सरसा से 35 किलोमीटर दूर सरसा-फतेहाबाद सड़क पर डिंग मोड़ से सरदूलगढ़ लिंक रोड पर स्थित है। गाँव खैरा खुर्द के भक्त दल्लू राम, डॉ. सम्पत राम तथा माता मूली देवी (सरपंच रामेश्वर दास की माता) डेरा सच्चा सौदा सरसा में मासिक सत्संग पर पहुँचे। सत्संग सुना और पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज के आगे अपने गाँव खैरा खुर्द में सत्संग करने के लिए विनती की। उनकी सच्ची लगन को देखकर आप जी ने उनके गाँव में सत्संग मंजूर कर दी। तीसरे दिन शहनशाह मस्ताना जी महाराज सत्संग करने के लिए खैरा खुर्द पधारे। गाँव वालों ने सच्चे सतगुरु जी का अपने गाँव आने पर गर्मजोशी से स्वागत किया। बेपरवाह जी का उतारा (पड़ाव) भक्त रामेश्वर दास के घर में था। Source of Inspiration
रात्रि को गाँव की चौपाल में चौधरी गणपत राम के मकान के आगे बड़ी धूमधाम से सत्संग हुआ। जिन-जिन कविराजों ने शब्द बोला, उनको शहनशाह जी ने नोटों के हार पहनाए। फिर अगले दिन शहनशाह जी ने नाम-शब्द दिया। भक्तों ने विनती की, साईं जी! यहाँ आश्रम बनाओ। इस पर परम दयालु सतगुरु जी ने फरमाया, ‘भई! कल देखेंगे।’ गाँव के पास आश्रम के लिए जगह पसंद कर ली गई। गांव के भक्तों ने आश्रम के लिए जगह दिखाते हुए पूज्य मस्ताना जी महाराज के चरणों में अर्ज की कि यहाँ आश्रम बनाओ।
डेरे का नाम ‘हरिपुरा’ धाम रखो। यह हरा-भरा ही रहेगा
जगह देखकर पूज्य शहनशाह जी ने फरमाया, ‘यहाँ आश्रम नहीं बनाते, यहाँ काल का बहुत जोर है।’ किसी भक्त ने अर्ज की कि साईं जी, आपके होते हुए काल हमारा क्या कर सकता है। इस पर बेपरवाह जी ने फरमाया, ‘यहाँ काल और दयाल की टक्कर होगी पर जीत दयाल की ही होगी। अगर तुम बनाना ही चाहते हो तो इस डेरे का नाम ‘हरिपुरा’ धाम रखो। यह हरा-भरा ही रहेगा। Source of Inspiration
पूज्य साईं जी ने आगे फरमाया, ‘असीं तुम्हें एक बहुत कीमती बात बताते हैं। तीसरी बॉडी गुप्त है। जब वह ताकत आएगी हजारों गुणा संगत हो जाएगी। अनेक आश्रम बनेंगे।’ आश्रम बनाने की मंजूरी देते हुए पूजनीय बेपरवाह जी ने वचन फरमाया, ‘यहाँ तीन किस्म के वृक्ष लगाना-बड़, पीपल व नीम। यहाँ एक डिग्गी भी बनाना और इन वृक्षों को उस में से पानी दे दिया करना। हर किसी को सुमिरन, हक-हलाल की कमाई एवं मानवता की सेवा करना जरूरी है।’
रोजाना की तरह अगले दिन भी सुबह के समय सोहणे सतगुरु जी बाहर घूमते हुए नहर के पार चले गए व साध-संगत को हुक्म फरमाया, ‘वापिस आकर आश्रम में सत्संग करेंगे।’ गाँव में सत्संग का ढिंढोरा पिटवा दिया गया। वापिस आकर शहनशाह जी ने सत्संग शुरू कर दिया। सत्संग के बाद साध-संगत को हुक्म फरमाया, ‘वृक्ष लगाओ, डिग्गी खोदो और डेरे की सीमा पर जो लकीर खींची है, वहाँ कांटेदार झाड़ियों की बाड़ लगा दो। खैरा खुर्द की साध-संगत ने डिग्गी खोद ली, वृक्ष भी लगा दिए और काँटेदार झाड़ियों की बाड़ लगा दी। पहले गुफा बनाई फिर चार कमरे और साथ में एक रसोई भी बना दी। Source of Inspiration
शाह मस्ताना जी महाराज ने नोट बांटे व नामशब्द से अनेकों रूहों का उद्धार किया
जब आश्रम बनकर तैयार हो गया तो गांव के सत्संगी डेरा सच्चा सौदा सरसा में सत्संग में आए व पूजनीय साईं शाह मस्ताना जी महाराज के चरणों में अपने गांव में सत्संग करने के लिए अर्ज की। फिर सत्संग मंजूर कर दिया गया। आप जी ने यह सत्संग बहुत ही धूमधाम से दरबार में किया। इसी सत्संग में पूजनीय साईं शाह मस्ताना जी महाराज ने कपड़े व अपनी खाकी पोटली में से नोट निकालकर बांटे व नामशब्द प्रदान करते हुए अनेकों रूहों का उद्धार किया। सन् 1990 में सारी साध-संगत इक्ट्ठी होकर डेरा सच्चा सौदा सरसा पहुंची। साध-संगत ने पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के चरणों में अर्ज की कि पिता जी! दरबार में पक्के मकान बनाए जाएं। परम दयालु दातार जी ने मंजूरी दे दी।
