फरीदकोट में बढ़ी सरसों की काश्त, मौसम भी अनुकूल

Mustard Cultivation, sachkahoon

किसानों ने घरेलू प्रयोग के लिए सरसों की काश्त को महत्व दिया

फरीदकोट (सच कहूँ न्यूज)। खाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तेलों में हो रही मिलावट और इसके महंगे भाव ने इस बार किसानों को सरसों की फसल बीजने के लिए मजबूर कर दिया है। फरीदकोट जिले में पिछले साल 750 किले क्षेत्रफल में सरसों (Mustard Cultivation) की काश्त हुई थी जबकि इस बार फरीदकोट जिले में 2600 किले क्षेत्रफल में सरसों की काश्त हुई है।

सरसों के तेल का भाव पिछले पांच महीनों से लगातार बढ़ रहा है। 90 रुपए लीटर मिलने वाला सरसों का तेल बाजार में इस समय पर 185 रुपये लीटर मिल रहा है जो आम खपतकार की पहुंच से दूर हो गया है। दिलचस्प तथ्य यह है कि पिछले साल कौड़ियों के भाव सरसों की फसल बेचने वाले किसानों को भी तेल महंगे भाव खरीदना पड़ रहा है।

गांव हरद्यालेआना के किसान कुलविन्दर सिंह संधू ने कहा कि सरसों का तेल महंगा होने साथ-साथ इसमें मिलावट भी बड़े स्तर पर हो रही है जिस का लोगों को दोहरा क्षतिपूर्ति भुगतना पड़ रहा है। इस बार जिले में लगभग हर किसान ने अपनी घरेलू प्रयोग के लिए सरसों की काश्त की है और कुछ किसानों ने व्यापारिक मकसद के साथ भी सरसों की काश्त को पहल दी है।

कामगार यूनियन के सूबा उपप्रधान रजिन्दर सिंह दीप सिंह वाला ने कहा कि महँगाई के मुकाबले में किसान उन फसलों को प्राथमिकता दें, जिनको वे खुद ईस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि तेल और दालों की काश्त पंजाब के लोगों को कंगाली में से निकाल सकती है। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चो ने पंजाब में दालें को एमएसपी के अधीन लाने की मांग की है।

फसल के लिए मौसम अनुकूल: किरनजीत

मुख्य कृषि अधिकारी किरनजीत सिंह गिल ने कहा कि इस बार फरीदकोट जिला में सरसों की काश्त निचले क्षेत्रफल में तीन गुणा विस्तार हुआ है। सरसों की फसल (Mustard Cultivation) के लिए इस बार मौसम भी अनुकूल है। मुख्य कृषि अधिकारी ने कहा कि अब गर्मी बढ़ने कारण सरसों की फसल पर तेल पीने वाले कीड़े (तेलों) का हमला हो सकता है और इस समस्या के साथ पूर करने के लिए किसानों को प्रमाणित सप्रे करने की सलाह दी गई है।

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