दालें व सोयाबीन
ये ऊर्जा के बहुत बढ़िया स्रोत हैं। दालों को कम से कम 6 घंटे पानी में भिगो कर रख दो, 24 घंटे के लिए कपड़े में बाँध दो, उससे दालें अंकुरित हो जाएँगी। अंकुरित दालें खाने से कई बीमारियाँ खत्म हो जाती हैं।
घी का सेवन
‘‘सौ चाचे ते इक पेयो, सौ बीमारियाँ ते इक घियो’’, पंजाबी की यह कहावत बिल्कुल सही है। घी खाना गलत नहीं है लेकिन घी खाकर बैठना या खुर्राटें मारना गलत है। मेहनत जरूरी है अब तो सार्इंस भी इस बात को मान चुकी है कि देशी घी ही पॉवर का सबसे बढ़िया स्रोत है। घी सेहत के लिए अच्छा है पर उसके बाद शारीरिक मेहनत करना जरूरी है ताकि मोटापा न आए। घी, मक्खन, दही जितना मर्जी खाओ। घी खाओगे तो उससे पेट कम होता है। इसमें ऐसे रसायन होते हैं जो पेट को कम करते हैं। घी शरीर को सुदृढ़ बनाता है, पर अगर आपको घी खाने की आदत नहीं है, तो पहले थोड़ी मात्रा में खाएं।
कभी भी घी में कोई चीज तल कर मत खाएं। घी कच्चा खाना चाहिए। आप इसे हल्का सा गर्म कर सकते हैं और फिर सब्जी, दूध या चपाती पर डाल कर खा सकते हैं। गाय का घी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। गाय के दूध में बहुत ताकत होती है, वहीं यह दिमाग की स्मरण शक्ति बढ़ाता है। गाय के मूत्र के सेवन से कई बीमारियां नजदीक नहीं आती।
खाना बनाते समय
खाना बनाते समय सिर को चुन्नी से या किसी कपड़े से ढाँपना चाहिए, ताकि बाल, डैंड्रफ या जूँ आदि खाने में ना गिरें। अगर आपका ख्याल ईश्वर-अल्लाह से जुड़ा है तो इससे खाने वाले का ध्यान भी ईश्वर की तरफ जाएगा। अगर आप खाना बनाते वक्त लड़ाई-झगड़ा या इधर-उधर की बातों में व्यस्त हैं, तो संभवत: उस खाने को खाने वाला भी वैसा ही करेगा। इसलिए खाना बनाते वक्त गुरुमंत्र का जाप करना चाहिए। यह बात सत्य है ‘‘जैसा खाएं अन्न, वैसा होए मन।’’
- खुश रहो व स्वास्थ्य पाओ, जंक फूड को आदत ना बनाओ। छोड़ तला स्वस्थ खाओ, बीमारी व बुरे विचार भगाओ।’’
-पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां
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