‘साधारण होने का गुरूर होना चाहिए’

Must be a teacher to be ordinary'
  •  आप सत्ता-सादगी के बीच कितना अंतर समझते है।

देखिए, मुझे नजदीक से जानने वाले लोग भलीभांति जानते हैं कि मैं जो हूं, वैसा ही रहूंगा। मैं सन 2004 से लेकर 2014 तक लगातार दो बार उड़ीसा विधानसभा का सदस्य रहा हूं। तब भी लोग सोचते थे मैं बदल जाउंगा। वहां भी साईकिल से लगातार आना-जाना होता था। लेकिन अपनी सादगी में कोई फर्क नहीं आने दिया। अपनी सादगी जिंदा रखी, आगे भी रखूंगा। मोदी जी के शपथग्रहण वाले दिन भी सभी नेता प्लेटें लेकर हॉल में खड़े होकर खाना खा रहे थे। लेकिन मैंने सभागार के बाहर आकर एक कोने में नीचे बैठकर खाना खाया। कुछ लोग हंस भी रहे थे, पर मुझे फर्क नहीं पड़ता।

 क्या आपकों मंत्री बनाए जाने का अंदाजा था?

मंत्री बनाना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार होता है। शपथग्रहण के एक दिन पहले दिल्ली से फोन गया। कहा कि आपको 30 तारीख को दिल्ली में उपस्थित रहना है। मुझे तब तक नहीं पता था कि मंत्री बनाया जाउंगा। लेकिन लोगों के बधाईयों वाले फोन आने लगे, टीवी पर फोटो सहित मंत्री बनाए जाने को लेकर खबरें दिखने लगी। देखिए, मोदी जी ने कुछ सोचसमझ कर ही मुझे मंत्री के लिए चुना है। उम्मीद करूंगा, उनके विश्वास पर खरा उतर सकूं। लेकिन मंत्री बनने के बाद भी मेरे काम करने का क्रियाकलाप पूर्व की भांति ही रहेगा। मंत्री बनने का मतलब बड़ी जिम्मेदारी निभाना! इसलिए हर उस व्यक्ति को ईमादारी से अपने कर्तव्य का निर्वाह करना चाहिए। मंत्री के लिए देश और राष्टृ की चिंता सर्वोपरी होनी चाहिए।

  •  कहते हैं आप प्रधानमंत्री के काफी करीबी हैं?

मोदी जी से मेरी पहली मुलाकात 2004 में उड़ीसा में ही हुई थी। ये गलत अफवाह है कि मेरी उनकी लगातार मुलाकातें होती हैं। भारतीय राजनीति में उनका कद अब सबसे बड़ा माना जाता है। वह काम करने वालों को पसंद करते हैं न कि चापलूसों को। बेमतलब की प्रशंसा को लालच कहा जाता है, जिसे प्रधानमंत्री बखूबी समझते हैं। नजदीकियां काम को लेकर होनी चाहिए, फालतू बातों के लिए नहीं। बिना मतलब मुझे किसी से भी मिलना पसंद भी नहीं। क्योंकि मंत्रियों का एक-एक पल देश की जनता के लिए समर्पित होता है। इसलिए किसी को बाधा नहीं बनना चाहिए।

  •  सामाजिक कार्यकर्ता बनकर लोग सियासत का हिस्सा बनना ही क्यों पसंद करते हैं?

बुराई क्या है इसमें! दोनों का धर्म एक ही तो है सेवा करना! समाजसेवा को मैंने पहला धर्म माना है। एक बड़ी सच्चाई यह भी है, अब समाज सेवा बिना धन व्यय के नहीं होती। इसलिए समाज सेवा के लिए पॉवर की जरूरत होती है और पॉवर सत्ता-सियासत का अहम हिस्सा होती है। दोनों के गठजोड़ से मानवीय सेवा करना और आसान हो जाता है। हां, इतना जरूर है कि सत्ता मिलने के बाद खुद को रावण नहीं, बल्कि सेवक ही समझना चाहिए। आपका कहना ठीक भी है कुछ लोग राजनीति में ऐसे भी हैं जो आंदोलनों और समाजसेवा की आड़ लेकर सेंध लगाई है। लेकिन ऐसे लोग बहुत जल्द नकार दिए जाते हैं। एकाध बार तो जनता को चकमा देने में सफल हो जाते हैं। पर, आगे की राह उनके लिए कठिन हो जाती हैं। ताजे कुछ उदाहरण हमारे समक्ष हैं। राजनीति और सेवक में दो बड़े अंतर होते हैं। समाज सेवा सहन करने चीज है और सत्ता पचाने की। राजनीति समाजसेवा के लिए सबसे अच्छा प्लेटफार्म है।

  •  निर्दलीय विधायक के अलावा आप बजरंग दल के नेता भी रहे। भाजपा से कैसे जुड़ना हुआ?

मैंने 2014 में भाजपा ज्वाइंन की थी। 16वीं लोकसभा का चुनाव मैंने भाजपा के टिकट पर लड़ा था। तब हार हुई थी, पर पार्टी में एक कर्मठ सिपाही की तरह काम जारी रखा। इस बार मुझे सफलता मिली। इससे पहले मैंने पूरे उड़ीसा में ‘गण शिक्षा मंदिर योजना’ के तहत सैकड़ों आदिवासी गावों में स्कूलों का निर्माण कराया है। शिक्षा से दूरी बनाकर चलने वाले बच्चों के भीतर पढ़ाई की अलाख जगाई। मेरी मुहीम को फिर सरकारी मान्यता मिली। खोले गए स्कूलों को समकरा केंद्र में प्रवृर्तित किया गया। बजरंग से जुड़े होने के दौरान मैंने पूरे प्रदेश में शराबखोरी के खिलाफ बड़ा आन्दोलन शुरू किया था। ये सभी सामाजिक काम बदस्तूर आगे भी जारी रहेंगे।

  •  पूर्व में आप पर कुछ गंभीर आरोप भी लगे थे?

एक भी आरोप साबित नहीं हुआ। बालासोर का एक संगठित सियासी गिरोह मुझे राजनीतिक रास्ते से बेदखल कर खुद कब्जाना चाहता था। लेकिन मेरा काम लोगों में बोलता है। इसलिए मुझे किसी बेवजह आरापों की कोई परवाह नहीं। जब तक शरीर में सांसें हैं, लोगों की भलाई के लिए मौजूद रहूंगा। मेरी झोपड़ी में जो भी अपनी समस्या लेकर आता है तो मेरी हर संभव कोशिश रहती है कि उनके दुख का निवारण कर सकूं। मैंने खुद को मोह-माया से दूर कर लिया है। मेरे आगे-पीछे कोई नहीं है। मंत्रीमंडल के अलावा सांसद-विधायकों में सबसे गरीब हूं। इस बात का मुझे गुरूर भी है।
रमेश ठाकुर

 

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।