कच्चा मकार गिराकर पक्के बनाने शुरू कर दिए गए। चार कमरे पक्के, एक रसोई व बाथरूम व टीन का एक बरांडा तैयार कर दिया। सारे कमरे, रसोई, बाथरूम व बरांडे पक्के कर दिए गए। साध-संगत का उत्साह देखकर दरबार की चारदीवारी भी पक्की कर दी गई। दरबार में एक बड़ा कमरा भी बना दिया गया। इस तरह दरबार की चिनाई का काम पूरा हो गया। दरबार के सत्ब्रह्मचारी सेवादार व साध-संगत दरबार की जमीन पर सब्जियां आदि की पैदावार ले रहे हैं। साध-संगत मिलकर हरीपुरा धाम में नामचर्चा भी करती है। सतगुरू जी की कृपा से अब दरबार दिन-दुगुनी, रात-चौगुनी तरक्की कर रहा है। Source of Inspiration
कच्चा आश्रम गिराकर पक्का बनाना शुरू कर दिया | Source of Inspiration
जब आश्रम बनकर तैयार हो गया तो गाँव के भक्त डेरा सच्चा सौदा सरसा सत्संग पर आए और मस्ताना जी महाराज के चरणों में अपने गाँव में सत्संग करने के लिए विनती की। फिर सत्संग मंजूर कर दिया। आप जी ने यह सत्संग बड़ी धूमधाम से आश्रम में ही किया। इसी सत्संग पर सतगुरु दातार जी ने कपड़े और अपनी खाकी पोटली में से नोट निकालकर बाँटे और नाम प्रदान करके अनेक रुहों का उद्धार किया।
सन् 1990 में सारी संगत इकट्ठी होकर डेरा सच्चा सौदा सरसा पहँुची। संगत ने पूज्य परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज के चरणों में प्रार्थना की कि पिता जी! हमारा कच्चा आश्रम गिरवाकर पक्का बनाया जाए। इस पर परम दयालु दातार जी ने मंजूरी दे दी। कच्चा आश्रम गिराकर पक्का बनाना शुरू कर दिया। चार कमरे पक्के, एक रसोई व बाथरूम और टीन का एक बरामदा तैयार कर दिया। सभी कमरे, रसोई, बाथरुम व बरामदे पक्के कर दिए गए। साध-संगत का उत्साह देखकर आश्रम की पक्की चारदीवारी भी हो गई।
आश्रम के सत ब्रहचारी सेवादार व साध-संगत दरबार की जमीन से सब्जियों आदि की पैदावार लेते हैं। साध-संगत मिलकर हरीपुरा धाम में नाम-चर्चा भी करती है। सतगुरु जी की कृपा से अब दरबार दिन-दौगुनी, रात-चौगुनी उन्नति कर रहा है।’ जब आश्रम बनकर तैयार हो गया तो गांव के सत्संगी डेरा सच्चा सौदा सरसा में सत्संग में आए व शाह मस्ताना जी महाराज के चरणों में अपने गांव में सत्संग करने के लिए अर्ज की। फिर सत्संग मंजूर कर दिया गया। आप जी ने यह सत्संग बहुत ही धूमधाम से दरबार में किया।
सतगुरू जी की कृपा से अब दरबार दिन-दुगुनी, रात-चौगुनी तरक्की कर रहा है
इसी सत्संग में बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने कपड़े व अपनी खाकी पोटली में से नोट निकालकर बांटे व नामशब्द प्रदान करते हुए अनेकों रूहों का उद्धार किया। सन् 1990 में सारी साध-संगत इक्ट्ठी होकर डेरा सच्चा सौदा सरसा पहुंची। साध-संगत ने पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के चरणों में अर्ज की कि पिता जी! दरबार में पक्के मकान बनाए जाएं। परम दयालु दातार जी ने मंजूरी दे दी।
कच्चा मकार न गिराकर पक्के बनाने शुरू कर दिए गए। चार कमरे पक्के, एक रसोई व बाथरूम व टीन का एक बरांडा तैयार कर दिया। सारे कमरे, रसोई, बाथरूम व बरांडे पक्के कर दिए गए। साध-संगत का उत्साह देखकर दरबार की चारदीवारी भी पक्की कर दी गई। दरबार में एक बड़ा कमरा भी बना दिया गया। इस तरह दरबार की चिनाई का काम पूरा हो गया। दरबार के सत्ब्रह्मचारी सेवादार व साध-संगत दरबार की जमीन पर सब्जियां आदि की पैदावार ले रहे हैं। साध-संगत मिलकर हरीपुरा धाम में नामचर्चा भी करती है। सतगुरू जी की कृपा से अब दरबार दिन-दुगुनी, रात-चौगुनी तरक्की कर रहा है। Source of Inspiration
इस पंचायत ने की डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरूजी की सराहना!