अतिव्यस्त दिनचर्या होने के कारण लोग अपने खाने में न तो जरूरी तत्वों की तरफ ध्यान रख पाते हैं और न ही शारीरिक व्यायाम के लिए समय दे पाते हैं भागदौड़ के इस आधाुनिक युग में आज आम इंसान फास्ट फूड पर निर्भर होता जा रहा है, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। एक तरफ आज हम संतुलित आहार को नजर-अंदाज करते जा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ हमारे खाना खाने के अनुचित तरीके भी बीमारियों का कारण बनते जा रहे हैं।
1. खाने से पहले हाथ धो लें
भोजन से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह साबुन से धो लें ताकि हाथों में मौजूद बैक्टिरिया आपके खाने के साथ आपके शरीर में प्रवेश कर नुक्सान न पहुंचाए।
2. बैठकर खाएं
भोजन बैठकर ही खाएं, क्योंकि चलते-चलते खाना खाने से पाचन क्रिया पर असर पड़ता है। बैठकर खाते समय हम सुखासन की स्थिति में होते हैं, जिससे कब्ज, मोटापा, एसिडिटी आदि पेट संबंधी बीमारियां नहीं होती हैं।
3. व्यायाम करने के तुरंत बाद न खाएं
वर्कआऊट या एक्सरसाईज करने के तुरंत बाद खाना न खाएं । शरीर को सामान्य तापमान में आने दें, उसके बाद ही खाना खाएं।
4. खाना पीयो और पानी खाओ-
आयुर्वेदा में भी आता है कि खाने को इतना चबाओ कि वह बिल्कुल पानी की तरह हो जाए और पानी को घूंट-घूंंट करके बहुत ही धीरे-धीरे पीयो। आपके बहुत सारे रोग इस बात को अपनाने मात्र से ही खत्म हो जाएंगे। ऐसे खाने से कभी कब्ज नहीं होगी, फ्रैश सही ढंग से होंगे और आपके शरीर में जो विटामिन, खनिज लवण जा रहे हैं, वो आपके शरीर को अच्छी तरह से रिपेयर करेंगे, आपके शरीर की डिमांड को पूरी करेंगे, नहीं तो आंतड़ियों का जोर लगा रहता है और पूरी चीज का असर नहीं उठा पाती और वैसा ही अपच खाना बाहर आ जाता है।
पानी
1. खाने से आधा घंटा पहले व बीच में 2-4 घूंट पानी ले सकते हैं, लेकिन खाना खाने के बाद पानी नहीं लेना चाहिए। ज्यादा पानी पीने से पाचनतंत्र में समस्या आ जाती है।
2. खाने के बाद पानी से कुल्ला जरूर करना चाहिए, इससे जो भी खाने के कण दांतों में फंसे होते हैं वो निकल जाते हैं। कुल्ला करके उस पानी को पी भी सकते हैं।
3. जैसे कि पुराने बुजुर्ग भी कहा करते थे-‘‘पानी ओक दा सौदा रोक दा’’ यदि ओक (अंजुलि) से पानी पीया जाए तो वो बैस्ट है। जब तक होठों से पानी नहीं लगता, तब तक प्यास नहीं बुझती। हमारे होंठ गीले होने जरूरी हैं, क्योंकि प्यास हमारी ग्रन्थियों को ही लगती है। अगर ओक से पानी पीया जाए तो उसका स्वाद भी ज्यादा देर तक रहता है।
4. हलवा और तली हुई चीजें खाने के बाद आधा घंटा पानी नहीं पीना चाहिए, इससे गला खराब होने की समस्या से आप बचे रहेंगे।
5. अगर आप गले को बढ़िया बनाना चाहते हैं तो गर्म व ठंडा साथ-साथ नहीं लेना चाहिए। ठंडा खाने के 10-15 मिनट बाद ही किसी गर्म पदार्थ का सेवन करें।
खाना खाने का ढ़ंग
1. खाना खाते समय आपस में बातचीत नहीं करनी चाहिए, अन्यथा खाना श्वास नली में अटक सकता है। खाना अगर सुमिरन करते हुए खाएं तो सोने पर सुहागा है।
2. हमेशा खाना मुंह बंद करके ही खाना चाहिए।
3. निश्चित समय पर ही खाएं। सारा दिन खाते ही न रहें। सुबह के समय नाश्ता अच्छा, यानि थोड़ा हैवी लें, दोपहर को उससे कम और रात को हल्का खाएं। जैसे अक्सर कहा जाता है कि ‘नाश्ता राजा जैसा, दोपहर का खाना रानी जैसा और रात का खाना भिखारी जैसा होना चाहिए।’ रात को 8 बजे सूरज छिपने के बाद खाना न खाएं। रात को बहुत भारी खाना खाकर सोना पाचन-शक्ति व वजन के हिसाब से ठीक नहीं है।
भूख लगने पर ही खाएं
कुछ लोग स्वाद लेने के लिए बार-बार खाना खाते हैं। पहले का खाना पचा नहीं कि दोबारा खा लिया। ऐसा करने से पेट की बीमारियां शुरू हो जाती हैं और खाना अच्छे से पच नहीं पाता है
दालें व सोयाबीन
ये ऊर्जा के बहुत ही अच्छे स्त्रोत हैं। दालों को कम से कम 6 घंटे पानी में भिगोकर रख दो, 24 घंटे के लिए कपड़े में बांध दो, उससे दालें अंकुरित हो जाएंगी। अंकुरित दालें खाने से कई बीमारियां खत्म हो जाती हैं।
तले पदार्थ
तला हुआ कोई भी सामान सेहत के लिए फायदेमंद अगर 2 परसैंट है तो 98 परसैंट नुक्सान दायक है। सिर्फ स्वाद के लिए सेहत को दांव पर नहीं लगाना चाहिए। बिना तले स्वादिष्ट चीजें बनाई जा सकती हैं। भुने हुए चनों में नमक, मिर्च व नींबू का रस मिलाकर बढ़िया स्वादिष्ट बनाया जा सकता है। अगर मीठा खाना है तो चनों में बूरा शक्कर मिला लें या चनों को पीस कर थोड़ा सा घी डाल लीजिए और उसकी आप छोटी-छोटी टिक्कियां बना सकते हैं, स्वाद भी बहुत होंगी और तंदरूस्ती तो देंगी ही देंगी। इस तरह तली चीजों से जितना हो सके बचा जाए।
खुश रहो व स्वास्थ्य पाओ, जंक फूड को आदत ना बनाओ।
छोड़ तला स्वस्थ खाओ, बीमारी व बुरे विचार भगाओ।’’
–पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां
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