भक्त हो आप कभी भी चुगली निंदा ना किया करो किसी का बुरा ना बोला करो, उसपे छोड़ा करो कि मालिक तू जाने तेरा काम जाने हम तो तेरे बच्चे है। बस इतना मांग लिया करो कि सबको सदबुद्धि बक्श नेक अक्ल बक्श। फिर भगवान जाने उसका काम जाने, उसकी मर्जी उसकी रजा जो करेगा अच्छा ही करेगा।
12 वर्षों से अपने हाथ में तिरंगा थामे हुए हैं डेरा श्रद्धालु राजेश हिंदुस्तानी
डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए नित नए मानवता भलाई के कार्य कर रहे हैं। जो कि अपने आप में बेमिशाल है। आज हम आपको ऐसे ही डेरा अनुयायी से रुबरु करवाएंगे, जिनमें देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। राजेश हिंदुस्तानी, हिसार 12 वर्षों से तिरंगा अपने हाथ में थामे हुए है। वे जहां भी जाते है तिरंगा शान के साथ अपने साथ लेकर जाते हैं।
राजेश हिंदुस्तानी का कहना कि देश भक्ति की भावन पूज्य गुरु जी ने ही मेरे अंदर भरी है। मेरा परिवार बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के समय से डेरा सच्चा सौदा से जुड़ा हुआ है। मैंने खुद भी पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज से गुरुमंत्र लिया हुआ है। मैं पूज्य गुरु जी का बहुत आभारी हूं, जिन्होंने मेरे परिवार को बुराइयों से बचाकर रामनाम के साथ जोड़ रखा है।
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